इंटरनेट पर भी अब भारतीय भाषाओं की धूम मचने लगी है। तमाम वेबसाइट्स अब हिंदी, मराठी, तमिल, बांग्ला जैसी भारतीय भाषाएं सीख रही हैं क्योंकि वेब पर राज करना है तो कामयाबी की कहानी इन्हीं में लिखी जाएगी। कंटेंट भले ही देसी हो, अभी तक वेब अड्रेस अंग्रेजी में ही मिल रहे हैं। अप्रैल से यह भी बदल जाएगा। नैशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (निक्सी) डॉट भारत नाम से डोमेन नेम देगा। भारतीय भाषाओं में यह पता शुरुआत में हिंदी, उर्दू, तमिल, तेलुगू, बांग्ला, गुजराती और पंजाबी में मिलेगा।
रेलवे टिकट रिजर्वेशन की साइट www.irctc.co . in का हिंदी में बीटा वर्जन पेश किया जा चुका है, जिसे उसके एक तिहाई यूजर इस्तेमाल कर रहे हैं। मोबाइल की वैल्यू एडेड सर्विस कंपनी आईएमआई मोबाइल भारतीय भाषाओं में अपने एप्लिकेशन डिवेलप करने जा रही है। अप्रैल से इंटरनेट पर डोमेन नेम 7 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होंगे। यानी कंटेंट पब्लिशिंग से लेकर ई-कॉमर्स और मोबाइल एप्स तक में देसी होने की होड़ मची हुई है।
इंटरनेट ऐंड मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट शुभो रे कहते हैं कि अगर आपको विस्तार करना है तो आप जाएंगे कहां? भारत में इंटरनेट सब्सक्राइबर बेस 2011 में 12 करोड़ को पार कर गया। अंग्रेजी बोलने वाली आबादी इसमें आ चुकी है और अब जो भी विस्तार होगा, वह स्थानीय भाषाओं में होने जा रहा है। आपको अगर अपना यूजर बेस बढ़ाना है तो ज्यादा से ज्यादा भारतीय भाषाएं सीखनी होंगी।
एक इंटरनेट कंपनी के मार्केटिंग से जुड़े अधिकारी ने बताया कि इंटरनेट पर 85-90 फीसदी लोग कंटेंट पढ़ने के लिए आते हैं, फिर चाहे वह न्यूज हो, प्रॉडक्ट रिव्यू हो या सोशल नेटवर्किंग साइट्स। खासकर न्यूज में लोग अपनी ही भाषा में कंटेंट चाहते हैं।
टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड के सीईओ ऋषि खियानी कहते हैं कि स्थानीय भाषाएं तेजी से बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारे नेटवर्क पर ज्यादा लोग नवभारत टाइम्स और महाराष्ट्र टाइम्स की वेबसाइट्स पर लॉग कर रहे हैं।
गूगल इंडिया का आकलन है कि अंग्रेजी के अलावा 7 से 8 भारतीय भाषाओं के लिए इंटरनेट पर 35 करोड़ लोगों का यूजर बेस है। इनमें मराठी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और बांग्ला शामिल हैं।
गूगल ने बेंगलुरु में 150 इंजीनियरों की टीम रखी है, जो दुनिया भर के उभरते देशों में लोगों की इंटरनेट जरूरतों का आकलन करती है, भारत इसमें टॉप पर है। 14 भारतीय भाषाओं में वह ट्रांसलिटरेशन पेश कर रही है, 4 में गूगल न्यूज है, 6 के लिए मशीन ट्रांसलेशन उपलब्ध है और लगभग हर भारतीय भाषा के लिए वर्चुअल की-पैड वह पेश कर चुकी है। माइक्रोसॉफ्ट इंडिया की साइट भाषाइंडिया.कॉम पर भी फॉन्ट कनवर्टर और वर्चुअल की-पैड जैसे टूल हैं। नोकिया के मोबाइल फोन 11 भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करते हैं। दिल्ली की कंपनी हेजल मीडिया स्मार्टफोन और टैबलेट्स के लिए 5 भारतीय भाषाओं में एप्स पेश कर चुकी है। एमपुस्तक के तहत हिंदी, मराठी, बांग्ला, तमिल और तेलुगू में वह अपने एप्स ला रही है।
रेलवे टिकट रिजर्वेशन की साइट www.irctc.co . in का हिंदी में बीटा वर्जन पेश किया जा चुका है, जिसे उसके एक तिहाई यूजर इस्तेमाल कर रहे हैं। मोबाइल की वैल्यू एडेड सर्विस कंपनी आईएमआई मोबाइल भारतीय भाषाओं में अपने एप्लिकेशन डिवेलप करने जा रही है। अप्रैल से इंटरनेट पर डोमेन नेम 7 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होंगे। यानी कंटेंट पब्लिशिंग से लेकर ई-कॉमर्स और मोबाइल एप्स तक में देसी होने की होड़ मची हुई है।
इंटरनेट ऐंड मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट शुभो रे कहते हैं कि अगर आपको विस्तार करना है तो आप जाएंगे कहां? भारत में इंटरनेट सब्सक्राइबर बेस 2011 में 12 करोड़ को पार कर गया। अंग्रेजी बोलने वाली आबादी इसमें आ चुकी है और अब जो भी विस्तार होगा, वह स्थानीय भाषाओं में होने जा रहा है। आपको अगर अपना यूजर बेस बढ़ाना है तो ज्यादा से ज्यादा भारतीय भाषाएं सीखनी होंगी।
एक इंटरनेट कंपनी के मार्केटिंग से जुड़े अधिकारी ने बताया कि इंटरनेट पर 85-90 फीसदी लोग कंटेंट पढ़ने के लिए आते हैं, फिर चाहे वह न्यूज हो, प्रॉडक्ट रिव्यू हो या सोशल नेटवर्किंग साइट्स। खासकर न्यूज में लोग अपनी ही भाषा में कंटेंट चाहते हैं।
टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड के सीईओ ऋषि खियानी कहते हैं कि स्थानीय भाषाएं तेजी से बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारे नेटवर्क पर ज्यादा लोग नवभारत टाइम्स और महाराष्ट्र टाइम्स की वेबसाइट्स पर लॉग कर रहे हैं।
गूगल इंडिया का आकलन है कि अंग्रेजी के अलावा 7 से 8 भारतीय भाषाओं के लिए इंटरनेट पर 35 करोड़ लोगों का यूजर बेस है। इनमें मराठी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और बांग्ला शामिल हैं।
गूगल ने बेंगलुरु में 150 इंजीनियरों की टीम रखी है, जो दुनिया भर के उभरते देशों में लोगों की इंटरनेट जरूरतों का आकलन करती है, भारत इसमें टॉप पर है। 14 भारतीय भाषाओं में वह ट्रांसलिटरेशन पेश कर रही है, 4 में गूगल न्यूज है, 6 के लिए मशीन ट्रांसलेशन उपलब्ध है और लगभग हर भारतीय भाषा के लिए वर्चुअल की-पैड वह पेश कर चुकी है। माइक्रोसॉफ्ट इंडिया की साइट भाषाइंडिया.कॉम पर भी फॉन्ट कनवर्टर और वर्चुअल की-पैड जैसे टूल हैं। नोकिया के मोबाइल फोन 11 भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करते हैं। दिल्ली की कंपनी हेजल मीडिया स्मार्टफोन और टैबलेट्स के लिए 5 भारतीय भाषाओं में एप्स पेश कर चुकी है। एमपुस्तक के तहत हिंदी, मराठी, बांग्ला, तमिल और तेलुगू में वह अपने एप्स ला रही है।
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