बुधवार, 7 दिसंबर 2011

सिर्फ पानी के लिए कर दिया था अपनी बीवी का सौदा!

बहुत सारी प्रेम कथाएं आपने सुनी होंगी। लेकिन जम्मू-कश्मीर में प्रचलित इस प्रेम कथा को पढ़कर आप भी कहेंगे कि सच में इस कहानी ने तो झकझोर दिया। यह जम्मू की एक अद्भुत प्रेम कहानी है। ऊधमपुर से दूर टिकरी की एक मासूम लड़की की शादी हुई।

शादी के बाद आम लड़कियों की तरह ही ये लड़की भी अपने सपनों के राजकुमार के साथ अपने शहजादे के घर चल दी। डोली में विदा होते ही तमाम सपने संजोते हुए ये नई दुल्हन जल्द ही अपने पिया के घर पहुंचने की उत्सुक थी। कहारों के कंधों पर डोली पहाड़ के कठिन रास्ते चढ़ने लगती है। रास्ता जितना लंबा था उससे ज्यादा दुर्गम ।

दुर्गम पहाड़ पर चलते-चलते काफी समय बीत जाने की वजह से डोली में बैठी लाड़ी (दुल्हन) को प्यास लगने लगती है। तब वह कहारों से कहती है कि वे उसके लाड़े (दूल्हे) को बता दें कि उसे प्यास लगी है। कहार जब दूल्हे को बताते हैं कि दुल्हन को प्यास लगी है, तो दूल्हा कहता है कि यार ऐसी जगह पर पानी कैसे कोई लाएगा। बहुत मुश्किल है। पानी लाना बहुत कठिन है। इधर ये बातें चलती हैं उधर समय गुजरता है और इधर लाड़ी प्यास से व्याकुल होने लगती है।



व्याकुल दुल्हन को देख इस पर दूल्हा सब को अलग-अलग दिशाओं में पानी खोजने के लिए भेजता है। एक जगह पानी दिखाई दिया, मगर वहां तक पहुंचना बहुत कठिन था। दुर्गम रास्ते को देखकर दूल्हा वहां जाने से मना कर देता है।



प्यास के कारण लाड़ी तड़फड़ाने लगती है। कोई चारा नहीं देख, दूल्हा ने कहारों के आगे एक शर्त रखता है कि जो लाड़ी के लिए पानी ले आएगा लाड़ी उसी की हो जाएगी। ये सुनकर दुल्हन अवाक् रह जाती है। मन बेचैन हो जाता है। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस नई दुल्हन पर इस बात का कैसा असर पड़ा होगा। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। लाड़ी पाने के लालच में एक कहार उस दुर्गम पहाड़ी से पानी लाने के लिए तैयार हो जाता है।



रास्ता इतना ज्यादा कठिन था कि वह कहार पानी तो ले आता है, लेकिन लाड़ी को पानी पिलाते ही थकान के कारण उसकी मौत हो जाती है। इस पर लाड़ी कहती है मैं उसके साथ कैसे जा सकती हूं, जिसने पानी के लिए मुझे बेच दिया। शर्त के मुताबिक मेरा लाड़ा तो वह है, जो मेरे लिए पानी लेकर आया। उसके मर जाने पर मैं अब विधवा हो गई हूं। इतना कहकर उस दुल्हन ने भी वहीं कहार के शव पर अपनी जान दे दी। आज भी वह स्थान टिकरी में 'लाड़ा-लाड़ी दा टक' के रूप में पूजा जाता है।

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