बाड़मेर। उच्चतम न्यायालय के आदेश से सरकारी विद्यालयों में मिड डे मील के तहत रोटी का इंतजाम तो कर दिया गया लेकिन पहली जरूरत पानी को सरकार भूल गई है। जिले के पांच हजार से ज्यादा विद्यालयों में पेयजल का पुख्ता प्रबंध नहीं है। जहां टांके बने है वे पाइप लाइन कनेक्शन के लिए तरस रहे है। पाइप लाइन कनेक्शन है तो महीनों से पानी आपूर्ति नहीं हो रही है। शिक्षक खुद की जेब और ग्रामीणों के सहयोग से जैसे तैसे काम निकाल रहे है। पेयजल प्रबंध के लिए किसी प्रकार के बजट की भी व्यवस्था नहीं है। नि:शुल्क शिक्षा नियम लागू होने के बाद विद्यालयों में छात्रकोष की राशि भी नहीं आ रही है।
छह सात घंटे विद्यालय में गुजारने वाले सौ से दो सौ बच्चों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। महीने से पांच सौ से हजार रूपए खर्च करने पड़ते है । सरकारी स्तर पर अब तक किए गए सारे प्रबंध विफल रहे है। जिले में करीब साढ़े आठ हजार सरकारी विद्यालय बने हुए है। इसमें से मुश्किल से तीन हजार विद्यालयों में टांको का निर्माण किया गया है। इसके अलावा पेयजल के लिए विद्यालयों में पुख्ता प्रबंध नहीं है। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और पाइप लाइन से टांकों को जोड़ने की कार्यवाही नहीं हुई है।
पोषाहार की अनिवार्यता अलग से
पहले पानी की जरूरत विद्यालयों में कम रहती थी। विद्यार्थी खुद अपने हिस्से का पानी घर से लाते थे, लेकिन अब पोषाहार की अनिवार्यता हो गई है। विद्यालयों में एक टंैकर पानी पोषाहार के लिए ही चाहिए।
विभाग ने योजना को किया दरकिनार
जलदाय विभाग को जलमणि योजना के तहत विद्यालयो को पानी से जोड़ना था। सर्वशिक्षा अभियान के तहत बनने वाले सारे भवनो को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़ना था,ये कार्य अधूरे है। ऎसे मेें विद्यालयों में पानी का इंतजाम नहीं हुआ है।
पाइप से जोड़ा तो अवैध कनेक्शन
जिन विद्यालयों को पाइप लाइन कनेक्शन से जोड़ा है वहां पर अवैध कनेक्शन हो गए है। ऎसे में आगे विद्यालयों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। शिक्षकों ने इस बारे में कई बार शिकायत की है, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
समस्या बनी हुई है
टांका पाइप लाइन से जुड़ा है छह माह से पानी नहीं आ रहा है। विभाग के अघिकारियों से संपर्क किया वे अवैध कनेक्शन की लाचारगी बता रहे है। पानी की समस्या बनी हुई है।
मनोज श्रीवास्त प्रधानाध्यापक
कोई प्रबंध नहीं
सैकड़ों विद्यालयों में पानी का कोई प्रबंध नहीं है। इसको लेकर वृहत्त स्तर पर सर्वे होना चाहिए।
देवीसिंह राठौड़ महामंत्री शिक्षक संघ राष्ट्रीय
बजट दिया जाए या कनेक्शन
विद्यालयों को पेयजल के लिए बजट दिया जाए या फिर कनेक्शन कर एकांतरे जलापूर्ति की जाए।
बालसिंह राठौड़
कर्मचारी महासंघ एकीकृत
खुद का प्रबंध
टांका बना हुआ है। कनेक्शन नहीं है। शिक्षक खुद राशि एकत्रित करके पानी डलवाते है। महीने का हजार रूपए पानी के लगते है।
सुनिल जोशी अध्यापक, मेघवालों की बस्ती
प्रबंध करते हैं
श्रीराम डूडी की ढाणी पंचायत शिवकर टांका बना हुआ है। अन्य कोई प्रबंध नहीं है। ग्रामीणों के सहयोग से पानी का प्रबंध करते है।
उदयसिंहतिलवाड़ा प्रधानाध्याक, राउप्रावि बजावस
दो सौ विद्यालयों को जोड़ना था
दो सौ विद्यालयो को पाइप लाइन से जोड़ने की सूची जलदाय विभाग को भेजी थी। इसके अलावा अघिकांश जगह पाइप लाइन नहीं होने से यह संभव नहीं हो रहा है।
विवेक गुप्ता सर्वशिक्षा अभियान
छह सात घंटे विद्यालय में गुजारने वाले सौ से दो सौ बच्चों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। महीने से पांच सौ से हजार रूपए खर्च करने पड़ते है । सरकारी स्तर पर अब तक किए गए सारे प्रबंध विफल रहे है। जिले में करीब साढ़े आठ हजार सरकारी विद्यालय बने हुए है। इसमें से मुश्किल से तीन हजार विद्यालयों में टांको का निर्माण किया गया है। इसके अलावा पेयजल के लिए विद्यालयों में पुख्ता प्रबंध नहीं है। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और पाइप लाइन से टांकों को जोड़ने की कार्यवाही नहीं हुई है।
पोषाहार की अनिवार्यता अलग से
पहले पानी की जरूरत विद्यालयों में कम रहती थी। विद्यार्थी खुद अपने हिस्से का पानी घर से लाते थे, लेकिन अब पोषाहार की अनिवार्यता हो गई है। विद्यालयों में एक टंैकर पानी पोषाहार के लिए ही चाहिए।
विभाग ने योजना को किया दरकिनार
जलदाय विभाग को जलमणि योजना के तहत विद्यालयो को पानी से जोड़ना था। सर्वशिक्षा अभियान के तहत बनने वाले सारे भवनो को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जोड़ना था,ये कार्य अधूरे है। ऎसे मेें विद्यालयों में पानी का इंतजाम नहीं हुआ है।
पाइप से जोड़ा तो अवैध कनेक्शन
जिन विद्यालयों को पाइप लाइन कनेक्शन से जोड़ा है वहां पर अवैध कनेक्शन हो गए है। ऎसे में आगे विद्यालयों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। शिक्षकों ने इस बारे में कई बार शिकायत की है, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
समस्या बनी हुई है
टांका पाइप लाइन से जुड़ा है छह माह से पानी नहीं आ रहा है। विभाग के अघिकारियों से संपर्क किया वे अवैध कनेक्शन की लाचारगी बता रहे है। पानी की समस्या बनी हुई है।
मनोज श्रीवास्त प्रधानाध्यापक
कोई प्रबंध नहीं
सैकड़ों विद्यालयों में पानी का कोई प्रबंध नहीं है। इसको लेकर वृहत्त स्तर पर सर्वे होना चाहिए।
देवीसिंह राठौड़ महामंत्री शिक्षक संघ राष्ट्रीय
बजट दिया जाए या कनेक्शन
विद्यालयों को पेयजल के लिए बजट दिया जाए या फिर कनेक्शन कर एकांतरे जलापूर्ति की जाए।
बालसिंह राठौड़
कर्मचारी महासंघ एकीकृत
खुद का प्रबंध
टांका बना हुआ है। कनेक्शन नहीं है। शिक्षक खुद राशि एकत्रित करके पानी डलवाते है। महीने का हजार रूपए पानी के लगते है।
सुनिल जोशी अध्यापक, मेघवालों की बस्ती
प्रबंध करते हैं
श्रीराम डूडी की ढाणी पंचायत शिवकर टांका बना हुआ है। अन्य कोई प्रबंध नहीं है। ग्रामीणों के सहयोग से पानी का प्रबंध करते है।
उदयसिंहतिलवाड़ा प्रधानाध्याक, राउप्रावि बजावस
दो सौ विद्यालयों को जोड़ना था
दो सौ विद्यालयो को पाइप लाइन से जोड़ने की सूची जलदाय विभाग को भेजी थी। इसके अलावा अघिकांश जगह पाइप लाइन नहीं होने से यह संभव नहीं हो रहा है।
विवेक गुप्ता सर्वशिक्षा अभियान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें