दाहोद। सेक्स वर्करों के पुनरोत्थान के लिए लक्षित संगठनों के हाथ एक बड़ी सफलता लगी है। दरअसल एड्स के मामले में यह जिला ‘ए’ ग्रेड पर है। आदिवासी बाहुल्य यह जिला शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है।
अब जबकि 1 दिसंबर को एड्स दिवस था तो इस मामले में संगठनों ने इस जिले पर काफी ध्यान दिया और 800 से भी अधिक सेक्स वर्करों की पहचान की। दरअसल गुजरात सरकार का प्रयास है कि जिले में एड्स की बढ़ती समस्या को रोकने के लिए सेक्स वर्करों की पहचान कर उन्हें जागरूक किया जाए। इसके साथ ही सरकार इनके लिए रोजगार व शिक्षण की भी व्यवस्था कर रही है।
21 लाख की आबादी वाले इस जिले में 75 प्रतिशत आदिवासी हैं। आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े होने के कारण यहां पर एड्स की समस्या भी गंभीर है। सेक्स बिजनेस के मामले में यहां कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। इनमें से 800 सेक्स वर्करों की तो पहचान भी कर ली गई है तो अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह आंकड़ा कितना बड़ा हो सकता है।
हालांकि सेक्स वर्करों की पहचान उनके पुनरोत्थान के लिए ही की गई है। गुजरात सरकार इन दिनों सेक्स वर्करों के लिए भी रोजगार और शिक्षण की व्यवस्था कर रही है। दाहोद जिले के मुख्य चिकित्सीय अधिकारी डॉ. डी.बी. राठौड़ ने बताया कि सरकारी तंत्र, एनजीओ और अन्य लोगों की भागीदारी व जागरूकता से यहां पर एड्स की समस्या को बढ़ने से रोकने में बड़ी कामयाबी भी मिली है।
अब जबकि 1 दिसंबर को एड्स दिवस था तो इस मामले में संगठनों ने इस जिले पर काफी ध्यान दिया और 800 से भी अधिक सेक्स वर्करों की पहचान की। दरअसल गुजरात सरकार का प्रयास है कि जिले में एड्स की बढ़ती समस्या को रोकने के लिए सेक्स वर्करों की पहचान कर उन्हें जागरूक किया जाए। इसके साथ ही सरकार इनके लिए रोजगार व शिक्षण की भी व्यवस्था कर रही है।
21 लाख की आबादी वाले इस जिले में 75 प्रतिशत आदिवासी हैं। आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े होने के कारण यहां पर एड्स की समस्या भी गंभीर है। सेक्स बिजनेस के मामले में यहां कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। इनमें से 800 सेक्स वर्करों की तो पहचान भी कर ली गई है तो अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह आंकड़ा कितना बड़ा हो सकता है।
हालांकि सेक्स वर्करों की पहचान उनके पुनरोत्थान के लिए ही की गई है। गुजरात सरकार इन दिनों सेक्स वर्करों के लिए भी रोजगार और शिक्षण की व्यवस्था कर रही है। दाहोद जिले के मुख्य चिकित्सीय अधिकारी डॉ. डी.बी. राठौड़ ने बताया कि सरकारी तंत्र, एनजीओ और अन्य लोगों की भागीदारी व जागरूकता से यहां पर एड्स की समस्या को बढ़ने से रोकने में बड़ी कामयाबी भी मिली है।
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