गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

भंवरी के और गहने मिले!

भंवरी के और गहने मिले!

जोधपुर। एएनएम भंवरीदेवी मामले की जांच कर रही सीबीआई ने बुधवार को लूणी विधायक मलखान विश्नोई के भाई परसराम व उसकी पत्नी बिलाड़ा प्रधान कुसुम विश्नोई सहित करीब आधा दर्जन से अधिक लोगों से पूछताछ की। इस बीच सीबीआई को कई जगह तलाशी के दौरान कुछ और आभूष्ाण मिले हैं। इसमें सोने के टॉप्स भी हैं।

बताया जा रहा है कि ये जेवर भंवरी के हैं। पांचवीं बार पूछताछ के लिए आए परसराम से करीब आठ घंटे पूछताछ की गई। कुसुम से चौथी बार पूछताछ की गई। वीडियो पार्लर संचालक राजेश फोफलिया, निलम्बित उप निरीक्षक लाखाराम, पीपाड़ शहर के जयराम मेघवाल, बाबूलाल से भी पूछताछ की गई। जोधपुर-डेगाना के बीच चलने वाली निजी बस के कंडक्टर के घर की तलाशी भी ली।

भंवरी के परिजन चिंतित : भंवरीदेवी के अपहरण को तीन माह हो चुके हैं, लेकिन उसके परिजनों को पता नहीं चल पाया है कि भंवरी कहां और किस हाल में है, जिन्दा भी है या नहीं? भंवरी के पति अमरचन्द का कहना है कि वह किसे अपना दु:ख बताए। बच्चों को उनकी मां के बारे में क्या जवाब दे?
चालान पेश करने की तैयारी : नब्बे दिन पूरे होने के चलते सीबीआई सोहन के खिलाफ चालान पेश करने की तैयारी में है।


सोने के हार की फोरेंसिक जांच

आबूरोड स्थित जोहरी से बरामद भंवरीदेवी के सोने के हार व लॉकेट की सीबीआई द्वारा केन्द्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला से जांच करवाई जाएगी। सीबीआई हार को नई दिल्ली स्थित सीएफएसएल भिजवा रही है।





नहर में तो नहीं डाला भंवरी का शव?
श्रीगंगानगर। लापता एएनएम भंवरी की हत्या करके लाश नहर में तो नहीं बहा दी गई? भंवरी मामले में मुख्य लापता आरोपी सहीराम की खाजूवाला क्षेत्र में मौजूदगी के साक्ष्य इस आशंका को बल देते हैं। हर रोज तीन-चार लाशें उगलती नहरों में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कहीं उसमें भंवरी का शव तो नहीं?


भंवरी प्रकरण में "मोस्ट वांटेड" सहीराम की तलाश में बीकानेर जिले के खाजूवाला व आसपास के कई गांवों में पुलिस ने दबिश दी। वह अब तक पकड़ में नहीं आया। मुख्य इंदिरा गांधी नहर खाजूवाला के पास से निकलती है और वहां सहीराम की मौजूदगी संदेह पैदा करती है।


सीबीआई इस एंगल से भी जांच में जुटी है कि कहीं भंवरी के शव को खाजूवाला के आसपास इंदिरा गांधी नहर में ठिकाने तो नहीं लगाया है। दरअसल इंदिरा गांधी नहर में हर रोज अलग-अलग जगह तीन-चार और महीने में सौ से भी ज्यादा शव बहते हुए आते हैं। इस राज से पर्दा तो सहीराम की गिरफ्तारी के बाद ही उठ पाएगा।


ऎसे पूरा होता है शव का सफर


पंजाब के फिरोजपुर जिले में स्थित हरिके हैडवर्क्स इंदिरा गांधी नहर का उद्गम स्थल है। जानकारों के अनुसार फिरोजपुर के आसपास कोई शव नहर में डाला जाए तो राजस्थान की सीमा में आते-आते वह इतना क्षत-विक्षत हो जाता है कि उसकी शिनाख्त मुश्किल हो जाती है।


नहर में शव की गति डेढ़ किमी प्रति घंटा होती है। नहर में डालने पर शव कुछ देर खड़ी अवस्था में बहता है। पानी भरने पर वह लेटी हुई अवस्था में बहता है।


हत्या का इशारा...


इंदिरा गांधी नहर के साथ गंगनहर व भाखड़ा नहर में आने वाले शवों का कपड़े या बोरे में बंद होना, युवक व युवती का एक साथ रस्सी से बंधे होना, शव का गला कटा होना या शरीर पर चोटों के निशान इशारा करते हैं कि मौत स्वाभाविक नहीं। पंजाब व हरियाणा के अपराधियों में हत्या के बाद शव को नहर में डालने की प्रवृत्ति पुरानी है। राजस्थान में भी अपराधी तत्वों में इस प्रवृत्ति का असर है। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में हत्या के बाद शव नहरों में डालने के कई मामले सामने आए हैं।

ठिकाने लगाने का जरिया


इंदिरा गांधी नहर के पानी ने उत्तर-पश्चिमी राजस्थान की बंजर भूमि को हरित क्षेत्र में बदला है, वहीं अपराधियों के लिए इसका पानी हत्या के बाद शवों को ठिकाने लगाने का जरिया बन गया है। पंजाब व हरियाणा में 167 किमी व राजस्थान में 37 किमी लंबी राजस्थान फीडर तथा इससे आगे जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ तक 445 किलोमीटर लंबी इंदिरा गांधी मुख्य नहर में हर साल सैकड़ों शव अंतिम सफर करते हैं। इनमें से कइयों की शिनाख्त हो जाती है और कई बिना शिनाख्त दफना दिए जाते हैं।

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