मोगा. जिला मुख्यालय से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर बसा गांव जनेर पुरातत्व में रुचि रखने वालों के लिए शोध का विषय बन सकता है। इतिहास को अपने गर्भ में छिपाए जनेर की धरती से पुरातात्विक महत्व के सिक्के और मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। लेकिन पुरातत्व विभाग की अनदेखी के कारण यह धरोहरें खुर्दबुर्द हो रही हैं।
टीलों पर बसे इस गांव के बुजुर्ग मेहर सिंह और बलविंदर सिंह का कहना है कि आज भी टीले की खुदाई करते समय यहां से ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं यदा कदा मिलती रहती हैं, लेकिन लोगों को इसका महत्व का पता न होने के कारण नष्ट हो जाता हैं।
मेहर सिंह ने बताया कि सन् 1968 में एक किसान गुरमेल सिंह अपने घर के पास खुदाई करवा रहा था इस दौरान वहां से धरती में दबी काले रंग की भगवान विष्णु की मूर्ति मिली। इस मूर्ति को ग्रामीणों ने मंदिर बनवाकर उसमें स्थापित कर दिया। उन्होंने बताया कि एक बार चोरों ने इसे चुरा भी लिया था।
गांव के पूर्व सरपंच मेजर सिंह ने बताया कि गांव में सन् 1984 में खुदाई के दौरान एक स्थान से सिक्के मिले थे, जिसे पुलिस ने जब्त कर पुरातत्व विभाग को सौंप दिया था। उन्होंने बताया कि इसके बाद केंद्रीय पुरातत्व विभाग की टीम ने गांव का दौरा किया था और ग्रामीणों इस स्थान पर खुदाई करने से मना कर दिया था।
हालांकि गांववासी टीलों की खुदाई के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है जब भी यहां खुदाई की कोशिश हुई है। तब तब उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। गांववासी जनेर का संबंध राजा जनक की नगरी से जोड़ते हैं। पुरातत्व विभाग के हुसन लाल गांव जनेर की धरती में छिपी सभ्यता को लेकर पिछले पांच साल से काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस बाबत उन्होंने दिल्ली कार्यालय को सूचित किया था, जिसपर केंद्रीय पुरातत्व विभाग की टीम ने वहां का दौरा भी किया था।
टीलों पर बसे इस गांव के बुजुर्ग मेहर सिंह और बलविंदर सिंह का कहना है कि आज भी टीले की खुदाई करते समय यहां से ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं यदा कदा मिलती रहती हैं, लेकिन लोगों को इसका महत्व का पता न होने के कारण नष्ट हो जाता हैं।
मेहर सिंह ने बताया कि सन् 1968 में एक किसान गुरमेल सिंह अपने घर के पास खुदाई करवा रहा था इस दौरान वहां से धरती में दबी काले रंग की भगवान विष्णु की मूर्ति मिली। इस मूर्ति को ग्रामीणों ने मंदिर बनवाकर उसमें स्थापित कर दिया। उन्होंने बताया कि एक बार चोरों ने इसे चुरा भी लिया था।
गांव के पूर्व सरपंच मेजर सिंह ने बताया कि गांव में सन् 1984 में खुदाई के दौरान एक स्थान से सिक्के मिले थे, जिसे पुलिस ने जब्त कर पुरातत्व विभाग को सौंप दिया था। उन्होंने बताया कि इसके बाद केंद्रीय पुरातत्व विभाग की टीम ने गांव का दौरा किया था और ग्रामीणों इस स्थान पर खुदाई करने से मना कर दिया था।
हालांकि गांववासी टीलों की खुदाई के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है जब भी यहां खुदाई की कोशिश हुई है। तब तब उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। गांववासी जनेर का संबंध राजा जनक की नगरी से जोड़ते हैं। पुरातत्व विभाग के हुसन लाल गांव जनेर की धरती में छिपी सभ्यता को लेकर पिछले पांच साल से काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस बाबत उन्होंने दिल्ली कार्यालय को सूचित किया था, जिसपर केंद्रीय पुरातत्व विभाग की टीम ने वहां का दौरा भी किया था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें