लंदन में होगा देवानंद का अंतिम संस्कार
लंदन। जिसने काम को ही जिंदगी का फलसफा माना और 88 साल की उम्र में उसी जोश से काम करता रहा वह इस दुनिया को अलविदा कह गया। जिंदगी से रोमांस करने वाले और अपनी ही धुन में जीने वाले सदाबहार फिल्म अभिनेता देवानंद का रविवार को दिल का दौरा पड़ने से लंदन में निधन हो गया । 88 वर्षीय देवानंद काफी समय से बीमार चल रहे थे।
जिस समय देवानंद ने अंतिम सांस ली उस वक्त उनके पुत्र सुनील साथ में थे।
देवानंद का अंतिम संस्कार लंदन में होगा। देवानंद के परिजनों ने यह जानकारी दी है। परिजनों के लंदन पहुंचने पर देवानंद का अंतिम संस्कार होगा। कहा जा रहा है कि मंगलवार या बुधवार को उनका अंतिम संस्कार होगा। पहले उनका अंतिम संस्कार मुंबई में होने की खबर थी लेकिन बाद में फैसला बदल दिया गया।
देव आनंद के प्रबंधक मोहन चूड़ीवाला ने बताया, ""देवानंद के पुत्र सुनील जब स्नानागार से बाहर निकले, तो उन्होंने देखा कि देव साहब के शरीर में कोई हरकत नहीं है। सुनील ने चिकित्सक को बुलाया। चिकित्सक ने कहा कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है। इसके बाद रात दस बजे देवानंद का निधन हो गया। हरदिल अजीज देव आनंद अपने पीछे पत्नी (पूर्व अभिनेत्री कल्पना कार्तिक), एक पुत्र एवं एक पुत्री छोड़ गए हैं।
देवानंद के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। देवानंद के पुत्र सुनील आनंद ने बताया कि वह मां और बहन के आने का इंतजार कर रहे हैं। अगर स्वास्थ्य ने इजाजत दी तो देवानंद की पत्नी कल्पना कार्तिक अपनी बेटी और पोती के साथ लंदन पहुंचेगी। लंदन की पार्थिव देह लंदन के अस्पताल में रखी गई है। देवानंद के परिजन मुंबई आएंगे। जुहू स्थित आवास पर एक प्रार्थना सभा रखी जाएगी जहां उनके शुभचिंतक अंतिम श्रद्धांजलि देंगे। देवानंद का कहना था कि मुंबई ने उनको उम्मीद से ज्यादा दिया है।
देवानंद जब तक जिए, काम करते रहे। सफलता और असफलता का उनकी फिल्मी और निजी जिंदगी पर कोई फर्क नहीं पड़ा। देवानंद के भाई विजय आनंद और चेतन आनंद भी कुछ वर्षो पहले दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। फिल्म जगत में देवानंद का अतुलनीय योगदान रहा हैं।
अपने अभिनय, शैली,रूमानियत और जिंदादिली के लिए अलग पहचान बनाने वाले देवानंद ने 1946 में "हम एक हैं"फिल्म से अभिनय के करियर की शुरूआत की थी। 1947 में जिद्दी फिल्म ने उन्हें बड़ी सफलता दिलाई। इसके बाद उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा। देवानंद ने 110 फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा बिखेरा और 1950 में स्थापित अपने नवकेतन बैनर के तहत 35 फिल्मों का निर्देशन किया।
देवानंद ने जिस वक्त फिल्मी दुनिया में कदम रखा उस समय उन्हें 160 रूपए मेहनताना के रूप में मिलते थे। देवानंद ने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया और अपने अभिनय का लोहा मनवाया। देवानंद "बाजी", "गाइड", "ज्यूल थीफ", "जॉनी मेरा नाम", "हरे रामा हरे कृष्णा", "सीआईडी" और "तेरे मेरे सपने" जैसी अपनी सुपर हिट फिल्मों के लिए भी जाने जाते हैं।
अभिनेता और निर्देशक के रूप में उनकी अंतिम फिल्म "चार्जशीट" थी, जो बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो पाई थी। कई फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित देवानंद को 2001 में पkभूषण और 2002 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1958,1966 में उन्हें फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
लंदन। जिसने काम को ही जिंदगी का फलसफा माना और 88 साल की उम्र में उसी जोश से काम करता रहा वह इस दुनिया को अलविदा कह गया। जिंदगी से रोमांस करने वाले और अपनी ही धुन में जीने वाले सदाबहार फिल्म अभिनेता देवानंद का रविवार को दिल का दौरा पड़ने से लंदन में निधन हो गया । 88 वर्षीय देवानंद काफी समय से बीमार चल रहे थे।
जिस समय देवानंद ने अंतिम सांस ली उस वक्त उनके पुत्र सुनील साथ में थे।
देवानंद का अंतिम संस्कार लंदन में होगा। देवानंद के परिजनों ने यह जानकारी दी है। परिजनों के लंदन पहुंचने पर देवानंद का अंतिम संस्कार होगा। कहा जा रहा है कि मंगलवार या बुधवार को उनका अंतिम संस्कार होगा। पहले उनका अंतिम संस्कार मुंबई में होने की खबर थी लेकिन बाद में फैसला बदल दिया गया।
देव आनंद के प्रबंधक मोहन चूड़ीवाला ने बताया, ""देवानंद के पुत्र सुनील जब स्नानागार से बाहर निकले, तो उन्होंने देखा कि देव साहब के शरीर में कोई हरकत नहीं है। सुनील ने चिकित्सक को बुलाया। चिकित्सक ने कहा कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है। इसके बाद रात दस बजे देवानंद का निधन हो गया। हरदिल अजीज देव आनंद अपने पीछे पत्नी (पूर्व अभिनेत्री कल्पना कार्तिक), एक पुत्र एवं एक पुत्री छोड़ गए हैं।
देवानंद के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। देवानंद के पुत्र सुनील आनंद ने बताया कि वह मां और बहन के आने का इंतजार कर रहे हैं। अगर स्वास्थ्य ने इजाजत दी तो देवानंद की पत्नी कल्पना कार्तिक अपनी बेटी और पोती के साथ लंदन पहुंचेगी। लंदन की पार्थिव देह लंदन के अस्पताल में रखी गई है। देवानंद के परिजन मुंबई आएंगे। जुहू स्थित आवास पर एक प्रार्थना सभा रखी जाएगी जहां उनके शुभचिंतक अंतिम श्रद्धांजलि देंगे। देवानंद का कहना था कि मुंबई ने उनको उम्मीद से ज्यादा दिया है।
देवानंद जब तक जिए, काम करते रहे। सफलता और असफलता का उनकी फिल्मी और निजी जिंदगी पर कोई फर्क नहीं पड़ा। देवानंद के भाई विजय आनंद और चेतन आनंद भी कुछ वर्षो पहले दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। फिल्म जगत में देवानंद का अतुलनीय योगदान रहा हैं।
अपने अभिनय, शैली,रूमानियत और जिंदादिली के लिए अलग पहचान बनाने वाले देवानंद ने 1946 में "हम एक हैं"फिल्म से अभिनय के करियर की शुरूआत की थी। 1947 में जिद्दी फिल्म ने उन्हें बड़ी सफलता दिलाई। इसके बाद उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा। देवानंद ने 110 फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा बिखेरा और 1950 में स्थापित अपने नवकेतन बैनर के तहत 35 फिल्मों का निर्देशन किया।
देवानंद ने जिस वक्त फिल्मी दुनिया में कदम रखा उस समय उन्हें 160 रूपए मेहनताना के रूप में मिलते थे। देवानंद ने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया और अपने अभिनय का लोहा मनवाया। देवानंद "बाजी", "गाइड", "ज्यूल थीफ", "जॉनी मेरा नाम", "हरे रामा हरे कृष्णा", "सीआईडी" और "तेरे मेरे सपने" जैसी अपनी सुपर हिट फिल्मों के लिए भी जाने जाते हैं।
अभिनेता और निर्देशक के रूप में उनकी अंतिम फिल्म "चार्जशीट" थी, जो बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो पाई थी। कई फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित देवानंद को 2001 में पkभूषण और 2002 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1958,1966 में उन्हें फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
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