गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

हर चुनौती से निपटने को तैयार बॉर्डर के जवान


हर चुनौती से निपटने को तैयार बॉर्डर के जवान



बाड़मेर  आधुनिक हथियारों से लैस बीएसएफ के जवानों को सीमा की रक्षा के लिए हर चुनौती स्वीकार है। ये कहना है बीएसएफ के डीआईजी माधुसिंह चौहान का। उन्होंने गुरुवार को बीएसएफ के 46वें स्थापना दिवस पर जवानों को शुभकामनाएं देते हुए बताया कि भारतीय संविधान के मूल्यों को सर्वोपरि मानते हुए राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने में हर स्तर पर सीमा सुरक्षा बल महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने  विशेष बातचीत में बताया कि बीएसएफ की स्थापना एक दिसंबर 1965 को हुई थी। उन्होंने बताया कि बीएसएफ विश्व का सबसे बड़ा अद्र्धसैनिक बल है और इसे भारत सरकार की ओर से समय-समय पर अनेक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाती रही है। जवानों ने आंतरिक सुरक्षा सहित आतंकियों और नक्सलियों से डटकर सामना करते हुए देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। उन्होंने बताया कि बीएसएफ के सराहनीय कार्यों को देखते हुए बल को अत्याधुनिक हथियार, संचार व्यवस्था, वाहन और निगरानी के उपकरण, हवाई जहाज, अत्याधुनिक नौकाएं, तोपखाने, ऊंट और अश्व दस्ते से सुसज्जित किया गया है। बीएसएफ देश की सुरक्षा के लिए खतरा बनने वाली किसी भी चुनौती को निष्क्रिय करने के लिए सदैव तत्पर है। उन्होंने स्थापना दिवस पर संकल्प लेते हुए देशवासियों को आश्वस्त किया कि बीएसएफ के होते हुए देश की सीमाएं सदैव सुरक्षित रहेगी।

गौरवशाली रही इनकी सेवाएं: स्थापना दिवस पर विशेष बातचीत में जिले के सेतराऊ निवासी रिटायर्ड कमांडेंट कल्याणसिंह ने बताया कि उन्होंने बीएसएफ के विकास को देखा है। उन्होंने 1967 में बीएसएफ ज्वॉइन की। वे बताते है कि उनके ज्वॉइन करने के समय बीएसएफ की 27-28 बटालियन थी, लेकिन अब 100 बटालियन हो गई है। अपनी साढ़े सैंतीस साल की नौकरी में उन्होंने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई लड़ी। वे 1971 में बांग्लादेश में तैनात रहे और 14 दिन तक चली जंग में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि बीएसएफ में अनुशासन, प्रशिक्षण, काम और सीमा पर चौकसी उनमें हमेशा एक नया जोश भर देती थी। यही जोश उन्हें हमेशा आगे रखता था।

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