वन्यजीव गणना के आंकड़े जारी, जरख, नीलगाय समेत कई वन्यजीवों की संख्या भी हुई कम
कुंभलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में सत्र 2011 में हुई गणना के आंकड़ों में पेंथर की संख्या घट गई है। इसके अलावा जरख व नीलगाय समेत कई अन्य वन्यजीवों की संख्या में भी कमी दर्ज की गई है। पिछले साल की गणना के आंकड़ों पर नजर डाले तो इस साल कुल 3279 वन्यजीवों में कमी दर्ज की गई है। अभयारण्य क्षेत्र में 2011 में कुल मिलाकर जंगली जानवरों की तादाद 16 हजार 12 दर्ज की गई, जो सालभर पहले वर्ष 2010 में यहां 19 हजार 291 जानवरों की गिनती की गई थी।
28 मई को हुई थी गणना : पाली, राजसमंद व उदयपुर जिले की सीमा में 610 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले कुंभलगढ़ अभयारण्य क्षेत्र में 28 मई को बुद्ध पूर्णिमा की चांदनी रात में जंगली जानवरों की आंखों देखी गणना की गई थी। इस गणना के लिए अभयारण्य क्षेत्र में 75 कृत्रिम व 75 प्राकृतिक वाटर हॉल वन विभाग द्वारा चिह्नित किए गए थे। करीब 250 वन कर्मियों, पर्यावरण प्रेमियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गुप्त तरीके से वाटर हॉल के समीप बैठकर अपनी प्यास बुझाने पहुंचे जंगली जानवरों की आंखों देखी गणना की। इस गणना में जंगली जानवरों के फुट प्रिंट भी लिए गए। दोनों विधि से तुलनात्मक गणना में जंगल में वन्य जीवों के साथ ही पक्षियों की करीब कुल तादाद 16 हजार 12 रही।
पिछले वर्ष इतने थे वन्यजीव
गत वर्ष 2010 में कुंभलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में पेंथर 95, भालू 221, जरक 185, सियार 411, चौसिंगा 122, सांभर 222, नीलगाय 2037, चिंकारा 15, जंगली सुअर 666, भेडिय़ा 53, लोमड़ी 98, सेही 112, बिज्जू 87, जंगली बिल्ली 92, जंगली मुर्गा 1992, बंदर 7857, नेवला 189, मगरमच्छ 11 वहीं कठफोड़वा, जल मुर्गा, तोता, करेवा, कछुआ, मोर, घडिय़ाल, भूमि कछुआ, मोर, गोह, बाज, गिद्ध, ईगल, झापटा, हरियल, काला बगुला, धनेश, गाय बगुला, बरबर, कील कीला की तादाद 2613 थी।
मारवाड़ व मेवाड़ का पहला राष्ट्रीय उद्यान होगा कुंभलगढ़ नेशनल पार्क
पाली, राजसमंद व उदयपुर जिले की 508.60 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की सीमा पर पसरे कुंभलगढ़ व टांडगढ़ अरावली क्षेत्र अभयारण्य को मिलाकर बनने वाले कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिलने के बाद मारवाड़ व मेवाड़ क्षेत्र का यह प्रथम राष्ट्रीय उद्यान होगा। इस बात की पूरी संभावना है कि रणकपुर, परशुराम महादेव एवं कुंभलगढ़ फोर्ट के बाद अब कुंभलगढ़ अभयारण्य देशी व विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा। जब इस क्षेत्र में पर्यटकों की तादाद बढ़ेगी तो पर्यटन पर आधारित उद्योग-धंधे बढ़ेंगे। पर्यटकों के आवागमन से होटल व्यवसाय, ऊंट सफारी, हॉर्स सफारी, जंगल विजिट के नाम से जहां एक ओर रोजगार के साधन बढ़ेंगे, वहीं सरकार को भी अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त होगा। कुंभलगढ़ को राष्ट्रीय उद्यान की कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही क्षेत्र के वाहन चालक, होटल मालिक, रणकपुर मंदिर प्रशासन में खुशी की लहर छा गई है। विश्व प्रसिद्ध रणकपुर जैन मंदिर में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन ने गोडवाड़ महोत्सव व रणकपुर फेस्टिवल की शुरुआत की है। अब कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के बन जाने के बाद पर्यटक रणकपुर, परशुराम महादेव व कुंभलगढ़ के अवलोकन के बाद अब वे राष्ट्रीय उद्यान का भ्रमण कर जंगली जानवरों को समीप से देखने का भी लुत्फ उठा सकेंगे।
उद्यान में सबसे अधिक भूभाग पाली जिले का : हाल ही में कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान को मंजूरी मिलने के बाद एक नजर डालें तो पाली, राजसमंद व उदयपुर जिले की सीमा में 508.60 वर्ग किलोमीटर की सीमा में पसरे कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में पाली जिले का भूभाग सबसे अधिक रहेगा । कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में उदयपुर जिले का 82.52, राजसमंद जिले का 167.28 एवं पाली जिले का 258.78 वर्ग किलोमीटर का भूभाग इस उद्यान में आएगा। कुंभलगढ़ का 401.51 वर्ग किमी एवं टांडगढ़ रावली का 107 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को मिलाकर कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बनना है।
उद्यान से गुजर रहे तीन स्टेट हाइवे : कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के मध्य से तीन स्टेट हाइवे गुजर रहे हैं। वन विभाग के अनुसार देसूरी से चारभुजा साढ़े छह किलोमीटर, रणकपुर से सायरा साढ़े सात किलोमीटर, दिवेर से कोट 7 किलोमीटर स्टेट हाईवे इसी उद्यान से गुजरेगा। देसूरी से चारभुजा वाला मार्ग नेशनल हाइवे व मेगा हाइवे में तब्दील हो चुका है ।
उद्यान क्षेत्र में आए हुए हैं 36 मंदिर
कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में विश्व प्रसिद्ध रणकपुर जैन मंदिर, प्रदेश का प्रमुख परशुराम महादेव कुंडधाम मंदिर, अमर गंगा, परशुराम महादेव गुफा मंदिर, परशुराम महादेव फूटा देवल मंदिर, रणकपुर के समीप स्थित शक्ति माता मंदिर, पिपरोली माता, खीमज माता, कोड माता, मंडावरी माता, सूरज कुंड मंदिर, नागदेवता मंदिर, सेजिया महादेव मंदिर, कालिया महादेव मंदिर, रूपनगर, गडरी महादेव, नाल माता, सेली नाल जंबुमाता, गणपति मंदिर आदि पूजा-स्थलों के साथ हाथी पुलिया झरना, कुंडधाम का झरना, भमर कुंड का झरना, परशुराम महादेव गुफा स्थल का झरना इस राष्ट्रीय उद्यान के प्रमुख आकर्षण का केंद्र होंगे।
वर्ष 2010 में प्रस्ताव भेजा था
कुंभलगढ़ को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा देने के लिए वन विभाग ने वर्ष 2010 में प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेजा था। वन अधिकारियों ने आग्रह किया था कि कुंभलगढ़ व टांडगढ़ रावली अभयारण्य क्षेत्र को मिलाकर राष्ट्रीय उद्यान बनाया जाए। इससे यहां पर्यटकों की तादाद बढऩे के साथ ही सरकार को अच्छा राजस्व प्राप्त होगा। विभाग ने अरावली राष्ट्रीय उद्यान एवं कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान दो नाम सरकार को सुझाए थे। अंत में वन मंत्री जो स्वयं पाली जिले का नेतृत्व करती हैं, उन्होंने पहल कर कुंभलगढ़ नाम से राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिलाया।
सुमेरपुर. शिकायत पर जांच करते तहसीलदार व अन्य।
सादड़ी, कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में 28 मई 2011 को संपन्न हुई वन्य जीवों की गणना के अनुसार पेंथर 83, सियार 340, जरक 159, जंगली बिल्ली 72, मरू बिल्ली 5, लोमड़ी 105, भेडिय़ा 45, भालू 185, बिज्जू 74, सियागोश 1, चीतल 0, सांभर 209, नीलगाय 1803, चिंकारा 11, चौसिंगा 134, जंगली सुअर 405, सेही 95, सारस 20, गिद्ध 26, जंगली मुर्गा 1606, मगरमच्छ 22, बंदर 6513, मोर 2260, रस्टी केट, रूडी नेवला 11, छोटा नेवला 37, खरगोश 184, बजर्ड 8, रेड स्पर फ्राउल 140, हरियल 360, उल्लू 78, जंगली मुर्गा 1594, काला बिज्जू 67, जाऊ चूहा 4, केटेकल 3, लंबी चोंच वाला गिद्ध 12, ईगल 20, कोयल 10, हरियल 154, तीतर 320, बटेर 121, टिटहरी 12, बगुला 21, सारस क्रेन 4, आड़ 10, बार्बलर 140, किलकिला 13, गाय बगुला 39, तोता 110, कबूतर 47, कौआ 28, काला बगुला 2, धनेश 7, चमगादड़ 10, मगरमच्छ 22, कछुआ 37, भूमि कछुआ 13, गोह 53, अजगर 2 हैं।
वन्यजीव गणना के आंकड़े जारी, जरख, नीलगाय समेत कई वन्यजीवों की संख्या भी हुई कम
कुंभलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में सत्र 2011 में हुई गणना के आंकड़ों में पेंथर की संख्या घट गई है। इसके अलावा जरख व नीलगाय समेत कई अन्य वन्यजीवों की संख्या में भी कमी दर्ज की गई है। पिछले साल की गणना के आंकड़ों पर नजर डाले तो इस साल कुल 3279 वन्यजीवों में कमी दर्ज की गई है। अभयारण्य क्षेत्र में 2011 में कुल मिलाकर जंगली जानवरों की तादाद 16 हजार 12 दर्ज की गई, जो सालभर पहले वर्ष 2010 में यहां 19 हजार 291 जानवरों की गिनती की गई थी।
28 मई को हुई थी गणना : पाली, राजसमंद व उदयपुर जिले की सीमा में 610 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले कुंभलगढ़ अभयारण्य क्षेत्र में 28 मई को बुद्ध पूर्णिमा की चांदनी रात में जंगली जानवरों की आंखों देखी गणना की गई थी। इस गणना के लिए अभयारण्य क्षेत्र में 75 कृत्रिम व 75 प्राकृतिक वाटर हॉल वन विभाग द्वारा चिह्नित किए गए थे। करीब 250 वन कर्मियों, पर्यावरण प्रेमियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गुप्त तरीके से वाटर हॉल के समीप बैठकर अपनी प्यास बुझाने पहुंचे जंगली जानवरों की आंखों देखी गणना की। इस गणना में जंगली जानवरों के फुट प्रिंट भी लिए गए। दोनों विधि से तुलनात्मक गणना में जंगल में वन्य जीवों के साथ ही पक्षियों की करीब कुल तादाद 16 हजार 12 रही।
पिछले वर्ष इतने थे वन्यजीव
गत वर्ष 2010 में कुंभलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में पेंथर 95, भालू 221, जरक 185, सियार 411, चौसिंगा 122, सांभर 222, नीलगाय 2037, चिंकारा 15, जंगली सुअर 666, भेडिय़ा 53, लोमड़ी 98, सेही 112, बिज्जू 87, जंगली बिल्ली 92, जंगली मुर्गा 1992, बंदर 7857, नेवला 189, मगरमच्छ 11 वहीं कठफोड़वा, जल मुर्गा, तोता, करेवा, कछुआ, मोर, घडिय़ाल, भूमि कछुआ, मोर, गोह, बाज, गिद्ध, ईगल, झापटा, हरियल, काला बगुला, धनेश, गाय बगुला, बरबर, कील कीला की तादाद 2613 थी।
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