मंगलवार, 8 नवंबर 2011

|| हनुमान चालीसा || जय बजरंग बली


|| हनुमान चालीसा ||


श्री गुरु चरण सरज राज , निज मनु मुकुर सुधारे |
बरनौ रघुबर बिमल जासु , जो धयक फल चारे ||

बुधिहिएँ तनु जानके , सुमेराव पवन -कुमार |
बल बूढी विद्या देहु मोहे , हरहु कलेस बिकार ||




जय हनुमान ज्ञान गुण सागर |
जय कपिसे तहु लोक उजागर ||

राम दूत अतुलित बल धामा |
अनजानी पुत्र पवन सूत नामा ||

महाबीर बिक्रम बज्रगी |
कुमति निवास सुमति के संगी ||

कंचन बरन बिराज सुबेसा |
कण कुंडल कुंचित केसा ||

हात वज्र औ दहेज बिराजे |
कंधे मुज जनेऊ सजी ||

संकर सुवन केसरीनंदन |
तेज प्रताप महा जग बंधन ||

विद्यावान गुने आती चतुर |
राम काज कैबे को आतुर ||


प्रभु चरित सुनिबे को रसिया |
राम लखन सीता मान बसिया ||


सुषम रूप धरी सियाही दिखावा |
बिकट रूप धरी लंक जरावा ||


भीम रूप धरी असुर सहरइ |
रामचंद्र के काज सवारे ||


लाये संजीवन लखन जियाये |
श्रीरघुवीर हर्षा उरे लाये ||


रघुपति किन्हें बहुत बड़ाई |
तुम मम प्रिये भारत सम भाई ||


सहरत बदन तुमर्हू जस गावे |
आस कही श्रीपति कान्त लगावे ||


संकदीक भ्रमधि मुनीसा |
नारद सरद सहित अहिसा ||


जम कुबेर दिगपाल जहा थी |
कवी कोविद कही सके कहा थी ||


तुम उपकार सुघुव कहिन |
राम मिलाये राज पद देंह ||


तुम्रहो मंत्र विभेक्षण मन |
लंकेश्वर भये सब जग जान ||


जुग सहेस जोजन पैर भानु |
लिन्यो ताहि मधुर फल जणू ||


प्रभु मुद्रिका मेली मुख माहि |
जलधि लाधी गए अचरज नहीं ||


दुर्गम काज जगत के जेते |
सुगम अनुग्रह तुमरे तेते ||


राम दुआरे तुम रखवारे |
हूट न आगया बिनु पसरे ||


सब सुख लहै तुम्हरे सरना |
तुम रचक कहू को डारना ||


आपण तेज सम्हारो आपे |
तेनो लोक हकतइ कापे ||


भुत पेसच निकट नहीं आवेह |
महावीर जब नाम सुनावेह ||


नसे रोग हरे सब पीरा |
जपत निरंतर हनुमत बल बीरा ||


संकट से हनुमान चुदावे |
मान कम बचन दायाँ जो लावे ||


सब पैर राम तपस्वी रजा |
तिन के काज सकल तुम सजा ||


और मनोरत जो कई लावे |
टसुये अमित जीवन फल पावे ||


चारो गुज प्रताप तुमारह |
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ||


साधू संत के तुम रखवारे |
असुर निकंदन राम दुलारे ||


अस्ट सीधी नवनिधि के डाटा |
अस वर दीं जानकी माता ||


राम रसायन तुम्हरे पासा |
सदा रहो रघुपति के दस ||


तुम्रेह भजन राम को भावे |
जनम जनम के दुःख बिस्रावे ||


अंत काल रघुबर पुर जी |
जहा जनम हरी भगत कहेई ||


और देवता चितन धरयो |
हनुमत सेये सर्व सुख करेई ||


संकट कटे मिटे सब पर |
जो सुमेरे हनुमत बलबीर ||


जय जय जय हनुमान गुसाई |
कृपा करो गुरु देव के नाइ ||


जो सैट बार पट कर कोई |
चुतेही बंधी महा सुख होई ||


जो यहे पड़े हनुमान चालीसा |
होए सीधी सा के गोरेसा ||


तुलसीदास सदा हरी चेरा |
कीजेये नाथ हृदये महा डेरा ||
पवनतनइ संकट हरण, मंगल मूर्ति रूप |
राम लखन सीता सहित , हदय बसहु सुर भूप | |

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