तीस्ता जल बंटवारे पर नहीं होगा समझौता!
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बंगलादेश की दो दिवसीय यात्रा पर मंगलवार को ढाका पहुंचे। इसके बाद वे प्रधानमंत्री कार्यालय गए। वहां भारत और बांग्लादेश के बीच विभिन्न मसलों को लेकर बातचीत शुरू हो गई है। यह वार्ता जारी है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि कुछ मसलों को लेकर भारतीय खेमें में चिंता बनी हुई है। माना जा रहा है कि वार्ता के बाद दोनों देश सीमा के आर-पार बहने वाली नदियों के बेसिन-वार व्यापक प्रबंधन विकसित कर सकते हैं।
दोनों देशों के बीच एक प्रोटोकॉल पर भी हस्ताक्षर होने की सम्भावना है, जिसके जरिए सीमा विवादों को सुलझाया जाएगा और सीमा के दोनों ओर स्थित एक-दूसरे की जमीनों व बस्तियों की अदला-बदली की जाएगी।
दिल्ली व ढाका के बीच अक्षय ऊर्जा, मत्स्यपालन और सुंदरबन में बाघों के संरक्षण सम्बंधी सहयोग भी हो सकते हैं।
इसके अलावा बांग्लादेश टेलीविजन और दूरदर्शन के बीच तथा ढाका विश्वविद्यालय और दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के बीच कार्यक्रमों के आदान-प्रदान सम्बंधी समझौते भी हो सकते हैं।
तीस्ता पर अटक सकती है बात
निजी चैनलों ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि तीस्ता जल बंटवारे पर भारत और बांग्लादेश के बीच कोई समझौता नहीं होगा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रस्तावित समझौता पर नाराजगी जाहिर की थी। इसी के चलते इस मसले पर सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए हैं। समझौते की संभावना के चलते ममता बनर्जी प्रधानमंत्री के साथ बांग्लादेश दौरे पर नहीं गई है। तीस्ता समझौते से पश्चिम बंगाल के कूचबिहार, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, उत्तर दीनाजपुर और दक्षिण दीनाजपुर सहित पांच जिले प्रभावित हो सकते हैं।
ढाका रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पूर्वोत्तर राज्यों की समृद्धि और स्थिरता के लिए बंगलादेश के साथ सहयोग बहुत जरूरी है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी मुद्दे पर सहयोगात्मक रूख को देखते हुए उम्मीद है कि इस यात्रा के दौरान भारत-बांग्लादेश के संबंधों में नए युग की शुरूआत होगी सिंह की यह पहली बंगलादेश यात्रा है।
इससे पहले जुलाई 1999 में ढाका से कोलाकाता के बीच एक बस सेवा का उद्घाटन करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बांग्लादेश गए थे। प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान पड़ोसी देश के साथ अनेक संधियों और समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है जिसमें सीमा प्रबंधन, जल संसाधन, व्यापार, पर्यावरण शिक्षा जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
प्रधानमंत्री के साथ बांग्लादेश यात्रा पर जाने वालों में उनकी पत्नी गुरशरण कौर विदेश मंत्री एस एम कृष्णा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन और विभिन्न मंत्रालयों के सचिव एवं अधिकारी शामिल है। इसके अलावा असम, मिजोरम,त्रिपुरा और मेघालय के मुख्यमंत्री शामिल हैं। प्रधानमंत्री अपनी इस यात्रा के दौरान शहीद स्मारक पर मुक्ति संग्राम के योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। वह बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के संग्रहालय का अवलोकन भी करेंगे। ढाका विश्वविद्यालय में भारत, बांग्लादेश और दक्षिण एशिया विषय पर व्याख्यान भी देंगे।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बंगलादेश की दो दिवसीय यात्रा पर मंगलवार को ढाका पहुंचे। इसके बाद वे प्रधानमंत्री कार्यालय गए। वहां भारत और बांग्लादेश के बीच विभिन्न मसलों को लेकर बातचीत शुरू हो गई है। यह वार्ता जारी है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि कुछ मसलों को लेकर भारतीय खेमें में चिंता बनी हुई है। माना जा रहा है कि वार्ता के बाद दोनों देश सीमा के आर-पार बहने वाली नदियों के बेसिन-वार व्यापक प्रबंधन विकसित कर सकते हैं।
दोनों देशों के बीच एक प्रोटोकॉल पर भी हस्ताक्षर होने की सम्भावना है, जिसके जरिए सीमा विवादों को सुलझाया जाएगा और सीमा के दोनों ओर स्थित एक-दूसरे की जमीनों व बस्तियों की अदला-बदली की जाएगी।
दिल्ली व ढाका के बीच अक्षय ऊर्जा, मत्स्यपालन और सुंदरबन में बाघों के संरक्षण सम्बंधी सहयोग भी हो सकते हैं।
इसके अलावा बांग्लादेश टेलीविजन और दूरदर्शन के बीच तथा ढाका विश्वविद्यालय और दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के बीच कार्यक्रमों के आदान-प्रदान सम्बंधी समझौते भी हो सकते हैं।
तीस्ता पर अटक सकती है बात
निजी चैनलों ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि तीस्ता जल बंटवारे पर भारत और बांग्लादेश के बीच कोई समझौता नहीं होगा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रस्तावित समझौता पर नाराजगी जाहिर की थी। इसी के चलते इस मसले पर सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए हैं। समझौते की संभावना के चलते ममता बनर्जी प्रधानमंत्री के साथ बांग्लादेश दौरे पर नहीं गई है। तीस्ता समझौते से पश्चिम बंगाल के कूचबिहार, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, उत्तर दीनाजपुर और दक्षिण दीनाजपुर सहित पांच जिले प्रभावित हो सकते हैं।
ढाका रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पूर्वोत्तर राज्यों की समृद्धि और स्थिरता के लिए बंगलादेश के साथ सहयोग बहुत जरूरी है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी मुद्दे पर सहयोगात्मक रूख को देखते हुए उम्मीद है कि इस यात्रा के दौरान भारत-बांग्लादेश के संबंधों में नए युग की शुरूआत होगी सिंह की यह पहली बंगलादेश यात्रा है।
इससे पहले जुलाई 1999 में ढाका से कोलाकाता के बीच एक बस सेवा का उद्घाटन करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बांग्लादेश गए थे। प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान पड़ोसी देश के साथ अनेक संधियों और समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है जिसमें सीमा प्रबंधन, जल संसाधन, व्यापार, पर्यावरण शिक्षा जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
प्रधानमंत्री के साथ बांग्लादेश यात्रा पर जाने वालों में उनकी पत्नी गुरशरण कौर विदेश मंत्री एस एम कृष्णा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन और विभिन्न मंत्रालयों के सचिव एवं अधिकारी शामिल है। इसके अलावा असम, मिजोरम,त्रिपुरा और मेघालय के मुख्यमंत्री शामिल हैं। प्रधानमंत्री अपनी इस यात्रा के दौरान शहीद स्मारक पर मुक्ति संग्राम के योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। वह बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के संग्रहालय का अवलोकन भी करेंगे। ढाका विश्वविद्यालय में भारत, बांग्लादेश और दक्षिण एशिया विषय पर व्याख्यान भी देंगे।
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