राजस्व रिकार्ड में नहीं है राष्ट्रीय मरू उद्यान
बाड़मेर। सरकारी कार्याें में लेटलतीफी, लालफीताशाही और आकंठ अंधेरगर्दी का आलम कहा जाएगा कि देश के गिने चुने और प्रदेश में जैव संरक्षण के सबसे बड़े राष्ट्रीय मरू उद्यान को उद्घोषणा के तीस साल बाद भी राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं किया गया है। ऎसा नहीं होने से अब कई समस्याएं खड़ी हो गई है।
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 1981 में राष्ट्रीय मरू उद्यान के लिए करीब सत्रह लाख हैक्टेयर जमीन बाड़मेर जैसलमेर जिले के सीमावर्ती 73 गावों में चिन्हित की गई। राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय मरू उद्यान तो उद्घोषित कर लिया गया, लेकिन इसका मानचित्र केवल वन विभाग के पास ही रहा। वन विभाग ने इसके अनुरूप जहां जहां जमीन है वहां पत्थर गाड़कर इनके नंबर अंकित कर दिए।
इसके बाद राजस्व विभाग और वन विभाग में एक बार भी तालमेल नहीं बैठा कि इस जमीन को राजस्व रिकार्ड में दर्ज किया जाए। राज्य सरकार द्वारा भी इसमें खास दिलचस्पी नहीं ली गई। वर्ष 2001 के बाद राज्य सरकार ने चार पांच बार निर्देश दिए कि इसको रिकार्ड में दर्ज करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाए लेकिन अब तक इस मामले में कोई खास प्रगति नहीं हुई है।
वनविभाग की सुस्त
जमीन के चिन्हिकरण के बाद वनविभाग की सुस्ती नहीं टूटी है। विभाग यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि हमने अपने पत्थर लगा दिए है और इसकी जानकारी राजस्व महकमे को है। महकमा इस आधार पर राजस्व रिकार्ड में मरूउद्यान को दर्ज कर सकता है।
राजस्व विभाग के सामने समस्या
राजस्व विभाग के जानकारों का कहना है कि सरकारी जमीन के अलावा खातेदारी जमीन भी है। इन काश्तकारों की जमीन को अभी तक अवाप्त नहीं किया गया है। ऎसे में उनकी जमीन को वनविभाग के नाम करना मुमकिन नहीं है।
दर्ज नहीं है
मरू उद्यान राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं है। अभी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
- नखतदान बारहठ,
उपखण्ड अधिकारी, शिव
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