शाहगढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित फायरिंग रेंज के लिए जमीन आवंटन
अब पेट्रोलियम मंत्रालय का अड़ंगा
जैसलमेर। राजस्थान से सटी पश्चिमी सीमा पर भविष्य में सेना की जरूरतों के मद्देनजर जैसलमेर जिले के शाहगढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित फायरिंग रेंज के लिए जमीन आवंटन में अब पेट्रोलिय मंत्रालय ने अडंगा लगा दिया है। विश्व की सम्भवत: सबसे बड़ी फायरिंग रेंज के लिए भूमि आवंटन का मामला करीब आठ साल से अटका हुआ है। अब रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय टीम सम्बंधित पक्षों से बात करने आगामी 29 व 30 अगस्त को दिल्ली से जैसलमेर पहंुचेगी।
प्रतिरक्षा सूत्रों के अनुसार शाहगढ़ बल्ज क्षेत्र में प्रस्तावित फायरिंग रेंज के लिए 9.65 लाख बीघा भूमि के आवंटन का मामला बार-बार अटक रहा है। ताजा आपत्ति पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से जताई गई है। मंत्रालय का कहना है कि क्षेत्र में ओएनजीसी और फोकस एनर्जी तेल व गैस की खोज कर रही हैं। इन कम्पनियों को ब्लॉक आवंटित किए गए है। फायरिंग रेंज के लिए जमीन आवंटित हुई तो तेल कंपनियों का काम ठप हो जाएगा।
विरोध-दर-विरोध
रक्षा मंत्रालय ने शाहगढ़ बल्ज में जमीन आवंटित करने के लिए 8 जनवरी, 2003 को राजस्थान सरकार को पत्र भेजा था। बाद में गृह विभाग ने जैसलमेर जिला कलक्टर को प्रस्ताव भेजकर सर्वे करने को कहा था। प्रस्ताव के अनुसार साढ़े नौ लाख बीघा भूमि चिह्नित की थी। वर्ष 2006 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जैसलमेर दौरे पर आई तब ग्रामीणों ने फायरिंग रेंज के लिए जमीन आवंटित नहीं करने की गुहार की थी।
इसलिए है जरूरत
भविष्य में आधुनिक तकनीक व हथियारों से होने वाले युद्ध के लिए सेना को विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता है। सेना प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल एसडी गोस्वामी का कहना है कि सेना की मारक क्षमता में वृृद्धि करने तथा विशेष प्रशिक्षण के लिए जमीन की जरूरत है।
इनका कहना है
"पेट्रोलियम मंत्रालय के विरोध के कारण जमीन का आवंटन अटका है। आगामी 29 अगस्त को रक्षा मंत्रालय का दल जैसलमर आकर दोनों पक्षों को सुनेगा।"
-एमपी स्वामी, जिला कलक्टर, जैसलमेर
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