पटरी पर लौटने लगी जिंदगी
जैसलमेर। जिले के ग्रामीणांचलों में दो दिन पूर्व हुई अतिवृष्टि से प्रभावित इलाको में अब जिंदगियां फिर से पटरी पर लौटने लगी हैं। प्रभावित परिवार अपने घरों में रखे सामान की सार-संभाल में जुट गए हैं और बिखरे आशियाने संभालने मे लगे हैं। इन क्षेत्रों में बारिश के तीन दिन बाद भले ही आफत के बादल छंट गए हैं, लेकिन लोगों के दिलोदिमाग में अभी भी भय छाया हुआ है। धीरे-धीरे मौसम साफ होता देख ये लोग अब राहत महसूस करने लगे हैं।
फतेहगढ़ क्षेत्र के साजीत गांव के बाशिंदे शैतानाराम, नरपतसिंह व गणपतसिंह अपने उजड़े आशियाने फिर से संवारने में लगे हुए हैं, लेकिन अब भी वे जब आसमान मे गुजरते बादलो को देखते हंै तो उनका दिल फिर से बैठ जाता है। फतेहगढ़ क्षेत्र में तीन दिन पूर्व हुई बारिश के दौरान निचले इलाकों में बसे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई थीं।
कुछेक स्थानों पर दो से तीन फीट पानी जमा होने से इन परिवारों को ऊंचाई वाले स्थानों पर शरण लेनी पड़ी। वहीं घरों में बारिश का पानी घुसने से नुकसान की आशंका घिर आई। ऎसे में न घर मे चूल्हा जला और न ही पेट को ही भूख लगी। जब एक-एक कर धोरे टूटे तो पानी की रफ्तार और बढ़ गई।
बरसाती पानी ने फतेहगढ़, मण्डाई, कुण्डा, रीवड़ी व साजीत पहुंच कर कई परिवारों की मुश्किलें बढ़ा दी। फतेहगढ़ व साजीत मे अब हालात सामान्य हो रहे हंै, लेकिन दो दिन पहले जब यहां बरसाती पानी तेज बहाव के साथ पहुंचा था तो लोगो को पानी के सिवाय कुछ नजर नहीं आ रहा था। साजीत मे कई लोगों को स्कूल मे शरण लेनी पड़ी तो कुछ लोगों ने टीले पर बैठकर सरकारी सहायता के लिए पथराई नजरो से इंतजार किया। आफत बनकर आसमान से बरसा पानी जिले के साजीत, कुण्डा, झिनझिनयाली, बसिया क्षेत्र व आसपास के इलाको में बसे लोगों के लिए जी का जंजाल बन गया।
सड़कें क्षतिग्रस्त बिजली के तार टूटे
बारिश का दौर थमने के बाद भी अभी तक क्षेत्र के बाशिंदो का जनजीवन पूरी तरह से समान्य नहीं हो पाया है। रफ्तार के साथ आए बरसाती पानी ने उनके आशियानो को तो नुकसान पहुंचाया ही साथ ही मूलभूत सुविधाएं भी प्रभावित हुईं हैं। कहीं पर बिजली के तार टूट गए हैं तो फतेहगढ़ के समीप सड़क भी बरसाती पानी के बहाव से क्षतिग्रस्त हो गया। जगह-जगह सड़को पर कटाव व बिखरा डामर अतिवृष्टि का कहर बयां कर रहे हैं। इन सबके बीच एक बार फिर नई सुबह मे अपनी सामान्य दिनचर्या को जीने की कोशिश मे ग्रामीण जुटे हुए हंै।
जैसलमेर। जिले के ग्रामीणांचलों में दो दिन पूर्व हुई अतिवृष्टि से प्रभावित इलाको में अब जिंदगियां फिर से पटरी पर लौटने लगी हैं। प्रभावित परिवार अपने घरों में रखे सामान की सार-संभाल में जुट गए हैं और बिखरे आशियाने संभालने मे लगे हैं। इन क्षेत्रों में बारिश के तीन दिन बाद भले ही आफत के बादल छंट गए हैं, लेकिन लोगों के दिलोदिमाग में अभी भी भय छाया हुआ है। धीरे-धीरे मौसम साफ होता देख ये लोग अब राहत महसूस करने लगे हैं।
फतेहगढ़ क्षेत्र के साजीत गांव के बाशिंदे शैतानाराम, नरपतसिंह व गणपतसिंह अपने उजड़े आशियाने फिर से संवारने में लगे हुए हैं, लेकिन अब भी वे जब आसमान मे गुजरते बादलो को देखते हंै तो उनका दिल फिर से बैठ जाता है। फतेहगढ़ क्षेत्र में तीन दिन पूर्व हुई बारिश के दौरान निचले इलाकों में बसे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई थीं।
कुछेक स्थानों पर दो से तीन फीट पानी जमा होने से इन परिवारों को ऊंचाई वाले स्थानों पर शरण लेनी पड़ी। वहीं घरों में बारिश का पानी घुसने से नुकसान की आशंका घिर आई। ऎसे में न घर मे चूल्हा जला और न ही पेट को ही भूख लगी। जब एक-एक कर धोरे टूटे तो पानी की रफ्तार और बढ़ गई।
बरसाती पानी ने फतेहगढ़, मण्डाई, कुण्डा, रीवड़ी व साजीत पहुंच कर कई परिवारों की मुश्किलें बढ़ा दी। फतेहगढ़ व साजीत मे अब हालात सामान्य हो रहे हंै, लेकिन दो दिन पहले जब यहां बरसाती पानी तेज बहाव के साथ पहुंचा था तो लोगो को पानी के सिवाय कुछ नजर नहीं आ रहा था। साजीत मे कई लोगों को स्कूल मे शरण लेनी पड़ी तो कुछ लोगों ने टीले पर बैठकर सरकारी सहायता के लिए पथराई नजरो से इंतजार किया। आफत बनकर आसमान से बरसा पानी जिले के साजीत, कुण्डा, झिनझिनयाली, बसिया क्षेत्र व आसपास के इलाको में बसे लोगों के लिए जी का जंजाल बन गया।
सड़कें क्षतिग्रस्त बिजली के तार टूटे
बारिश का दौर थमने के बाद भी अभी तक क्षेत्र के बाशिंदो का जनजीवन पूरी तरह से समान्य नहीं हो पाया है। रफ्तार के साथ आए बरसाती पानी ने उनके आशियानो को तो नुकसान पहुंचाया ही साथ ही मूलभूत सुविधाएं भी प्रभावित हुईं हैं। कहीं पर बिजली के तार टूट गए हैं तो फतेहगढ़ के समीप सड़क भी बरसाती पानी के बहाव से क्षतिग्रस्त हो गया। जगह-जगह सड़को पर कटाव व बिखरा डामर अतिवृष्टि का कहर बयां कर रहे हैं। इन सबके बीच एक बार फिर नई सुबह मे अपनी सामान्य दिनचर्या को जीने की कोशिश मे ग्रामीण जुटे हुए हंै।
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