मंगलवार, 30 अगस्त 2011

लोकायुक्त के मुद्दे पर संसद में हंगामा

लोकायुक्त के मुद्दे पर संसद में हंगामा

नई दिल्ली। गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनो में मंगलवार को जमकर हंगामा हुआ। लोकसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा में भी हंगामा होने के कारण तीन बार सदन की कार्यवाही स्थगित की गई।

लोकसभा में भाजपा सांसद लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात सरकार की सलाह के बगैर राज्यपाल कमला बेनीवाल की ओर से लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला उठाया। आडवाणी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह गुजरात के संघात्मक ढांचे पर पिछले कुछ वर्षो से लगातार प्रहार करती आ रही है। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति के पास जाकर राज्यपाल को बुलाए जाने की मांग करेंगे।

उनके इस भाषण के बीच सत्ता पक्ष के सदस्यों ने राज्य के पूर्व गृहमंत्री हरेन पंडया की हत्या के आरोपियों को बरी किए जाने के मुद्दे पर टोकाटोकी शुरू कर दी। उपाध्यक्ष करिया मुंडा ने सदस्यों को किसी तरह शांत कराया और आडवाणी ने अपना भाषण पूरा किया। इसके बाद कांग्रेस के जगदीश ठाकुर ने पंडया हत्याकांड का मसला उठाया और इसके लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया।

उनके संबोधन के बीच भाजपा सदस्य उठ खडे हुए और लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे पर पहले सरकार से जवाब देने को कहा। सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिलता देख भाजपा सदस्य उžोजित होकर हंगामा करने लगे। अंतत: उपाध्यक्ष को सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी। उल्लेखनीय है कि भाजपा के हरेन पाठक ने लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे पर लोकसभा में नोटिस दिया था।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने शून्यकाल के दौरान गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति की प्रçRया का पुरजोर विरोध किया। उनका कहना था कि राज्यपाल ने संविधान के विरूद्ध कदम उठाया है और यदि इसे सहन कर लिया गया तो दूसरे राज्यों में भी केंद्र सरकार अपने राज्यपालों के बहाने राज्यों में प्रशासनिक नियुक्तियां करने लगेगी।

सभापति हामिद अंसारी ने नियमों का हवाला देते हुए जेटली से कहा कि उच्च अधिकार वाले पदों पर आसीन व्यक्तियों के आचरण के बारे में चर्चा सदन में नहीं की जा सकती। जेटली का कहना था कि 2007 में दी गई एक व्यवस्था के अनुसार राज्यपाल के ऎसे फैसलों पर चर्चा की जा सकती है जो राज्य की मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना लिए गए हों।

नियमों की खींचतान में कांग्रेस के सदस्य भी खडे होकर अपनी बात कहने लगे। सभापति ने इस स्थिति को शांत करने के लिए सदन की कार्यवाही पहले दस मिनट के लिए और फिर दूसरी बार दस मिनट के लिए स्थगित की। आखिरकार तीसरी बार कार्यवाही दोपहर बाद दो बजे तक टाली गई।

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