शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

कराची से आए कॉल्स में थी भारत में हमले की बात, आईबी ने किया था आगाह

मुंबई. इंटेलीजेंस ब्यूरो ने महाराष्ट्र के एंटी टैरर स्क्वाड (एटीएस) को पहले ही चेतावनी दे दी थी कि इंडियन मुजाहिदीन फिर एकजुट होकर मजबूत हो गया है और उसने भारत में अपने ‘स्लीपर सेल’ फिर सक्रिय कर दिए हैं। आईबी ने चेतावनी दी थी कि निकट भविष्य में देश पर आतंकी हमले की पूरी आशंका है, लेकिन एटीएस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। और नतीजे में मुंबई में बुधवार को बड़ा आतंकी हमला हो गया।  
हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को मुंबई में कहा था कि फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि आतंकवादियों का कौन सा समूह इसमें शामिल है। लेकिन जांच कर रही एजेंसियों को इस बात के सुबुत लगातार मिल रहे हैं कि इसमें इंडियन मुजाहिदीन का हाथ है। जानकारी के अनुसार आईबी ने इसी साल कुछ फोन कॉल इंटरसेप्ट किए थे, जो शारजाह और कराची से किए गए थे। बातचीत करने वाले इंडियन मुजाहिदीन के कमांडर और पाकिस्तान में बैठे उनके आका थे। बातचीत में भारत में हमले के षडयंत्र का कई बार जिक्र किया गया।  
इसके तुरंत बाद आईबी ने आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की एटीएस को सतर्क कर दिया था। लेकिन मुंबई पुलिस और एटीएस ने इस सूचना पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। 
नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) की जांच में भी शक की सुई इंडियन मुजाहिदीन पर टिक गई है। एजेंसी के सूत्रों के अनुसार बुधवार को हुए हमले का तरीका और इस्तेमाल किया गया सामान, साफ तौर पर आईएम की तरफ संकेत करते हैं।   
आईएम ने हाल ही में नए आतंकियों को संगठन में शामिल किया है। करीब सात-आठ लोगों के इस समूह के मुंबई के अंडरवर्ल्ड से भी संबंध हैं। इनमें तीन आंध्र प्रदेश के युवक भी हैं और आंध्र प्रदेश पुलिस के एटीएस, जिसका नाम ऑक्टोपस है, को भी आईएम के षडयंत्र की जानकारी है।    
इंटेलीजेंस सूत्रों ने बताया कि आईएम के अलावा लश्कर-ए-तैय्यबा और हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी (हूजी) भी संदेह के घेरे में हैं। लश्कर का मुख्यालय पाकिस्तान में है। दोनों का भारत में नेटवर्क है और इन संगठनों के करीब २४ आतंकवादी भारत में विभिन्न जेलों में बंद हैं। अब पुलिस इन आतंकियों से भी नए सिरे से पूछताछ कर रही है।  
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सुरक्षा ऐजेंसियां देश में आतंकवादियों के नेटवर्क को नष्ट कर देते तो शायद आज यह नौबत नहीं आती। सुरक्षा विशेषज्ञ अजय साहनी के अनुसार आतंकियों के देश में सक्रिय स्लीपर सेल को नियंत्रित करने की जरुरत है और यह हम नहीं कर सके हैं। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें