विश्व के विलुप्तप्राय: एवं राज्य पक्षी जुजुराना के प्रजनन पर फिर संकट खड़ा हो गया है। बीते वर्ष की तरह इस बार भी वाइल्ड लाइफ विंग को जुजुराना प्रजनन में असफलता हाथ लगी। सराहन फिजेंटरी में जुजुराना को बीमारी फैलने से प्रजनन में मुश्किलें आ रही हैं। ऐसे में जुजुराना की संख्या को बढ़ाने में विभाग के समक्ष चुनौती खड़ी हो गई।
यह सबसे शर्मीला पक्षी माना जाता है इसलिए विभाग को जुजुराना प्रजनन में काफी मुश्किलें आती हैं। 1993 में वाइल्ड लाइफ विंग को इसके प्रजनन में पहली बार सफलता मिली और उसके बाद तीन बार जुजुराना का सफल प्रजनन हुआ।
पिछले कुछ वर्षो से प्रजनन में विभाग को निराशा हाथ लग रही है। बीते वर्ष सराहन फिजेंटरी में जुजुराना में बीमारी फैल गई। इसमें मादा जुजुराना इस बीमारी की चपेट में आ गई। मादा जुजुराना के पोस्टमार्टम के बाद उसमें विद्यमान अंड़ों की खराबी भी पाई गई।
कंट्रोल ब्रिडिंग भी असफल
वाइल्ड लाइफ विंग को इस बार कंट्रोल ब्रिडिंग में भी सफलता नहीं मिली है। सूत्रों के अनुसार मादा जुजुराना अंडे देने में ही सक्षम नहीं है। सराहन फिजेंटरी में 10 नर व 9 मादा जुजुराना हैं। मादा जुजुराना द्वारा दिए जाने वाले अंडे का सेल भी पतला है। इससे कंट्रोल ब्रिडिंग में भी सफलता नहीं मिल पा रही है। फिजेंटरी में मादा जुजुराना में फैली बीमारियों पर रोकथाम न होने से प्रजनन ही रूक गया है।
सराहन में बीमारी फैलने के मद्देनजर देहरादून से एक वैज्ञानिक यहां आए हैं। वे तीन वर्ष तक जुजुराना पर शोध करेंगे। वैज्ञानिक फिजेंटरी में जुजुराना के व्यवहार व प्रजनन से जुड़ी गतिविधियों पर अध्ययन कर रहे हैं ताकि भविष्य में ब्रिडिंग व प्रजनन में तकनीक का इस्तेमाल किया जा सके। दारनघाटी व रूपी-भावा सेंक्चुरी में भी प्रजनन व संरक्षण पर अध्ययन जारी है।
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