नई दिल्ली. रणनीति तैयार करने वाली एक अमेरिकी संस्था ने आगाह किया है कि पारंपरिक सैन्य ऑपरेशन में भारत से पीछे पाकिस्तान कम क्षमता वाले परमाणु हथियार तैनात कर सकता है। कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की तरफ से जारी ताज़ा रिपोर्ट में इस बारे में चेतावनी दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार इन हथियारों के इस्तेमाल पर विचार कर सकती है।अपनी परमाणु क्षमता को बढ़ाने के अलावा पाकिस्तान उन हालातों की सूची में भी इजाफा कर सकता है, जिसमें वह अपने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को सही ठहरा सकता है।
सीआरएस की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान चाहता है कि भारत समेत पूरी दुनिया यह अंदाजा ही लगाती रहे कि वह कौन सी परिस्थिति होगी जब पाकिस्तान अपने ऐटमी हथियारों का इस्तेमाल करेगा। इनमें पाकिस्तान का एक देश के तौर पर नाकाम हो जाना, किसी बड़े शहर पर हमला होना या फिर सीमा पर हलचल जैसे हालात शामिल हैं।
रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि पाकिस्तान के पास 90-110 की संख्या में परमाणु हथियार हैं। जबकि भारत के पास 60-100 की संख्या में ये हथियार है। रिपोर्ट में इस बात पर भी चिंता जताई गई है कि पाकिस्तान में अस्थिर सरकार और चरमपंथी ताकतों के बढ़ते वर्चस्व के बीच परमाणु हथियारों की असुरक्षा बढ़ गई है।रिपोर्ट के मुताबिक कुछ महीने पहले पाकिस्तान ने दुनिया को तब अचंभित कर दिया था जब सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों ने साफ कर दिया था कि पाकिस्तान ने खुशाब परमाणु संयंत्र का काम पूरा कर लिया है। इससे भारत में इस बात को लेकर चिंता बढ़ गई थी कि पाकिस्तान चीन की तर्ज पर कम क्षमता वाले रणनीतिक परमाणु हथियार तैयार कर रहा है, जिसका इस्तेमाल सीमा पर तनाव बढ़ने के समय भारत के खिलाफ किया जा सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक ऐटमी हथियार बनाने के लिए प्लूटोनियम का उत्पादन कर रहा है। इसके अलावा खुशाब में ही पाकिस्तान दो नए वॉटर रिएक्टर बना रहा है, जो उसकी प्लूटोनियम बनाने की क्षमता को कई गुना बढ़ा देंगे। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को चीन चोरी छिपे मदद कर रहा है। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि पाकिस्तान ने जिस तेजी से खुशाब में काम पूरा किया है, उससे लगता है कि चीन ने उसे यूरेनियम की सप्लाई की है। 2009 तक खुशाब रिएक्टर वजूद में भी नहीं था।
सीआरएस की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान चाहता है कि भारत समेत पूरी दुनिया यह अंदाजा ही लगाती रहे कि वह कौन सी परिस्थिति होगी जब पाकिस्तान अपने ऐटमी हथियारों का इस्तेमाल करेगा। इनमें पाकिस्तान का एक देश के तौर पर नाकाम हो जाना, किसी बड़े शहर पर हमला होना या फिर सीमा पर हलचल जैसे हालात शामिल हैं।
रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि पाकिस्तान के पास 90-110 की संख्या में परमाणु हथियार हैं। जबकि भारत के पास 60-100 की संख्या में ये हथियार है। रिपोर्ट में इस बात पर भी चिंता जताई गई है कि पाकिस्तान में अस्थिर सरकार और चरमपंथी ताकतों के बढ़ते वर्चस्व के बीच परमाणु हथियारों की असुरक्षा बढ़ गई है।रिपोर्ट के मुताबिक कुछ महीने पहले पाकिस्तान ने दुनिया को तब अचंभित कर दिया था जब सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों ने साफ कर दिया था कि पाकिस्तान ने खुशाब परमाणु संयंत्र का काम पूरा कर लिया है। इससे भारत में इस बात को लेकर चिंता बढ़ गई थी कि पाकिस्तान चीन की तर्ज पर कम क्षमता वाले रणनीतिक परमाणु हथियार तैयार कर रहा है, जिसका इस्तेमाल सीमा पर तनाव बढ़ने के समय भारत के खिलाफ किया जा सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक ऐटमी हथियार बनाने के लिए प्लूटोनियम का उत्पादन कर रहा है। इसके अलावा खुशाब में ही पाकिस्तान दो नए वॉटर रिएक्टर बना रहा है, जो उसकी प्लूटोनियम बनाने की क्षमता को कई गुना बढ़ा देंगे। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को चीन चोरी छिपे मदद कर रहा है। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि पाकिस्तान ने जिस तेजी से खुशाब में काम पूरा किया है, उससे लगता है कि चीन ने उसे यूरेनियम की सप्लाई की है। 2009 तक खुशाब रिएक्टर वजूद में भी नहीं था।
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