सैनिकों पर भारी शराब की खुमारी
जोधपुर। तनाव के चलते शराब का नशा सेना के कई जवानों पर भारी पड़ने लगा है। इनमें कुछ ने तो सेना में भर्ती होने के बाद ही शराब पीना सीखा। अब नियमित रूप से अधिक शराब पीने की आदत उन पर हावी होती जा रही है। कुछ जवान ड्यूटी के दौरान भी नशे की हालत में पाए जा चुके हैं।
यूनिट कमाण्डेंट ऎसे जवानों को तत्काल मिलिट्री अस्पताल के मनोविकार विभाग में भेज रहे हैं। वहां उनको महीने भर वार्ड में भर्ती रखकर उपचार किया जा रहा है। इक्का दुक्का मामलों में शराब की लत के कारण सैनिकों को नौकरी तक से हाथ धोना पड़ा है।
इस समय सैनिकों को दो तरह के तनाव से गुजरना पड़ रहा है। पहला ऑपरेशनल (ड्यूटी सम्बन्धी) और दूसरा घरेलू। ड्यूटी का तनाव घर तक पहुंच रहा है। इसके ठीक विपरीत ड्यूटी के दौरान घर की चिंता भी सैनिकों में तनाव बढ़ा रही है। इनके चलते वे प्रतिदिन अधिक शराब का सेवन करने लगे हैं। सैनिकों को चूंकि कैंटीन में सस्ती शराब मिल जाती अत: तनाव कम करने को वे इसका सहारा लेने लगे हैं।
30 में से 18 एडीएस के शिकार
मिलिट्री अस्पताल के मनोविकार वार्ड में तीस बेड हैं। ये न केवल हर समय भरे रहते हैं, बल्कि मरीजों की संख्या कई बार 35 को भी पार कर जाती है। तब वार्ड में वैकल्पिक इंतजाम करने पड़ते हैं। वार्ड में हर समय 50 से 60 फीसदी मरीज एल्कोहलिक डिपेंडेंट सिन्ड्रोम (एडीएस) की बीमारी के होते हैं।
ऎसे मरीजों को ड्यूटी समय में शराब के सेवन का दोषी पाए जाने पर उनकी यूनिट के कमाण्डेंट यहां रैफर कर देते हैं। यहां ठीक नहीं होने पर जयपुर और अंतिम रूप से उनको दिल्ली स्थित देश के सेना के सबसे बड़े "रिसर्च एण्ड रैफरल अस्पताल " भेजा जाता है। यहां भी कोई सुधार नहीं आने पर उसे सेना से निकाल दिया जाता है।
मामले सामने आए हैं
सेना में तनाव के कारण ऎसे मामले सामने आए हैं। कई सैनिकों को ठीक करके वापस यूनिट में भेजा गया है। जबकि कुछ सैनिकों का अभी इलाज चल रहा है।
-एसडी गोस्वामी, प्रवक्ता, सेना
जोधपुर। तनाव के चलते शराब का नशा सेना के कई जवानों पर भारी पड़ने लगा है। इनमें कुछ ने तो सेना में भर्ती होने के बाद ही शराब पीना सीखा। अब नियमित रूप से अधिक शराब पीने की आदत उन पर हावी होती जा रही है। कुछ जवान ड्यूटी के दौरान भी नशे की हालत में पाए जा चुके हैं।
यूनिट कमाण्डेंट ऎसे जवानों को तत्काल मिलिट्री अस्पताल के मनोविकार विभाग में भेज रहे हैं। वहां उनको महीने भर वार्ड में भर्ती रखकर उपचार किया जा रहा है। इक्का दुक्का मामलों में शराब की लत के कारण सैनिकों को नौकरी तक से हाथ धोना पड़ा है।
इस समय सैनिकों को दो तरह के तनाव से गुजरना पड़ रहा है। पहला ऑपरेशनल (ड्यूटी सम्बन्धी) और दूसरा घरेलू। ड्यूटी का तनाव घर तक पहुंच रहा है। इसके ठीक विपरीत ड्यूटी के दौरान घर की चिंता भी सैनिकों में तनाव बढ़ा रही है। इनके चलते वे प्रतिदिन अधिक शराब का सेवन करने लगे हैं। सैनिकों को चूंकि कैंटीन में सस्ती शराब मिल जाती अत: तनाव कम करने को वे इसका सहारा लेने लगे हैं।
30 में से 18 एडीएस के शिकार
मिलिट्री अस्पताल के मनोविकार वार्ड में तीस बेड हैं। ये न केवल हर समय भरे रहते हैं, बल्कि मरीजों की संख्या कई बार 35 को भी पार कर जाती है। तब वार्ड में वैकल्पिक इंतजाम करने पड़ते हैं। वार्ड में हर समय 50 से 60 फीसदी मरीज एल्कोहलिक डिपेंडेंट सिन्ड्रोम (एडीएस) की बीमारी के होते हैं।
ऎसे मरीजों को ड्यूटी समय में शराब के सेवन का दोषी पाए जाने पर उनकी यूनिट के कमाण्डेंट यहां रैफर कर देते हैं। यहां ठीक नहीं होने पर जयपुर और अंतिम रूप से उनको दिल्ली स्थित देश के सेना के सबसे बड़े "रिसर्च एण्ड रैफरल अस्पताल " भेजा जाता है। यहां भी कोई सुधार नहीं आने पर उसे सेना से निकाल दिया जाता है।
मामले सामने आए हैं
सेना में तनाव के कारण ऎसे मामले सामने आए हैं। कई सैनिकों को ठीक करके वापस यूनिट में भेजा गया है। जबकि कुछ सैनिकों का अभी इलाज चल रहा है।
-एसडी गोस्वामी, प्रवक्ता, सेना
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