जालंधर।। दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी पर आरोप लगाते हुए कहा कि कमिटी ने जानबूझ कर पैसों के लालच में 'गुरुवाणी' में हेरफेर कर 'गुरुग्रंथ साहिब' का प्रकाशन किसी निजी प्रेस में करवाया है।
दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने इस संबंध में जालंधर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (देहात) को एक आवेदन भी सौंपा है और इसमें शामिल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
दिल्ली गुरूद्वारा प्रबंधक कमिटी की धर्म प्रचार कमिटी के प्रमुख तरसेम सिंह ने कहा, 'पैसों के लालच में गुरुग्रंथ साहिब का निजी प्रेस में प्रकाशन करवाया गया और इसके लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ही पूरी तरह जिम्मेदार है।'
उन्होंने आरोप लगाया, 'गुरुवाणी में हेरफेर करने के बाद इसकी प्रांच प्रतियां प्रकाशित की गईं और इसे सूबे के विभिन्न गुरुद्वारों में रखवाया गया। यह गुरुग्रंथ साहिब का अपमान है और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ अकाल तख्त को कार्रवाई करनी चाहिए।'
तरसेम सिंह ने कहा कि निजी प्रेस से इसका प्रकाशन करने की इजाजत देने वाले, प्रकाशक और इसे अंतिम रूप देने वाले के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए और उसे अकाल तख्त में पेश होने के लिए कहा जाना चाहिए।
तरसेम सिंह ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब की पांच प्रति के प्रकाशन में 11 लाख रुपए का खर्चा आया है जबकि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी केवल 1100 रुपए में एक प्रति उपलब्ध करवाती है। उन्होंने यह भी मांग की कि ये पैसे किसके खाते में गए, इसकी भी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि नई प्रकाशित प्रति को किस प्रकाशक ने छापा है, पुस्तक पर इसकी जानकारी नहीं है। यह कानून का उल्लंघन है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसजीपीसी प्रमुख अवतार सिंह मक्कड़ के बेटे के साले के प्रेस में इन प्रतियों का प्रकाशन हुआ है।
दिल्ली कमिटी को कांग्रेस का एजेंट बताने के लिए शिरोमणि कमिटी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब प्रकाशन करने का अधिकार केवल शिरोमणि कमिटी और दिल्ली कमिटी के पास है। इसका प्रकाशन इन कमिटियों के प्रेस से होता है फिर बाहर से इसका प्रकाशन कैसे कराया गया।
उन्होंने कहा कि जब प्रकाशन करवाने वाले प्रवासी भारतीय सुलक्षण सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि इसकी इजाजत उन्होंने शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमिटी से ले ली थी।
सिंह ने यह भी कहा कि इस साल अप्रैल में अमृतसर के एक निजी प्रकाशक को एसजीपीसी के ' हुकमनामा' का उल्लंघन कर गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाशन करने के आरोप में 'अकाल तख्त' के समक्ष हाजिर होने का निर्देश दिया था। इसी तरह एसजीपीसी इस प्रकाशक के खिलाफ भी कार्रवाई करे।
दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने इस संबंध में जालंधर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (देहात) को एक आवेदन भी सौंपा है और इसमें शामिल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
दिल्ली गुरूद्वारा प्रबंधक कमिटी की धर्म प्रचार कमिटी के प्रमुख तरसेम सिंह ने कहा, 'पैसों के लालच में गुरुग्रंथ साहिब का निजी प्रेस में प्रकाशन करवाया गया और इसके लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ही पूरी तरह जिम्मेदार है।'
उन्होंने आरोप लगाया, 'गुरुवाणी में हेरफेर करने के बाद इसकी प्रांच प्रतियां प्रकाशित की गईं और इसे सूबे के विभिन्न गुरुद्वारों में रखवाया गया। यह गुरुग्रंथ साहिब का अपमान है और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ अकाल तख्त को कार्रवाई करनी चाहिए।'
तरसेम सिंह ने कहा कि निजी प्रेस से इसका प्रकाशन करने की इजाजत देने वाले, प्रकाशक और इसे अंतिम रूप देने वाले के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए और उसे अकाल तख्त में पेश होने के लिए कहा जाना चाहिए।
तरसेम सिंह ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब की पांच प्रति के प्रकाशन में 11 लाख रुपए का खर्चा आया है जबकि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी केवल 1100 रुपए में एक प्रति उपलब्ध करवाती है। उन्होंने यह भी मांग की कि ये पैसे किसके खाते में गए, इसकी भी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि नई प्रकाशित प्रति को किस प्रकाशक ने छापा है, पुस्तक पर इसकी जानकारी नहीं है। यह कानून का उल्लंघन है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसजीपीसी प्रमुख अवतार सिंह मक्कड़ के बेटे के साले के प्रेस में इन प्रतियों का प्रकाशन हुआ है।
दिल्ली कमिटी को कांग्रेस का एजेंट बताने के लिए शिरोमणि कमिटी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब प्रकाशन करने का अधिकार केवल शिरोमणि कमिटी और दिल्ली कमिटी के पास है। इसका प्रकाशन इन कमिटियों के प्रेस से होता है फिर बाहर से इसका प्रकाशन कैसे कराया गया।
उन्होंने कहा कि जब प्रकाशन करवाने वाले प्रवासी भारतीय सुलक्षण सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि इसकी इजाजत उन्होंने शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमिटी से ले ली थी।
सिंह ने यह भी कहा कि इस साल अप्रैल में अमृतसर के एक निजी प्रकाशक को एसजीपीसी के ' हुकमनामा' का उल्लंघन कर गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाशन करने के आरोप में 'अकाल तख्त' के समक्ष हाजिर होने का निर्देश दिया था। इसी तरह एसजीपीसी इस प्रकाशक के खिलाफ भी कार्रवाई करे।
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