न्यूयॉर्क। कुछ समय पहले ही विश्व स्तर पर प्रसिद्ध अंग्रेजी पत्रिका 'टाइम' के मुखपृष्ठ पर आपने इस लड़की की फोटो देखी और अंदर के पेजों पर इसकी दर्द भरी कहानी पढ़ी होगी। अफगानिस्तान में रहने वाली बीबी आयशा नामक यह लड़की तालिबानी राक्षसों की हैवानियत का शिकार हो गई थी और तालिबानी फरमान के बाद इसके पति व ससुर ने ही इसकी नाक और कान काट दिए थे। इस घटना को लेकर पूरे विश्व में तालिबान पर लोगों ने लानतें भेजी थीं।
लेकिन अब आयशा को अमेरिका में हुए रिकंसट्रक्टिव सर्जरी द्वारा नवजीवन मिल गया है। उसकी नाक व कान की सर्जरी कर दी गई है और अब इस मासूम के चेहरे पर पहले जैसी मुस्कान लौट आई है। हां, लेकिन पति और ससुर द्वारा खेले गये इस दरिंदगी भरे खेल को वह शायद कभी न भुला पाएगी, जो रह-रहकर उसे डराता रहेगा।
उल्लेखनीय है कि आयशा के ससुर ने पहले अपना गुनाह भी कुबूल कर लिया था, लेकिन बाद में वह इस बात से मुकर गया। और उसे सजा देने की बजाय हाल ही में रिहा कर दिया गया है। दुख की बात तो यह है कि ससुर की रिहाई के फैसले को लेकर अफगानिस्तान के अटॉर्नी गुलाम फारुक ने भी सही करार दिया है। उनका कहना है कि इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्याद उछाल दिया गया है।
अगस्त 2010 में घटित इस मामले में गिरफ्तार एकमात्र आरोपी यानी की आयशा के ससुर की रिहाई को लेकर आयशा के परिजनों के अलावा अफगानिस्तान के नारी संरक्षण संगठन, मानवाधिकार आयोग व मानव हित में कार्य करने वाली कई संस्थाओं ने इस रिहाई को लेकर जमकर एतराज जताया है। आयशा के पिता का कहना है कि आयशा के नाक-कान काटते समय उसका ससुर भी वहीं था और उसने तालिबानियों की मदद की थी।
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