बारां। जिले की अटरू तहसील क्षेत्र के ऐतिहासिक शेरगढ़ किले में पांच हजार वर्ष पुराने प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं। ये अवशेष इतिहासकारों एवं पुरातत्व विभाग ने मनुष्य के प्रारंभिक काल पाषाण युग के बताए हैं। इन्हें पुरातत्व विभाग कोटा ने ढूंढ़े हैं। क्षेत्र में मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, सिंधु घाटी सरीखी सभ्यता मिलने की संभावना जताई है। विभाग भी इस सभ्यता को ढूंढ़ने के लिए प्रोजेक्ट बनाकर सरकार के पास भेजेगा। यदि यहां सभ्यता मिलती है तो क्षेत्र पर्यटन के तौर भी विकसित हो सकता है।
शेरगढ़ अटरू से आगे बड़ौरा से 10 किमी दूर परकोटे में भीतर बसा है। पुरातत्व विभाग कोटा के वृत्त अधीक्षक केएल मीणा ने बताया कि पिछले दिनों शेरगढ़ किले में हुई तेज बारिश के बाद मिट्टी में दबे पाषाण युग के अवशेष नजर आए। इन्हें कुरेदने पर पाषाण युग के 20 अवशेष निकाले। इन्हें कोटा कार्यालय में सुरक्षित रख दिया है। शेरगढ़ किले से सटकर परवन नदी गुजर रही है। पाषाण काल में लोग पानी की पर्याप्त उपलब्धता के अनुसार रहते थे।
दो भागों में बंटा है पाषाण काल
मुख्यत: कालखंड को तीन भागों पाषाण, लोह व कांस्य काल में विभक्त किया गया है। पाषाणकाल को पूर्व पाषाणकाल व उत्तर पाषाणकाल में विभक्त किया गया है। पूर्व पाषाणकाल में मनुष्य मिट्टी के कच्चे बर्तनों का उपयोग करते थे। उत्तर पाषाणकाल में बर्तन मिट्टी के तो बने होते थे, लेकिन बर्तन पक्के होते थे। शेरगढ़ के पास मिले अवशेष उत्तर पाषाणकाल जैसे प्रतीत होते हैं।
किस तरह के अवशेष
ये अवशेष पाषाण युग के मिट्टी के बने बर्तन आदि के हैं। ऊपरी सतह से इनका रंग हल्का लाल (गैरूवा) है। अंदर से काले रंग का है। इस युग में मनुष्य नदी के किनारे रहा करता थे।
तीन स्थानों पर मिली है सभ्यता
राजकीय कॉलेज में इतिहास की व्याख्याता मंजू कंछल ने बताया कि प्रदेश में लोहे व कांस्य युग की सभ्यता श्रीगंगानगर के कालीबंगा, उदयपुर के आहड़, जयपुर के बैराठ में मिली है। यह काल करीब तीन हजार वर्ष पूर्व का था। हो सकता है शेरगढ़ क्षेत्र में पाषाण युग की सभ्यता मिल जाए।
केएल मीणा, वृत्त अधीक्षक, पुरातत्व विभाग कोटा ने कहा कि शेरगढ़ किले में पांच हजार वर्ष पुराने पाषाण काल के अवशेष मिले हैं। यहां पाषाण काल की पूरी सभ्यता मिलने की संभावना हैं। इसके लिए एक प्रोजेक्ट बनाकर सरकार के पास भेजा जाएगा।
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