नई दिल्ली. दूसरे बैंकों के एटीएम का बार-बार इस्तेमाल करने वालों को अब सचेत हो जाना चाहिए। अगर किसी ग्राहक ने दूसरे बैंकों के एटीएम का इस्तेमाल एक महीने में पांच बार कर लिया तो उसे 1 जुलाई से बैलेंस इन्क्वायरी के लिए भी चार्ज देना पड़ेगा। रिजर्व बैंक के ताजा निर्देश के बाद यह स्पष्ट हो गया है।
अभी ग्राहक हर महीने दूसरे बैंकों के एटीएम का इस्तेमाल अधिकतम पांच बार 'फ्री' कर सकते हैं और इसमें नकद निकासी एवं अन्य वित्तीय लेन-देन ही शामिल हैं। इसमें गैर वित्तीय ट्रांजैक्शन जैसे बैलेंस इन्क्वायरी, अपना 'पिन' बदलना और मिनी स्टेटमेंट लेना शामिल नहीं है। वहीं, दूसरी ओर 1 जुलाई से दूसरे बैंकों के एटीएम से हर महीने किए जाने वाले पांच 'फ्री' ट्रांजैक्शन में बैलेंस इन्क्वायरी, 'पिन' बदलने और मिनी स्टेटमेंट लेने को भी शामिल कर लिया जाएगा। इसका मतलब यही हुआ कि इस तरह के पांच 'फ्री' ट्रांजैक्शन में अब सभी तरह के लेन-देन शामिल हो गए हैं और इसके बाद कोई भी लेन-देन करने पर ग्राहकों को चार्ज देना हेगा। अब दूसरे बैंक के एटीएम का छठी बार इस्तेमाल करने पर आपको शुल्क देना होगा। पैसा निकालने के लिए 20 रुपये जबकि गैर वित्तीय लेन देन के लिए साढ़े आठ रुपये लगेंगे।
मसलन, एचडीएफसी बैंक का कहना है कि पांच 'फ्री' ट्रांजैक्शन के बाद ग्राहक द्वारा नकदी की निकासी किए जाने पर उसे हर बार 20 रुपये देने होंगे। इसी तरह बैलेंस इन्क्वायरी वगैरह के लिए भी ग्राहक को हर बार 8.50 रुपये देने होंगे। अभी तक ग्राहकों को दूसरे बैंक के एटीएम में गैर-वित्तीय लेनदेन करने मसलन खाते में रकम जांचने या पिन बदलने के एवज में कोई पैसा नहीं देना पड़ता था। दूसरे बैंक के एटीएम से शुल्क दिए बगैर 5 बार रकम निकाली जा सकती थी। उसके बाद हरेक निकासी पर 20 रुपये देने पड़ते थे।
वैसे, बैंक ग्राहकों के लिए एक अच्छी खबर भी है। अगर किसी ग्राहक का पैसा एटीएम में अटक जाए और उसके एकाउंट से पैसा काट भी लिया जाए तो उसे अब महज सात दिन के भीतर ही अपना पैसा वापस मिल जाएगा। अब तक यह रकम ग्राहक द्वारा शिकायत करने पर 12 दिन के भीतर मिला करती थी। आरबीआई ने सभी बैंकों के लिए 1 जुलाई से यह अनिवार्य कर दिया है।
अभी ग्राहक हर महीने दूसरे बैंकों के एटीएम का इस्तेमाल अधिकतम पांच बार 'फ्री' कर सकते हैं और इसमें नकद निकासी एवं अन्य वित्तीय लेन-देन ही शामिल हैं। इसमें गैर वित्तीय ट्रांजैक्शन जैसे बैलेंस इन्क्वायरी, अपना 'पिन' बदलना और मिनी स्टेटमेंट लेना शामिल नहीं है। वहीं, दूसरी ओर 1 जुलाई से दूसरे बैंकों के एटीएम से हर महीने किए जाने वाले पांच 'फ्री' ट्रांजैक्शन में बैलेंस इन्क्वायरी, 'पिन' बदलने और मिनी स्टेटमेंट लेने को भी शामिल कर लिया जाएगा। इसका मतलब यही हुआ कि इस तरह के पांच 'फ्री' ट्रांजैक्शन में अब सभी तरह के लेन-देन शामिल हो गए हैं और इसके बाद कोई भी लेन-देन करने पर ग्राहकों को चार्ज देना हेगा। अब दूसरे बैंक के एटीएम का छठी बार इस्तेमाल करने पर आपको शुल्क देना होगा। पैसा निकालने के लिए 20 रुपये जबकि गैर वित्तीय लेन देन के लिए साढ़े आठ रुपये लगेंगे।
मसलन, एचडीएफसी बैंक का कहना है कि पांच 'फ्री' ट्रांजैक्शन के बाद ग्राहक द्वारा नकदी की निकासी किए जाने पर उसे हर बार 20 रुपये देने होंगे। इसी तरह बैलेंस इन्क्वायरी वगैरह के लिए भी ग्राहक को हर बार 8.50 रुपये देने होंगे। अभी तक ग्राहकों को दूसरे बैंक के एटीएम में गैर-वित्तीय लेनदेन करने मसलन खाते में रकम जांचने या पिन बदलने के एवज में कोई पैसा नहीं देना पड़ता था। दूसरे बैंक के एटीएम से शुल्क दिए बगैर 5 बार रकम निकाली जा सकती थी। उसके बाद हरेक निकासी पर 20 रुपये देने पड़ते थे।
वैसे, बैंक ग्राहकों के लिए एक अच्छी खबर भी है। अगर किसी ग्राहक का पैसा एटीएम में अटक जाए और उसके एकाउंट से पैसा काट भी लिया जाए तो उसे अब महज सात दिन के भीतर ही अपना पैसा वापस मिल जाएगा। अब तक यह रकम ग्राहक द्वारा शिकायत करने पर 12 दिन के भीतर मिला करती थी। आरबीआई ने सभी बैंकों के लिए 1 जुलाई से यह अनिवार्य कर दिया है।
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