सोमवार, 13 जून 2011

अफसर सोते रहे, सरकारी जमीन पर बस गई बस्ती


 नगरपालिका की आरक्षित भूमि पर भूमाफिया काबिज • करीब सौ बीघा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण
अफसर सोते रहे, सरकारी जमीन पर बस गई बस्ती

बाड़मेर सिणधरी चौराहे के पास स्थित मेघवालों की बस्ती से लगती पालिका की सौ बीघा से ज्यादा बेशकीमती भूमि अतिक्रमण की जद में आ चुकी है। शरणार्थियों के लिए आरक्षित करीब 20 बीघा जमीन पर तो कच्चे-पक्के मकान भी तैयार कर दिए। हैरत की बात है कि सालों तक इस कब्जे पर नगरपालिका प्रशासन ने ध्यान ही नहीं दिया। अब भूमाफिया यहां स्टांप पेपर पर प्लाट बेचकर चांदी कूट रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ पालिका प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। शहर में सैकड़ों बीघा सरकारी जमीन पर भूमाफिया काबिज हो गए। यहां लोगों ने पिछले डेढ़-दो साल में दर्जनों कच्चे-पक्के मकान भी बना लिए। हालत यह है कि गोचर की जमीन लगभग पूरी तरह बिक चुकी है । इधर पालिका प्रशासन इस गोरख धंधे से बेखबर है।

क्या है जमीनों की कीमतें
नगरपालिका क्षेत्र में एक प्लॉट की कीमत करीब दो से ढाई लाख रुपए है। इस हिसाब से एक बीघा भूमि में छह प्लॉट की जगह है। इस हिसाब से एक सौ बीघा में करीब छह सौ से अधिक प्लॉट की जमीन शामिल है। जानकारों के अनुसार उक्त जमीन करोड़ों की है।
ज्यादातर लोग बाहरी
जानकारों ने बताया कि बस्ती में ज्यादातर लोग बाहरी हैं। तीन-चार दर्जन लोग ही पुराने निवासी हैं। कुछ लोग आसपास के इलाकों से यहां आ गए और स्थानीय लोगों से सांठ-गांठ कर जमीन हथिया ली। 

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