रविवार, 5 जून 2011

तीन लोगों ने बारी-बारी से फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली

तीन लोगों ने बारी-बारी से फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली


कर्ज की भेंट चढ़ गया एक पढ़ा लिखा परिवार। घोलूमाजरा गांव में तीन लोगों ने बारी-बारी से फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। पिता का शव छत की हुक से बंधी रस्सी से शनिवार दोपहर बरामद किया गया, जबकि पहले फांसी लगा चुकी उसकी पत्नी व बेटे के शव फर्श पर पाए गए। अमृतसर का यह परिवार पिछले हफ्ते ही दप्पर टोल प्लाजा के निकट घोलूमाजरा में किराए पर रहने आया था। मौके से बरामद सुसाइड नोट में मौत का कारण परिवार पर लाखों रुपयों की देनदारी बताया गया है। परिवार सवा साल से विभिन्न शहरों के धार्मिक स्थलों में रहकर गुजर बसर कर रहा था।

बरामद शवों की शिनाख्त 42 वर्षीय मुकेश कपूर पुत्र तिलकराज ,उसकी पत्नी स्वीटी रानी और 16 वर्षीय बेटे हरेश कपूर के तौर पर हुई है। ये लोग मोहल्ला आबादी गोकुलचंद, अमृतसर थे। मुकेश अकाउंटेंट था व कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का काम भी जानता था। मुकेश के पड़ोसी आवेश शुक्ला ने बताया कि शुक्रवार की रात साढ़े दस बजे तक उसने परिवार को आपस में बात करते सुना। सुबह उनका दरवाजा अंदर से बंद मिला। दोपहर 11 बजे खटखटाने के बावजूद कोई हरकत न होने पर उसे शक हुआ। उसने एक सीढ़ी की मदद से रोशनदान से झांका तो दंग रह गया। उसे केवल मुकेश फंदे में झूलता नजर आया, जबकि मां बेटा अंधेरे में नजर नहीं आए। सूचित करने पर पुलिस ने मौके पर पहुंच दरवाजा तोड़ा तो मां व बेटे के शव भी पास ही फर्श पर पड़े मिले।

12 पन्नों का लिखा सुसाइड नोट
लेहली चौकी इंचार्ज संतोख सिंह के अनुसार मौके से 12 पन्नों का हिंदी में लिखा सुसाइड नोट बरामद हुआ है। यह नोट 2 जून तारीख डालकर स्वीटी रानी ने लिखना शुरु किया था जबकि लिफाफे पर मुकेश कपूर की लिखाई है। सुसाइड नोट के मुताबिक स्वीटी व मुकेश का विवाह 1994 में हुआ था। 2004 में अपने साले रविंदर के कहने पर वह पांच लाख रुपए लेकर वह लुधियाना आ गया। रविंदर यहां होजरी का काम करता है। यहां चंद्र नगर में 111 गज का प्लॉट लिया और एलआईसी से लोन लेकर मकान बनाया। उसने रविंदर को 3 लाख रुपए उधार दिए थे। इस बीच काम नहीं चला और गुजारा करने व किश्तें चुकाने के लिए उन्होंने और कर्ज लिया जो बढ़कर 30 लाख हो गया।

कर्ज की अदायगी में उन्हें प्लॉट बेचना पड़ा और अभी भी उनपर करीब 12 लाख रुपए की देनदारी बकाया है। सुसाइड नोट में आरोप है कि रविंदर ने हौजरी के कामकाज में उनका हिस्सा नहीं डाला, न ही दस्ती लिए पैसे लौटाए। इसके अलावा स्वीटी को उसके मायके परिवार से बनते हिस्से से भी महरूम रखा। देनदारी से तंग आकर उन्होंने मार्च 2010 में लुधियाना छोड़ने के बाद परिवार को रोटी के भी लाले पड़ गए। थाना प्रभारी गुरदयाल सिंह के अनुसार सुसाइड नोट पर दिए गए पते पर पूछताछ के लिए पुलिस को रवाना किया गया है। परिजनों के पहुंचने के बाद ही पोस्टमार्टम किया जाएगा। फिलहाल, पुलिस ने खुदकुशी का मामला दर्ज करने की कार्रवाई शुरु कर दी है।

बेटे ने मां और पिता ने दोनों की मौत देखी
बारी-बारी से मौत को गले लगाने की मार्मिक घटना की कल्पना कर लोग सिहर उठे। कैसे तीनों सदस्य इकट्ठे प्राण त्यागने पर एकराय हुए। मरने से पहले कैसे एक-दूसरे से विदा ली होगी। कलेजा इतना पक्का हुआ कि आंखों के सामने महिला स्वीटी के दम तोड़ने पर भी बेटे व पति का कलेजा नहीं पिघला। मौत का इत्मीनान होने पर ब्लेड से रस्सी काटकर शव उतारा, फिर रस्सी जोड़ी और मां को रुसवा कर बेटा भी फंदे पर झूल गया। मुकेश ने उसे उतारा, मां बेटे के शव एक साथ फर्श सटाए, फिर रस्सी जोड़ खुद फंदा लगा लिया। उसे उतारना पुलिस के खाते में आया। इरादे इतने मजबूत थे कि तनिक भी डांवाडोल नहीं हुए। तीन जिंदगियां एक एक कर मौत के मुंह में समा गईं परंतु किसी को भनक तक नहीं लगी।

तंगहाली की कहानी, मौके की जुबानी
घटनास्थल परिवार की तंगहाली बयान कर रहा था। उन्होंने अभी कमरे का किराया भी नहीं दिया था। कमरे में न पंखा था, न स्टोव, न राशन। खाना पकाने की बजाय खाने के कुछेक बर्तन थे। तीन बैग थे जिनमें केवल कपड़े व कुछ जोड़े जूते चप्पल थे। उनके पास से कोई शिनाख्ती दस्तावेज, सर्टिफिकेट व सेलफोन तक नहीं था। यहां तक कि पुलिस को कोई पैसा नहीं मिला। आवेश के अनुसार बाहर ढाबे से कभी कभार चाय ले जाते देखा गया। एकाध बार खाना गरम करने के लिए उन्होंने उससे स्टोव भी लिया था।

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