भीलवाड़ा. चित्तौड़गढ़ जिले के रूपपुरा गांव के घीसू पुत्र कालू ब्राह्मण को हमीरगढ़ थाने में बंद रख मारपीट के मामले में थानेदार जयनारायण खारोल व एएसआई मनोहरसिंह चारण को सीजेएम ने दो-दो साल की कठोर कैद की सजा सुनाई है। उन पर एक-एक हजार रुपए जुर्माना भी लगाया। यह मामला 17 साल पुराना है। सरकार की ओर से एपीपी एएस चिश्ती ने पैरवी की। अजमेर जिले के कुशायता निवासी थानेदार खारोल अभी कारोई थाना प्रभारी, जबकि रायपुर थाने के छातोड़ गांव निवासी चारण हमीरगढ़ थाने में एएसआई हैं।
कलंक हैं ऐसे पुलिस अधिकारी: सीजेएम योगेश कुमार गुप्ता ने फैसले में कहा कि घीसू को अभिरक्षा में रख निर्दयतापूर्वक मारपीट कर चोटें पहुंचाना निंदनीय ही नहीं शर्मनाक है। पुलिस विभाग के लिए ऐसे अधिकारी कलंक हैं। पुलिस की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसे मामलों में आरोपियों को परिवीक्षा का लाभ देना कानून का मखौल उड़ाने के समान होगा।
क्या है मामला: पीड़ित घीसू शर्मा ने आठ फरवरी 1994 को भंवर शर्मा के जरिये न्यायिक मजिस्ट्रेट (तीन) की अदालत में प्रार्थना-पत्र पेश किया। इसमें बताया कि घीसू के खिलाफ हमीरगढ़ थाने में झूठा प्रकरण दर्ज कर उसे छह फरवरी की दोपहर तीन बजे उस वक्त बंदी बना लिया, जब वह राशन की शक्कर लेकर लौट रहा था। घीसू को लगातार अभिरक्षा में रखकर न्यायालय में पेश नहीं किया। उससे मारपीट की जा रही है। उससे लिखापढ़ी करवाने की भी आशंका है। जांच करवाई जाए। नौ फरवरी को कोर्ट ने थानेदार से सुबह 10 बजे स्पष्टीकरण मांगा। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर कोर्ट ने घीसू का मेडिकल करवाया। बाद में उसके प्रार्थना-पत्र पर प्रसंज्ञान लिया था।
क्यूं गिरफ्तार हुआ घीसू: चार फरवरी, 94 को हमीरगढ़ के नवरतनमल पुत्र देबीलाल ने थाने में रिपोर्ट दी कि 28 दिसंबर, 90 को घीसू ने सोने की रामनामी बताकर उसे दी और बदले में दो हजार रुपए लिए। इसके बाद 10 फरवरी 91 से 18 मई 93 तक घीसू ने तीन और रामनामी देकर क्रमश: दो, दो और 3500 रुपए लिए। शंका होने पर नवरतन ने गहनों की जांच कराई तो वे नकली पाई गई।
कलंक हैं ऐसे पुलिस अधिकारी: सीजेएम योगेश कुमार गुप्ता ने फैसले में कहा कि घीसू को अभिरक्षा में रख निर्दयतापूर्वक मारपीट कर चोटें पहुंचाना निंदनीय ही नहीं शर्मनाक है। पुलिस विभाग के लिए ऐसे अधिकारी कलंक हैं। पुलिस की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसे मामलों में आरोपियों को परिवीक्षा का लाभ देना कानून का मखौल उड़ाने के समान होगा।
क्या है मामला: पीड़ित घीसू शर्मा ने आठ फरवरी 1994 को भंवर शर्मा के जरिये न्यायिक मजिस्ट्रेट (तीन) की अदालत में प्रार्थना-पत्र पेश किया। इसमें बताया कि घीसू के खिलाफ हमीरगढ़ थाने में झूठा प्रकरण दर्ज कर उसे छह फरवरी की दोपहर तीन बजे उस वक्त बंदी बना लिया, जब वह राशन की शक्कर लेकर लौट रहा था। घीसू को लगातार अभिरक्षा में रखकर न्यायालय में पेश नहीं किया। उससे मारपीट की जा रही है। उससे लिखापढ़ी करवाने की भी आशंका है। जांच करवाई जाए। नौ फरवरी को कोर्ट ने थानेदार से सुबह 10 बजे स्पष्टीकरण मांगा। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर कोर्ट ने घीसू का मेडिकल करवाया। बाद में उसके प्रार्थना-पत्र पर प्रसंज्ञान लिया था।
क्यूं गिरफ्तार हुआ घीसू: चार फरवरी, 94 को हमीरगढ़ के नवरतनमल पुत्र देबीलाल ने थाने में रिपोर्ट दी कि 28 दिसंबर, 90 को घीसू ने सोने की रामनामी बताकर उसे दी और बदले में दो हजार रुपए लिए। इसके बाद 10 फरवरी 91 से 18 मई 93 तक घीसू ने तीन और रामनामी देकर क्रमश: दो, दो और 3500 रुपए लिए। शंका होने पर नवरतन ने गहनों की जांच कराई तो वे नकली पाई गई।
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