बाड़मेर जिले में दूषित पानी से बीमारियां फैलीं
बाड़मेर : भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे राजस्थान के बाड़मेर जिले में दूषित फलोराइड युक्त पानी पीने से ग्रामीण क्षेत्रों में पोलियों , कुबड़ापन , गलाघोंटू , गंजापन और पायोरिया जैसी खतरनाक बीमारियों ने अपना घर कर लिया है।
संवाददाता ने जिले की 30 से अधिक ग्राम पंचायतों का दौरा करने पर पाया कि सीमावर्ती गांवों में दूषित पानी पीने से विभिन्न बीमारियां फैल चुकी हैं। जयसिन्धर ग्राम पंचायत के राजस्व गांव छोटी खड़ीन के ग्रामीण दूषित पानी पीने से कुबड़े हो चुके हैं। बुजुर्ग विकलांगता के शिकार हैं तो औरतें भी नब्बे डिग्री के कोण की तरह झुक चुकी हैं। दूषित पानी में टी डी एस की मात्र सामान्य से तीन गुना अधिक हे बाड़मेर के पेयजल में टी डी एस की मात्र ३००० से अधिक होने के कारन पानी किसी भी सूरत में पीने लायक नहीं हे .मगर ग्रामीणों के सामने इसे पीने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं हे .यह दूषित पानी भी ग्रामीणों को लाख जातां करने के बाद नसीब होता हे .पूरा परिवार सूर्य की पहली किरण के साथ पानी की तलाश में कोसों दूर पैसल सफ़र तय करते है तब जाकर दो घड़े पानी मिल पता हे .तम्लोर निवासी कालू सिंह ने बताया की गाँव में पेयजल स्रोत हे मगर इनका पानी रीत चूका हे .पानी लेने आसपास के गाँवो में जाना पड़ता हे.पानी दूषित हे.गाँव का हर व्यक्ति पानी से जुडी बीमारियों से ग्रसित हे .
पेयजल आपूर्ति के अभाव में ग्रामीण जमीन में बेरियों , छोटे कुंए ,खोद उससे पानी पी रहे हैं। यहां के पानी में विशेष तरह की कड़वाहट है। इस पानी के पीने से गांव वालों को दांतों के रखरखाव में समस्या आ जाती है। पूरे गांव में लोगों के दांत पीले हैं। साथ ही दांतों में खून बहना , बदबू आना भी आम है।
इसी प्रकार जयसिन्धर स्टेशन ग्राम पंचायत के विभिन्न गांवों में दूषित पानी पीने से पिछले तीन महीने से गलाघोंटू की बीमारी फैली है । इस ग्राम पंचायत के विभिन्न ग्रामों में डिप्थीरिया रोगियों के मारे जाने के भी समाचार है। तिमणियार गांव वालों की अजीब शिकायत है। गांव के अधिकांश व्यक्तियों के सिर के बाल झड़ चुके हैं। वे गंजा सिर लिए घूम रहे हैं।
इस गांव में पानी की मुख्य समस्या है और लोग तालाब का बचा खुचा पानी पीने को मजबूर है।
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