नहीं दिखा चांद, उर्स कल से
अजमेर। सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में गुरूवार तड़के जन्नती दरवाजा खोल दिया गया। गुरूवार को चांद नजर नहीं आया। इस हिसाब से शनिवार को रजब की पहली तारीख मानी जाएगी और 9 जून को कुल की रस्म के साथ उर्स सम्पन्न होगा।
इस्लामिक माह रजब का चांद देखने के लिए हिलाल कमेटी की बैठक दरगाह कमेटी कार्यालय में हुई। दरगाह नाजिम अब्दुल मजीद खान ने बताया कि गुरूवार रात नौ बजे तक चांद की शहादत का इंतजार किया गया लेकिन कहीं से भी चांद नजर आने की सूचना नहीं मिली। अब शुक्रवार को चांद दिखना तय है।
शुक्रवार को चांद नजर आने पर बडे पीर की पहाड़ी से तोप दागी जाएगी और दरगाह परिसर में शदियाने बजाए जाएंगे। इसी के साथ उर्स की धार्मिक रस्में शुरू हो जाएंगी। खुद्दामें ख्वाजा मजार शरीफ पर गुसल की रस्म अदा की जाएगी। ख्वाजा साहब दरगाह में स्थित जन्नती दरवाजे के प्रति श्रद्धालुओं में बड़ी आस्था है।
बताया जाता है कि ख्वाजा साहब इसी दरवाजे से आते जाते थे। ख्वाजा साहब जब इस दरवाजे से अपने निवास स्थल के लिए रवाना हुए तो उन्होंने कहा कि यदि छह दिन तक वह बाहर नहीं आए तो इसे खोल दिया जाए। इसके बाद जब इसे खोला गया तो ख्वाजा साहब का इंतकाल हो गया था। तभी से श्रद्धालुओं में यह आस्था है कि यह जन्नत दरवाजा है और इससे गुजरने वाला शख्स अवश्य ही जन्नत को जाता है।
उर्स के मद्देनजर बुधवार रात दरगाह की मजार से संदल उतारने का कार्य पूरा कर लिया गया मजार से उतारे गए संदल को पाने के लिए जायरीनों में होड़ मच गई। उर्स में शिरकत करने के लिए जायरीन की आगमन शुरू हो गई है। उर्स शुरू होने का संदेश लेकर महरौली स्थित ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह से पैदल रवाना हुआ मलंगों का जत्था बुधवार रात यहां पहुंच गया। इस जत्थे का गगवाना पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। मलंगों का यह जत्था जुलूस के रूप में शाम को ख्वाजा साहब के चिल्ले से रवाना होगा और गरीब नवाज की दरगाह में छडिया पेश करेगा।
अजमेर। सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में गुरूवार तड़के जन्नती दरवाजा खोल दिया गया। गुरूवार को चांद नजर नहीं आया। इस हिसाब से शनिवार को रजब की पहली तारीख मानी जाएगी और 9 जून को कुल की रस्म के साथ उर्स सम्पन्न होगा।
इस्लामिक माह रजब का चांद देखने के लिए हिलाल कमेटी की बैठक दरगाह कमेटी कार्यालय में हुई। दरगाह नाजिम अब्दुल मजीद खान ने बताया कि गुरूवार रात नौ बजे तक चांद की शहादत का इंतजार किया गया लेकिन कहीं से भी चांद नजर आने की सूचना नहीं मिली। अब शुक्रवार को चांद दिखना तय है।
शुक्रवार को चांद नजर आने पर बडे पीर की पहाड़ी से तोप दागी जाएगी और दरगाह परिसर में शदियाने बजाए जाएंगे। इसी के साथ उर्स की धार्मिक रस्में शुरू हो जाएंगी। खुद्दामें ख्वाजा मजार शरीफ पर गुसल की रस्म अदा की जाएगी। ख्वाजा साहब दरगाह में स्थित जन्नती दरवाजे के प्रति श्रद्धालुओं में बड़ी आस्था है।
बताया जाता है कि ख्वाजा साहब इसी दरवाजे से आते जाते थे। ख्वाजा साहब जब इस दरवाजे से अपने निवास स्थल के लिए रवाना हुए तो उन्होंने कहा कि यदि छह दिन तक वह बाहर नहीं आए तो इसे खोल दिया जाए। इसके बाद जब इसे खोला गया तो ख्वाजा साहब का इंतकाल हो गया था। तभी से श्रद्धालुओं में यह आस्था है कि यह जन्नत दरवाजा है और इससे गुजरने वाला शख्स अवश्य ही जन्नत को जाता है।
उर्स के मद्देनजर बुधवार रात दरगाह की मजार से संदल उतारने का कार्य पूरा कर लिया गया मजार से उतारे गए संदल को पाने के लिए जायरीनों में होड़ मच गई। उर्स में शिरकत करने के लिए जायरीन की आगमन शुरू हो गई है। उर्स शुरू होने का संदेश लेकर महरौली स्थित ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह से पैदल रवाना हुआ मलंगों का जत्था बुधवार रात यहां पहुंच गया। इस जत्थे का गगवाना पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। मलंगों का यह जत्था जुलूस के रूप में शाम को ख्वाजा साहब के चिल्ले से रवाना होगा और गरीब नवाज की दरगाह में छडिया पेश करेगा।
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