शनिवार, 14 मई 2011

लावारिस शवों को बेचने के मामले में हाईकोर्ट ने रिपोर्ट मांगी

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने लावारिस शवों को निजी मेडिकल कॉलेजों को बेचने के मामले में पुलिस महानिरीक्षक और चिकित्सा विभाग से 8 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। मुख्य न्यायाधीश अरुण कुमार मिश्रा और न्यायाधीश प्रशांत कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने ह्यूमन सेटलमेंट टेक्नोलॉजी सेंटर की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया।

अदालत ने श्रीगंगानगर, बीकानेर, बाड़मेर, चूरू, हनुमानगढ़, जोधपुर की पुलिस से यह रिकॉर्ड मांगा है कि इंदिरा गांधी नहर में पंजाब-हरियाणा से कितनी लाशें बहकर आईं। पुलिस ने ऐसे मामलों में क्या कार्रवाई की। याचिका में बताया है कि इन जिलों में मिलने वाली लावारिस लाशों को पुलिस निजी मेडिकल कॉलेजों को बेच रही है। यह कार्य राजस्थान एनाटॉमी एक्ट, ट्रांसप्लांटेशन आफ ह्यूमन आर्गन एक्ट और पुलिस एक्ट की अवहेलना है। इन शवों को प्राधिकृत अधिकारी के जरिए ही दिया जा सकता है।

बीकानेर में सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज ही इन शवों को देने के लिए अधिकृत है। इस कॉलेज से किन-किन निजी मेडिकल कालेजों को शव दिए गए। याचिकाकर्ता ने पूछा है कि श्रीगंगानगर में टांटिया उच्च शिक्षा केंद्र को कितने शव दिए गए। याचिका में बताया है कि श्रीगंगानगर में एक ज्वैलर का पुत्र 27 मई, 09 से लापता था। ज्वैलर को पता लगा कि उसके पुत्र की मौत हो चुकी है और पुलिस ने लावारिस मान केंद्र को बेच दिया था।

उसका अंतिम संस्कार कर दिया। बाद में उसने अपने स्तर पर जानकारी की तो पता लगा कि उसके पुत्र का शव श्रीगंगानगर के टांटिया उच्च शिक्षा केंद्र को बेच दिया गया। उसने इस केंद्र से जब अपने पुत्र की पहचान बताकर उसका शव मांगा तो उन्होंने 16 हजार रुपए मांगे। उसने आगे जानकारी की तो पता लगा कि पुलिस ही यह काम कर रही है।

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