अजमेर जेल में बंद वैज्ञानिक पर पाक सरकार तलब
अजमेर. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पाक सरकार से पूछा है कि भारत की जेल में कैद वैज्ञानिक खलील चिश्ती को रिहा करवाने के लिए वह क्या कोशिश कर रही है। चिश्ती 78 साल के हैं और हत्या के आरोप में करीब 20 साल से राजस्थान की अजमेर जेल में बंद हैं। उन्हें पिछले साल उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
खलील चिश्ती की बेटी शोआ जावेद, ऑल पाकिस्तान वीमेंस एसोसिएशन तथा लीगल एड कॉल सेंटर की ओर से प्रसिद्ध वकील सैयद इकबाल हैदर ने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने कोर्ट से चिश्ती को रिहा करवाने के लिए सरकार को राजनयिक कोशिशें करने के आदेश देने का आग्रह किया है। चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद पाकिस्तान के गृह और विदेश मंत्रालयों के सचिवों से इस संबंध में 15 जून तक जवाब मांगा है।
क्या है मांग?: भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व राजस्थान के राज्यपाल से खलील चिश्ती की सजा पूरी होने के बाद रिहाई व पाक भेजे जाने का आग्रह किया जाए।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट का जिक्र: याचिकाकर्ताओं ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया है जो उसने गोपाल दास को पाक की जेल से रिहा करवाने के बारे में दिया था। गोपाल दास को इसी साल भारत भेज दिया गया है।
कौन है चिश्ती?: खलील चिश्ती 78 साल के हैं। उन्होंने स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से पीएचडी की है। लंदन विश्वविद्यालय से जीवविज्ञान में डिग्री ली है। चिश्ती कराची, सऊदी अरब, नाइजीरिया तथा ईरान के विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर रह चुके हैं। चिश्ती अपनी बीमार मां को देखने 1992 में अजमेर आए थे। कुछ रिश्तेदारों से विवाद के बाद उन्हें हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार चिश्ती पर लगाए गए आरोप गलत हैं। चिश्ती को पिछले साल जिला अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई। फिलहाल चिश्ती कूल्हे में फ्रैक्चर तथा बीमारी के कारण चल-फिर भी नहीं सकते।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें