शनिवार, 23 मई 2015

जयपुर। पटरी से वार्ता की टेबल पर आने को तैयार हुए गुर्जर

जयपुर। पटरी से वार्ता की टेबल पर आने को तैयार हुए गुर्जर

जयपुर। एसबीसी में पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को 21 मई से पीलूपुरा स्थित मुम्बई-दिल्ली रेलवे ट्रैक पर बैठे गुर्जरों से सरकार वार्ता करने को तैयार हो गई है और शनिवार शाम बयाना में यह वार्ता हो सकती है। सूत्रों के अनुसार सरकार की ओर से तीन मंत्री इस यात्रा की पैरवी करेंगे जिनमें राजेन्द्र राठौड़, अरूण चतुर्वेदी एवं हेमसिंह भड़ाना शामिल हैं। इस बीच आंदोलन की अगुवाई कर रहे गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा कि पिछले आंदोलन में मारे गए गुर्जरों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी, जब समाज को उनका हक मिलेगा। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने गुर्जरों से आह्वान किया है कि सभी अधिक अधिक संख्या में पहुंचकर मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दें। वहीं कोटा रेलवे स्टेशन पर आज सुबह टिकट कैंसल कराने वाले यात्रियों की काफी भीड़ जुटी रही जिससे की रेलवे को काफी नुकसान पहुंच रहा है।

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इससे पहले रेल मार्ग पर जाम लगाने से इस रुट की दर्जनों से ज्यादा ट्रेन प्रभावित हुई है और उन सभी ट्रेनों को सवाई माधोपुर होते हुए जयपुर व आगरा होते हुए कन्वर्ट किया गया है । बयाना रेलवे स्टेशन पर रोकी गयी ट्रेन के यात्रियों को रेलवे प्रशासन द्वारा टिकट के पैसे वापस लौटाए गए ।



गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ीलाल बैसला ने गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में न्याय यात्रा निकाली थी और सरकार को 11 दिन का अल्टीमेटम दिया था । 21 मई को बयाना के समोगर में गुर्जर न्याय यात्रा का समापन कर महापंचायत का आयोजन किया गया और शाम को पंचायत में कर्नल बैसला ने आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए गुर्जर समुदाय के लोगों को हाथ उठाकर सहमति जताने को कहा जिस पर सभी लोगों ने बैसला का साथ देने का वादा किया ।



पंचायत में बैसला ने सरकार को एक घंटे का अल्टीमेटम दिया कि इस दौरान सरकार का कोई नुमाइंदा उनसे बात करे आये नहीं तो एक घंटे बाद रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया जायेगा और थोड़ी देर बाद ही हजारों की संख्या में गुर्जर समुदाय रेलवे ट्रैक पर कर्नल बैसला के नेतृत्व में बैठ गया हालांकि बैसला ने सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाने के निर्देश भी गुर्जर समुदाय के लोगों को दिए ।



2007 में हुई थी आंदोलन की शुरूआत
गुर्जर आंदोलन की शुरुआत 29 मई 2007 को पटौली से हुई थी और फिर दूसरी बार 23 मई 2008 को पीलूपुरा से आंदोलन का आगाज हुआ जो 28 दिन तक चला और इसमें गुर्जर समुदाय के 70 लोग पुलिस की गोली से मारे गए थे । सितम्बर 2010 को गुर्जर फिर पीलूपुरा स्थित रेलवे ट्रैक पर बैठे जो 17 दिनों तक चला था ।



कर्नल बैंसला का कहना है कि गुर्जरों को आरक्षण के मुद्दे पर सरकारें हर बार गुर्जर समुदाय को बेबकूफ बनाती रही है और झूठे आश्वासन देकर गुमराह करती रही है लेकिन इस बार गुर्जर समुदाय आर-पार की लड़ाई लड़ेगा । सरकार की तरफ से अभी तक कोई भी मंत्री या प्रतिनिधि मंडल गुर्जरों से वार्ता करते के लिए नहीं पहुंचे । अब देखने वाली बात यह है कि गुर्जर आंदोलन कितने दिन और कैसे चलता है व सरकार गुर्जरों के साथ किस प्रकार समझाइश करेगी ।



कर्नल ने कहा अब की बार आखिरी बार
'अब की बार आखिरी बार' का नारा देते हुए गुर्जर आंदोलन की अगुवाई करने वाले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने सरकार की ओर से जयपुर में वार्ता करने के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा है कि इस बार सरकार को खुद चलकर वार्ता के लिए आना पड़ेगा।



कई ट्रेन के रूट डायवर्ट
गुर्जर आंदोलन के अंदेशे के चलते उत्तर पश्चिम रेलवे ने दिल्ली मुंबई रेलमार्ग से गुजरने वाली कई ट्रेनों के मार्गों में बदलाव किया है। जानकारी के मुताबिक कोटा से होकर गुजरने वाली ट्रेनों को वाया सवाईमाधोपुर, नागदा होते हुए चलाया जाएगा। वहीं रोडवेज़ प्रशासन ने हिंडौन जाने वाली बसों को अनिश्चितकाल तक के लिए बंद कर दिया है।

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