रविवार, 5 अप्रैल 2015

बेटी बचाने को विभाग ने कमर कसी



देश व प्रदेश में घटते लिंगानुपात को कम करने व अजन्मी बेटियों को बचाने के लिए अब सोनोग्राफी करवा चुकी गर्भवती महिलाओं का रिकार्ड खंगाला जाएगा। इसके लिए पीसीपीएनडीटी समन्वयक की ओर से प्रतिदिन तीस महिलाओं से फार्म-एफ में दिए गए उनके नम्बर पर सम्पर्क कर गर्भपात व प्रसव की वास्तविक रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
Daughter to save the department changed gears


सरकार के इस प्रयास से सोनोग्राफी करवाने के लिए गलत मोबाइल नम्बर और गलत पता लिखवाने वाली गर्भवती महिलाओं की हकीकत शीघ्र ही सामने आएगी। जिले में गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 (पीसीपीएनडीटी एक्ट) के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सोनोग्राफी करवाने वाली गर्भवती महिलाओं पर नजर रखी जाएगी।




अब जिला पीसीपीएनडीटी समन्वयक की ओर से टेलीफोन द्वारा सोनोग्राफी करवाने वाली महिलाओं से सम्पर्क किया जाएगा। इसके लिए राज्य स्तर से निर्देश जारी किए गए है। जिसमें सभी जिलों के पीसीपीएनडीटी समन्वयकों को निर्देशित किया गया है कि वे सोनोग्राफी करवाने वाली महिलाओं में से प्रतिदिन कम से कम 30 गर्भवती महिलाओं को टेलीफोन कर उनसे जानकारी लेंगे, जिनके गत माह तक प्रसव संभावित था।




यह है उद्देश्य

पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठ की ओर से इस दूरभाष सम्पर्क का मुख्य उद्देश्य लिंग जांच को रोकना है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि गर्भवती महिला के फोन नम्बर और उसके निवास स्थान का पता सही है या नहीं। इसके साथ ही यह भी पता लगाया जाएगा कि महिला के गर्भावस्था का क्या परिणाम रहा। अगर उस महिला ने गर्भपात करवाया है, तो दूरभाष सम्पर्क में यह स्थिति भी साफ हो जाएगी।




बेटी बचाने की कवायद

आदेशों के तहत विशेष रूप से ऎसी गर्भवती महिलाओं की निगरानी की जाएगी, जिनकी उम्र 20 से 40 साल के बीच है और जिनके पहले से ही एक या अधिक बेटियां है।इसमें उन गर्भवती महिलाओं का डाटा खंगाला जाएगा जिनका प्रसव गत माह होना संभावित था।सोनोग्राफी करवाने वाली महिलाओं से टेलीफोन द्वारा यह भी सूचना प्राप्त की जाएगी कि सोनोग्राफी करने वाले चिकित्सक या परिजन द्वारा भू्रण के लिंग की जांच करवाने के लिए उन्हें बाध्य तो नहीं किया गया था। यदि ऎसा पाया जाता है तो संबंधित के खिलाफ पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।




रिपोर्ट करनी होगी

जिला पीसीपीएनडीटी समन्वयक को ऎसी सभी महिलाओं का रिकार्ड नियमित रूप से संधारित करना होगा। इसकी रिपोर्ट निदेशालय को हर माह की सात तारीख तक प्रस्तुत करनी होगी। रिपोर्ट में यह भी सूचना देनी होगी कि किन-किन महिलाओं ने बालक और बालिका को जन्म दिया और किन-किन महिलाओं का गर्भपात हुआ है।




करना होगा फोन की स्थिति का उल्लेख

जिला पीसीपीएनडीटी समन्वयक की ओर से संबंधित गर्भवती महिला से सम्पर्क करने के दौरान बेसिक फोन या मोबाइल की स्थिति का भी उल्लेख करना होगा। रिपोर्ट में यह भी बताया होगा कि फार्म-एफ में दिए गए कितने नम्बर गलत थे। कितने मोबाइल स्वीच ऑफ और नेटवर्क क्षेत्र से बाहर थे और कितनी महिलाओ के नम्बर सही पाए गए।




सोनोग्राफी करवाने वाली ऎसी महिलाएं जिनका गत माह तक प्रसव संभावित था। ऎसी 30 महिलाओं से प्रतिदिन टेलीफोन पर सम्पर्क कर उसके गर्भावस्था के परिणाम का पता लगाया जाएगा। जिसकी रिपोर्ट हर माह निदेशालय को भेजी जाएगी।डॉ. गजेन्द्रसिंह देवल, सीएमएचओ जालोर 

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