मंगलवार, 17 मार्च 2015

विधानसभा में अरसे बाद बीजेपी औऱ कांग्रेस नेता बोले एक स्वर में

विधानसभा में अरसे बाद बीजेपी औऱ कांग्रेस नेता बोले एक स्वर में


राजस्थान विधानसभा में अरसे बाद जनहित से जुड़े किसी मसले पर बीजेपी औऱ कांग्रेस के विधायक एक स्वर में एक आवाज पर बोले| आखिर सवाल वोट बैंक और किसान का था, जिसका दर्द बातों में सभी को होता है| ऐसे में सरकार ने भी हाथों-हाथ इस दर्द को महसूस करते हुए मुआवजे और राहत पैकेज का एलान कर दिया है|

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सभी विधायकों ने एक-एक महीने की तनख्वाह दे दी...पर मिलने वाला राहत पैकेज 2008 के मानकों पर मिलेगा| प्रदेश के 28 जिलों के 4247 प्रभावित गांवों में से 3109 गांवों में 50 फीसदी से ज्यादा फसलों को बेमौसम हुई बरसात ने नुकसान पहुंचाया है| गेहूं, चना और सरसों की बात तो छोड़िए... जीरा...ईसबबोल...धनिया और संतरा भी मौसम की मार से नहीं बच पाया|



सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि 13 जिलों में 25 लोगों की मौत हुई है... तो 164 दुधारू मवेशी और 1300 छोटे पशुओं की मौत दर्ज हुई है| 25 मार्च तक गिरदावरी के आदेश दिये गये हैं| बहस के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि सरकार किसानों के साथ है और इस मामले को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाएं...तो कांग्रेस ने सरकार से बिजली के बिल माफ करने के साथ ही नियमों से परे जाकर 50 फीसदी से कम खराबे पर भी राहत की मांग की और किसानों से कर्ज वसूली में रियायत मांगी|



विधानसभा की तस्वीर ऐसी थी...मानों हर विधायक किसान के लिए बात करने आया है| पर फिर भी फर्क कांग्रेस और बीजेपी का नज़र आया, जिसे आपदा राहत मंत्री गुलाब चंद कटारिया के बयान से समझ सकते हैं...ये जवाब किसान के लिए राहत मांगने वाले हर विधायक के लिए था... कटारिया ने बेबाकी से स्वीकार किया कि मौजूदा नियमों में किसानों को जो मुआवजा मिलता है...वह नाकाफी है... जब सरकार मानती है सब ठीक नहीं है... तो फिर सरकार क्यो लाचार है...कटारिया मानते हैं कि जितना मुआवजा मिलता है...वो नुकसान की भरपाई करने में सक्षम नहीं है...तो क्या नियम बदलने में सरकार समर्थ नहीं है...आखिर नुकसान आज है... तो क्या 15 दिन बाद हुई गिरदावरी में रिकॉर्ड सहीं मिलेगा... ऐसे कई सवाल हैं जो सियासत में तो नहीं पर लाचार किसान की शक्ल पर जरूर नज़र आते हैं...शायद दो दिन फिल्ड में रहने वाले विधायक आकर इसका जवाब देंगे|

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