शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

थार के बंदी पाक जेल में सह रहे पीड़ा

 बाड़मेर। पाकिस्तान की जेलों में कैद थार के बंदियों के परिजन को दोहरी पीड़ा सहनी पड़ रही है। तीस साल से अपनों से बिछोह का दर्द है तो उनके नाम दर्ज खेत-खलिहान से फायदा नहीं मिलने की पीड़ा भी है।thar prisoner aching in pak jail



इन लोगो को न तो किसान के्रडिट कार्ड का फायदा मिल रहा है और न ही कृषि कनेक्शन लेने या जमीन गिरवी रखने का परिलाभ। उनके आसपास के किसान कम जमीन के बावजूद सरकारी योजनाओं का फायदा उठा आर्थिक तरक्की कर रहे हैं और वे इस आस में कि जब भी अपने आएंगे, दोहरी खुशियां लाएंगे।




भारत और पाकिस्तान के बीच राजनैयिक स्तर पर रस्साकशी में पिछले तीस दशक से तीन परिवार पिस रहे हैं। इन परिवारों के तीन कमाऊ पाक की जेलों में कैद हैं, जबकि यहां उनके परिजन आर्थिक तंगी और मानसिक परेशानी से रूबरू हैं।




इन थारवासियों के नाम की कृçष्ा भूमि उनके परिजन के लिए परेशानी का कारण है। इस जमीन का परिजन सिर्फ खेती के लिए ही उपयोग कर पा रहे हैं, शेष परिलाभ नहीं मिलते। न तो वे इस जमीन पर कृषि कनेक्शन लेकर कुएं खोद सकते हैं और न सरकारी योजना से ऋण ले पा रहे हैं। फसल खराबा होने पर भी उनको फसल बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है।




ये है हाल

सरूपे का तला तहसील चौहटन निवासी साहुराम पुत्र रूपाराम 1989 से पाक में कैद है। उनके नाम पचास बीघा जमीन है। पच्चीस साल से उनकी वतन वापसी नहीं हुई है। उनका बेटा बड़ा हो चुका है और वह चाहता है कि इस जमीन पर कृषि कनेक्शन लेकर कुछ कमाए, लेकिन पिता की वापसी तक यह नहीं हो सकता। भीलो का तला रमजान की गफन निवाासी टीलाराम 1988 से पाक में कैदी है।







उसके नाम भीलो का तला व जामगढ़ में सामलाती खाते में तीस बीघा जमीन है। उसका भाई किसान के्रडिट कार्ड का लाभ लेना चाहता है। वह जमीन गिरवी रख कुछ करना चाहता है, लेकिन वह ऎसा नहीं कर पा रहा। धनाऊ निवासी भगुसिंह के परिजन खुशनसीब हैं कि उनको सरकार की ओर से मिली सिंचित जमीन (मुरबा) भगुसिंह की पत्नी के नाम ही है।




लापता होते तो यह नियम

कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति गुम हो जाता है और सात साल तक तक उसका अता-पता नहीं होने पर उसे मृत मान लिया जाता है, जिसके बाद उसकी जायदाद पर उसके परिजन का हक हो जाता है। ये थारवासी पाक की जेलों में कैद है, ऎसा माना जा रहा है। सरकार भी विभिन्न स्तरों पर द्विपक्षीय वार्ता में इनकी वतन वापसी को लेकर पाक उच्चायुक्त को अवगत करवा चुकी है। ऎसे में भूमि का नामांतकरकरण संभव नहीं है।

 

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