गुरुवार, 1 जनवरी 2015

बीमार ऊंटों की सवारी कर सैलानियों की "सेहत" से खिलवाड़

बीमार ऊंटों की सवारी कर सैलानियों की "सेहत" से खिलवाड़ 

उदयपुर। राज्य में सैलानियों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। राजस्थान पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन की अनदेखी से पर्यटन स्थलों पर सैलानियों को जिन ऊंट-घोड़ों की सवारी कराई जा रही है, वे बीमार होने पर सैलानियों की सेहत के लिए खतरा बन सकते हैं। बीमार ऊंट-घोड़ों की सवारी करने पर सैलानी चर्म रोग के साथ ही बुखार, जुकाम हित अन्य बीमारियों की चपेट आ सकते हैं।
play with tourist health by cemal riding

राज्य के पुराने किलों, राजमहल, झीलों और अन्य पर्यटन स्थलों पर प्रतिदिन बड़ी तादाद में विदेशी और देसी पर्यटक पहंुचते हैं। यहां सैलानी ऊंटों व घोड़ों की सवारी का लुत्फ जरूर उठाते हैं। हाल ये हैं कि इन ऊंटों व घोड़ों पर सवारी के लिए न तो लाइसेंस जारी किया गया है और न ही इनके स्वास्थ्य की जांच की व्यवस्था है।

अनदेखी का आलमऊंट और घोड़ों का पंजीकरण नहीं होने से पशुपालक मनमर्जी से सैलानियों को सवारी करा रहे हैं। ऎसे में कोई हादसा हो जाए, इसके लिए किसी को जिम्मेदार ठहराना मुश्किल हो सकता है। उदयपुर नगर निगम में तो पशु चिकित्सक ही नहीं है, जबकि फतहसागर पाल, शिल्पग्रा म, दूध तलाई सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर सैलानियों को ऊंट और घोड़े की सवारी कराकर सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है।

दूसरे राज्यों में स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग की ओर से घोड़े, खच्चर और ऊंट की सवारी कराने के लिए पशुपालकों को लाइसेंस लेना होता है। इतना ही नहीं, स्थानीय प्रशासन की ओर से समय पर लाइसेंसधारी पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। राज्य में सिर्फ माउण्ट आबू में नगर पालिका की ओर से पशुपालकों को लाइसेंस जारी किए गए हैं। इसके बाद ही घोड़े और ऊंट की सवारी कराई जाती है।

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