शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

"आश्चर्य है! सामूहिक दुष्कर्म की सजा माफ"

जयपुर। हाईकोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म जैसे संगीन अपराध करने वालों की सजा माफ करने तथा छेड़छाड़ या नाबालिग के अपहरण के अपराधियों को ऎसी रियायत का लाभ नहीं देने के सरकार के नियमों पर आश्चर्य जताया है। rajasthan govt for give rape convict
गृह विभाग के विशेषाधिकारी (जेल) को 15 अक्टूबर को हाजिर हो स्पष्टीकरण देने को कहा है। न्यायाधीश मनीष भण्डारी ने हरसहाय बैरवा व तीन अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह अंतरिम आदेश दिया।

गुरूवार को जयपुर केंद्रीय कारागृह के अधीक्षक एआर नियाजी हाजिर हुए, कोर्ट ने पूछा, सामूहिक दुष्कर्म के अपराधियों को फरवरी 2014 में कैसे रिहा कर दिया? इस पर नियाजी ने स्पष्टीकरण के लिए समय चाहा।

दोषी हो तो की जाए कार्रवाई
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सामूहिक दुष्कर्म के अपराधियों को सजा पूरी होने से पहले रिहा कर दिया जाता है। यह मामला गंभीर है। अपराधियों को रिहा करने में किसी की चूक पाए जाने पर कार्रवाई अमल में लाई जाए।

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