मंगलवार, 30 सितंबर 2014

सरकारी जांच में ही खुली मुफ्त दवा योजना की पोल

सरकारी जांच में ही खुली मुफ्त दवा योजना की पोल


जयपुर। प्रदेश में सरकारी अस्पतालों की कमी और मौजूदा अस्पतालों में स्टाफ की कमी के चलते नि:शुल्क दवा योजना का लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है।

मरीजों के अनुपात में दवा वितरण केन्द्रों की संख्या में कमी और एक दवा केन्द्र पर सभी दवाएं उपलब्ध नहीं होने से मरीजों की परेशानी और बढ़ गई है।

राज्य सरकार के मूल्यांकन संगठन की ओर से नि:शुल्क दवा योजना पर हाल में जारी रिपोर्ट में ये तथ्य बताए गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना लागू होने के बाद सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

लेकिन अस्पतालों की अत्यधिक कमी, मरीजों के बढ़ते दबाव और चिकित्सक-नर्सिग स्टाफ की कमी से योजना को वांछित सफलता नहीं मिल पा रही है। योजना लागू होने की तिथि 2 अक्टूबर 2011 से मार्च 2013 तक की अवधि में बतौर उदाहरण बूंदी व डंूगरपुर जिले के अस्पतालों का मूल्यांकन किया गया।
Irregularity in Rajasthan free medicine scheme
स्टाफ की इतनी कमी
दोनों जिलों के 16 अस्पतालों में से 12 में से स्टाफ की कमी पाई गई। बूंदी में 20 प्रतिशत व डंूगरपुर 32.94 प्रतिशत पद रिक्त हैं। डूंगरपुर के शहरी क्षेत्र के जिला अस्पताल में स्वीकृत 262 पदों में से 80 पद रिक्त मिले, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के सामुदायिक चिकित्सा केन्द्रों में स्वीकृत 34 में से 22 पद खाली मिले।

भार औसत से अधिक
रिपोर्ट के अनुसार दोनों जिलों के शहरी क्षेत्र के जिला अस्पतालों में दवा वितरण केन्द्रों पर मरीजों की संख्या का भार औसत से कहीं अधिक मिला।

उपचार से नहीं संतुष्ट
योजना का लाभ उठाने वाले 236 लोगों से मूल्यांकन के दौरान फीडबैक लिया गया। इनमें आधे से अधिक 55.93 प्रतिशत लोग चिकित्सकों के दिए उपचार से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे। लोगों ने कारण बताया कि केवल 3 दिन की दवा लिखी जाती है। दूर से बार-बार आना पड़ता है। जैनेरिक दवाओं से धीमा इलाज होता है और बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं होती।

रिपोर्ट में यह कमियां भी आई सामने
बूंदी के चयनित 8 में से 4 अस्पतालों में दवाइयों के भण्डारण की पर्याप्त व्यवस्था का अभाव मिला। केवल 5 अस्पतालों में दवाइयां, इंजेक्शन व फ्लुइड आदि को नियंत्रित तापमान में रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था मिली।

डंूगरपुर के 8 में 4 में कोल्ड स्टोरेज का अभाव मिला। चयनित 24 में से 9 दवा वितरण केन्द्रों पर स्टाफ की कमी और कंप्यूटर के अभाव में दवाइयां व अन्य सामान की उपलब्धता को लेकर व्यवस्थित रिकॉर्ड नहीं मिला।

अक्सर दवा वितरण केन्द्रों पर दवा की कमी के कारण मरीजों को एक केन्द्र से दूसरे केन्द्र पर भटकना पड़ता है। चिकित्सक जितनी मात्रा की दवा लिखते हैं, उतनी केन्द्र पर उपलब्ध नहीं होती।

बहुत कम बीमारियों के इलाज के लिए के लिए दवा उपलब्ध हो पाती है।

फैक्ट फाइल
प्रदेश में चिकित्सकों के स्वीकृत पद-करीब 10 हजार
रिक्त पद-करीब 4 हजार
आवश्यकता-करीब 10 हजार
प्रदेश में नर्सिग स्टाफ के स्वीकृत पद-करीब 35 हजार
रिक्त पद-करीब 5 हजार
आवश्यकता-करीब 50 हजार
प्रदेश में अस्पतालों की स्थिति
जिला अस्पताल-35
सैटेलाइट हॉस्पिटल-5
उपखण्ड अस्पताल-16
शहर डिस्पेंसरी-195
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र-551
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र-2066
उप स्वास्थ्य केन्द्र-13227 -

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