शनिवार, 23 जुलाई 2011

कागजों में हरियाली और राशि हड़प

कागजों में हरियाली और राशि हड़प 
 

बाड़मेर। महनरेगा में पौधरोपण करवाकर जहां एक ओर प्रदेश में हरियाली का सपना देखा जा रहा है वहीं कई ग्राम पंचायतें पौधरोपण की राशि को हड़प करने में लगी हुई है। जिले की कवास ग्राम पंचायत ने पौधरोपण के नाम पर महानरेगा में 81693 रूपए का घपला उजागर हुआ है। ग्राम पंचायत ने जिन विद्यालयों में सैकड़ों पौधे लगाने का दावा किया है, वहां पर कुछ भी नहीं है। जिला परिषद की जांच कमेटी ने भी गबन को मानते हुए वसूली की सिफारिश की है।

कवास ग्राम पंचायत की राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय सर का पार, राजकीय माध्यमिक विद्यालय ढूंढा, कालुआणी मेघवालों की ढाणी, नागणेशिया ढूंढा, काउ का खेड़ा व हरूपोणियों की ढाणी में करीब चौदह सौ पौधे लगाकर 81693 रूपए की राशि उठा ली गई। पौधरोपण के लिए गड्ढ़े खोदने, पौधे लगाने, पौध संरक्षण के लिए थावल और बाड़ बनाने के नाम पर यह राशि उठाई गई।

वर्ष 2010-10 में हुए इस पौधरोपण से इन विद्यालयों मेे अब तक एक एक साल के पौधे लहलहाने चाहिए थे लेकिन ऎसा कुछ नहीं हुआ है। विद्यालयों में एक भी पौधा नहीं लगा है। विद्यालय के अध्यापकों को भी इसकी जानकारी नहीं है।

जांच में पाया दोषी
जिला परिषद में इसकी शिकायत होने पर जांच कमेटी ने निरीक्षण किया। मौके पर पौधे नहीं पाए गए। श्रमिकों के फर्जी नाम अंकित कर भुगतान उठाने और गबन करने का खुलासा हुआ है। अध्यापकोे ने भी पौधे नहीं लगने की बात की है।

वसूली निकाली
कनिष्ठ तकनीकी सहायक कुलदीप चौधरी, ग्रामसेवक उम्मेदाराम एवं सरपंच श्रीमती राजकुमारी गोलिया को दोषी मानते हुए राशि वसूली करने की सिफारिश जांच कमेटी द्वारा की गई है।

नोटिस दे दिए थे
जांच में पौधरोपण नहीं करना पाया गया। इसके लिए संबंधित को नोटिस जारी कर दिए गए थे। इसके बाद क्या कार्यवाही हुई, जानकारी में नहीं है।
- अशोक गोयल अभियंता जांच कमेटी सदस्य

1 टिप्पणी:

  1. मनरेगा के माध्यम से पौधारोपण सराहनीय योजना है। अगर यह काम ढंग से किया जाए तो थार का कायाकल्प हो सकता है। लेकिन धिक्कार है उन दलालों को जो सिर्फ अपना घर भरने में लगे है। असली देशद्रोही तो ये लोग है जो अंदर ही अंदर देश को बंजर बनाए रखने की साजिशें अपने मन में संजोए हुए है लेकिन दिखाई नहीं देते। अगर थारवासी पेड़ों की कीमत नहीं समझेगा तो और कौन समझेगा। कवास जैसे क्षेत्रों में जहाँ अभ्रक की मौजूदगी के कारण पानी भूमिगत नहीं हो पाता (कवास में आई बाढ का कारण भी यही था), वहाँ तो यह और भी जरूरी हो जाता है। आखिर हम अपने इतिहास से कब सीखेंगे... कवास क्षेत्र में चौदह सौ पौधे लगाने के नाम पर सरपंच, ग्रामसेवक और कलर्क संयुक्त रूप से 81693 रूपए हड़पने के दोषी पाए गए। सार्थक और जागरूक संवाद के लिए शुक्रिया चंदन सिंह जी।

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