रविवार, 5 जून 2011

मेरा दर्द

मेरा दर्द 

केंद्र सर्कार ने अंग्रेज राज की याद दिला दी बाबा रामदेव के सत्याग्रह से सर्कार बौखला गई शायद शुक्र करो बाबा ने जनता को संयम बरतने का कह दिया अगर बाबा ने थोडा इशारा अनुयायियों को कर दिया होता तो राम लीला मैदान रावन लीला मई बदल गया होता.बाबा की मांगे जायज है हा नहीं इस बहस नहीं  जाये तो भी सत्याग्रह कर रहे अनुयायियों पर रात्रि दो बजे पुलिस कार्यवाही क्यों की गई...जिन नेताओ के धन विदेशो में है वे नहीं चाहते की बाबा सर्कार पर दबाव बनाए..सोनिया गाँधी,राहुल गाँधी.मनमोहन सिंघजी सब भ्रस्ताचार के खिलाफ लड़ने की बात कह कर एसा चक्रव्यू रचकर जनता की आवाज़ दबाने का प्रयास करते है...विद्यालयों में पढ़ा था की बाबर,जनरल दाएर ,जैसे बर्बर लोग थे...मगर आज आँखों देखा...हे राम...आखिर कब तक आम हिन्दुस्तानी सर्कार की दादागिरी के आगे पिसता रहेगा...लेकिन इतना जरूर है जब प्रकास्ता होगी और आम आदमी जागेगा तब इन नेताओ का हस्र क्या होगा खुदा जाने......वन्दे मातरम ..जय हिंद.

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