गुरुवार, 9 जून 2011

लंदन में ही होगा एमएफ हुसैन का अंतिम संस्‍कार

लंदन. मशहूर भारतीय चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन का लंदन के एक अस्पताल में निधन हो गया। हुसैन 96 साल के थे। अपनी पेंटिग्स के जरिए लोकप्रियता हासिल करने और विवादों में रहने वाले फिदा हुसैन को फेफड़े का कैंसर था। लंदन के रॉयल ब्रॉम्‍पटन अस्‍पताल में भर्ती हुसैन ने गुरुवार सुबह 2.30 बजे (स्‍थानीय समयानुसार) अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्‍कार यहीं होगा।

हुसैन 2006  से ही ब्रिटेन में रह रहे थे। हिंदू देवी-देवताओं के विवादस्पद चित्र बनाने के बाद एमएफ हुसैन को हिंदू संगठनों का विरोध झेलना पड़ा था जिसके बाद उन्होंने भारत छोड़ने का फैसला कर लिया था। 2010  में हुसैन को कतर ने नागरिकता देने का प्रस्ताव दिया था जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया था। हुसैन ने कुछ समय पहले एक इंटरव्‍यू में बताया था कि उनकी ख्‍वाहिश भारत लौटने की है।  आज उनके वकील ने भी एक टीवी चैनल से बताया कि हुसैन हमेशा भारत लौटना चाहते थे।

 1990 के दशक में उन्‍होंने बॉलीवुड स्टार माधुरी दीक्षित से प्रेरित होकर गजगामिनी पेंटिंग बनाई थी। इस पेंटिंग की वजह से हुसैन काफी मशहूर हुए थे। बाद में उन्होंने इसी नाम से एक फिल्म भी बनाई थी। माधुरी के प्रति उनके लगाव के चलते उनका नाम माधुरी फिदा हुसैन पड़ गया था। उन्‍होंने बॉलीवुड की कई अभिनेत्रियों की पेंटिंग बनाई। कुछ महीने पहले उन्‍होंने अनुष्का शर्मा की पेंटिंग बनाने की ख्‍वाहिश जाहिर की थी। अनुष्‍का की फिल्‍म ‘बैंड बाजा बारात’  उन्‍होंने आठ बार देखी थी और इसके बाद भी एक बार यह फिल्‍म देखने की इच्‍छा जताई थी।

हुसैन तब्बू और अमृता राव पर भी फिदा हुए थे। माधुरी और तब्बू पर उन्‍होंने फिल्‍म भी बनाई थी। लेकिन उन्‍हें माधुरी जैसी कोई नहीं लगी। एक साक्षात्कार में हुसैन ने कहा था कि माधुरी जैसी बात किसी भी हीरोइन में नहीं है। उन्हें सिर्फ विद्या बालन में ही माधुरी का थोड़ा-बहुत अक्स दिखाई देता था। कैटरीना के बारे में उनकी राय थी कि वह सुंदर तो हैं, लेकिन अभिनय में जीरो हैं।

हुसैन का जन्म 17 सितंबर 1915 में पंढरपुर में हुआ था। हुसैन को 2006 में भारत छोड़ना पड़ा था जब कुछ लोगों ने उनकी पेंटिंग को लेकर आपत्ति जाहिर की थी। इसके बाद हुसैन लंदन चले गए। बाद में उन्हें कतर की नागरिकता मिल गई। उन्हें 1991 में पद्म विभूषण भी मिला था। राम कथा पर जो सीरीज उन्होंने हैदराबाद में बनाई थी वो स्मरणीय है।

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