मंगलवार, 1 जुलाई 2014

गैस के दाम में भी लगी "आग", बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर महंगा -

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने जिन अच्छे दिनों की बात की थी वह फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं। महंगाई लोगों की जेब पर भारी पड़ने लगी है।

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पिछली रात बढ़ोत्तरी के बाद अब रसोई गैस के दाम भी बढ़ गए हैं। मोदी सरकार ने बिना सब्सिडी वाला रसोई गैस सिलेंडर का दाम 16.50 रूपए बढ़ा दिया है।

इस बढ़ी हुई कीमत के अनुसार, अब दिल्ली में बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर 922.50 रूपए में मिलेगा।

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के कारण पेट्रोलियम पदार्थो के भी दाम बढ़ रह हैं।
non subsidized gas cylinder price hiked by more than 16 rupees
इराक संकट की वजह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आये उछाल की वजह से तेल विपणन कंपनियों ने गैर सब्सिडी वाले रसोई गैस के सिलेंडर की कीमतों में बढोतरी की है। कंपनियों ने सोमवार को ही पेट्रोल की कीमत में 1.69 रूपए और डीजल के दाम 50 पैसे प्रति लीटर बढाये थे।

छह माह बाद इसके दाम बढे हैं। इस वर्ष जनवरी में यह 1241 रूपए का था। डॉलर के मुकाबले रूपए में हाल में आई गिरावट का भी कीमतों पर असर बताया गया है। रसोई गैस उपभोक्ता को एक साल में 12 सिलेंडर सब्सिडी दर पर मिलते हैं, जिसकी कीमत 414 रूपए है।

गैर सबसिडी वाले सिलेंडर की कीमत में पिछले माह 23.50 रूपए की कमी हुई थी। जनवरी के 1241 रूपए की तुलना में फरवरी में कीमत 107 रूपए घटकर 1134 रूपए रह गई थी। मार्च में यह 53.50 रूपए घटकर 1080.50 रूपए और अप्रैल में 100 रूपए घटकर 980.50 रूपए का रह गया था।

मई में इसके दाम 52 रूपए टूटे थे। देश की तेल विपणन क्षेत्र की अग्रणी कंपनी इंडियन आयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अनुसार रसोई गैस पर उसकी अंडर रिकवरी पिछले माह के 432.71 रूपए की तुलना मेें बढ़कर 449 रूपए प्रति सिलेंडर हो गई है। इस वर्ष जनवरी में अंडर रिकवरी 762.50 रूपए थी। दामों में बढोतरी के बाद चार महानगरों में गैर सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमतें निम्न होंगी।

जसवंत के निलंबित विधायक बेटे की भाजपा में वापसी संभव



पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ जसवंत सिंह की भाजपा में वापसी की अटकलों के बीच उनके पुत्र और भाजपा के निलंबित विधायक पुत्र मानवेन्द्र सिंह के खिलाफ अनुशासनहीनता के मामले में बर्खास्तगी की कार्रवाई से प्रदेश नेतृत्व संभवतया पीछे हट गया है।

जसवंत सिंह के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व का रूख देखते हुए प्रदेश भाजपा अब इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल रही है। निलंबन के ढाई महीने के बाद भी यह प्रकरण पार्टी की अनुशासन समिति को नहीं भेजा गया है।

भाजपा के संविधान के मुताबिक अनुशासनहीनता के मामले में कार्रवाई के लिए यह एक महीने की अवधि में ही यह प्रकरण प्रदेशाध्यक्ष की ओर से केन्द्रीय अनुशासन समिति के पास भेजा जाना चाहिए था।

अब पार्टी संविधान के मुताबिक अनुशासनहीनता के मामले में आगे की कार्रवाई का अधिकार प्रदेशाध्यक्ष और अनुशासन समिति के दायरे से बाहर होकर प्रदेश कार्य समिति ही ले सकेगी। जब भी प्रदेश कार्य समिति की बैठक बुलाई जाएगी, तभी यह प्रकरण कार्रवाई के लिए रखा जा सकेगा।

सूत्रों के मुताबिक जसवंत सिंह के पक्ष मेंबदली हुई परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अब प्रदेश नेतृत्व भी आगामी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है। ऐसे में अब संभवतया भाजपा का प्रदेश नेतृत्व राजनीतिक नियुक्ति की अटकलों के बारे में केन्द्रीय नेतृत्व के किसी निर्णय के बाद ही मानवेन्द्र सिंह के भविष्य का फैसला होगा। गौरतलब है कि मानवेन्द्र को बाड़मेर से निर्दलिय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे अपने पिता जसवंत सिंह के समर्थन में प्रचार करने के आरोप में भाजपा से निलंबित किया गया था।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी का कहना है कि अनुशासनहीनता को लेकर प्रक्रिया के तहत ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। अनुशासन समिति के पास मानवेन्द्र के अतिरिक्त अन्य कई मामले भी है।