सोमवार, 30 दिसंबर 2013

"कहीं मोदी अपनी गर्लफ्रेंड के ब्वॉयफ्रेंड को मरवा न दें"

नई दिल्ली। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को गुजरात जासूसी कांड को लेकर कांग्रेस निशाना बनाते आई है। अब कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है कि नरेंद्र मोदी अपनी गर्लफ्रेंड के ब्यॉवफ्रेंड को मरवा सकते हैं। इसलिए पीडिता और उसके परिवार वालों को सुरक्षा दी जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने मोदी की तुलना युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन से की। उन्होंने कहा कि जैसे अमीन अपनी गर्लफ्रेंड के ब्यॉवफ्रेंड को मरवा देते थे, मुझे डर है कि कहीं मोदी भी पीडिता के ब्वॉयफ्रेंड को न मरवा दें।"कहीं मोदी अपनी गर्लफ्रेंड के ब्वॉयफ्रेंड को मरवा न दें"

क्या है मामला
कोबरापोस्ट और गुलेल डॉट कॉम ने एक रिपोर्ट में खुलासा किया था कि नरेंद्र मोदी के नजदीकी अमित शाह ने खुफिया विभाग से एक लड़की की जासूसी करवाई थी। उस वक्त अमित शाह गृहराज्य मंत्री थे। खुलासे में सामने आया कि अमित शाह फोन पर बार-बार किसी "साहेब" का जिक्र कर रहे थे। इस पर कांग्रेस का कहना है कि अमित शाह के साहेब नरेंद्र मोदी ही हैं। मोदी के कहने पर ही उस लड़की पर निगरानी रखी गई थी।

ठाकुर जी ने भरा नानी बाई का मायरा : सरोज (प्रियाजी)

ठाकुर जी ने भरा नानी बाई का मायरा : सरोज (प्रियाजी)


जोधपुर में आयोजित भव्य संगीत मय नानी बाई का मायरा कथा के पाँच दिन नानी बाई के मायरे की कथा प्रसंग के पांचवे दिन की कथा में वाचक सरोज (प्रियाजी) ने बताया कि नानी बाई के तानो से दुःखी होकर नरसी भगवान कृष्ण से करूणा भर पुकार करने लगे। और अनेक भजन गाऐ व प्रभू की स्तुति की। वहीं इधर नानी बाई के ससुराल वालो ने मायरे की दूसरी पत्रिका लीखवानी शुरू की और नानी बाई के देवर नाराणा से ऐसी वस्तुऐं लिखवाई जो की नरसी लाने में असमर्थ थें। भीलों के लिए सोने के तीर कुम्हारो के जितने घर हैं उतने सवा, सवा लाख रूपये, पीपल के वृक्ष के पत्तो जितने उतने कपड़ो के थान और सोने की सिलाड़ी सोने के पाघोला इत्यादि नही ला सके ऐसी वस्तुऐं। नानी बाई के ससुराल ने यह सोचा कि ना ही नरसी जी यह सारी वस्तुऐ ला सकेगें और ना ही ब्याह में आऐगें। और उनका अपमान होगा। नरसी ने पत्रिका को लेकर पीपल के वृक्ष के नीचे रख दी। और ऊँचे स्वर में करूणा भरी पुकार से प्रभू को प्रार्थना करने लगें। ‘‘ आओ म्हारा नटवर नागरिया‘‘ सहित अनेक भजनो को सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गयें। नरसी जी की पुकार सुनकर बैकुण्ठ में बैठे श्रीकृष्ण भरी नींद में चैक कर उठे और राधा रूखमणी को साथ लेकर मायरे का सारा सामान जो पत्रिका में लिखा वह सब लेकर तीव्र गति से रथ हाककर अंजार की तरफ आने लगें । उसी समय से नानी बाई के ससुराल से मायरे का बुलावा नरसी जी को भेजा गया। नरसी जी ज्योहिं नानी बाई के घर ब्याह में पहुंचें। नानी बाई की काकी सासू ने नरसी जी को बधाने के लिए उनकी आरती कर तिलक किया। और नेक के रूपये मांगें। तब नरसी जी ने कहा कि देवा ने लेवा ने समधण राम जी को नाम तुलसी जी की माला ले लो, सेवा साळग राम। हमारे पास तो कुछ नही हैं, आपको देने के लिए यह सुनकर समधण ने नाराज होकर नरसी जी का तिलक वापिस पोछ लिया। उस समय नरसी जी को अपनी निर्धनता देखकर बहुत दुःख हुआ। और नरसी जी प्रभू से करूणा भरी पुकार करने लगें। पुकार सुनकर भगवान श्रीकृष्ण मायरे का सारा सामान लेकर नरसी जी के पास अंजार आये, और नरसी जी को मायरे की सारी वस्तुऐं दिखाने लगे और कहने लगे नरसी जी चलो मिलकर मायरा भरते हैं, पर नरसी जी कृष्ण भगवान से नाराज होकर उल्टे मुड़ जाते हैं। अब भगवान कृष्ण स्वयं नरसी जी को मनाने लगें। और नरसी जी व श्रीकृष्ण नानी बाई के घर मायरा लेकर पहुंचें।

इस कथा के साथ संत श्री सरोज (प्रियाजी) ने पांचवे दिवस की कथा की आरती की।