शनिवार, 1 दिसंबर 2012

कुर्सी खाली या भरी,जनता करेगी फैसला

कुर्सी खाली या भरी,जनता करेगी फैसला
जयपुर। राजस्थान के इतिहास में रिकॉल के लिए पहली बार मतदान होने जा रहा है। शहरी निकायों में सीधे वोट से चुनाव जिताने के बाद निकाय प्रमुख को वापस बुलाने का अधिकार तो जनता को मिल गया लेकिन इसका पहला इस्तेमाल मांगरोल में होने जा रहा है।

मांगरोल नगर पालिका अध्यक्ष अशोक जैन के खिलाफ पार्षदों की ओर से पारित अविश्वास प्रस्ताव पर रिकॉल के लिए 12 दिसम्बर को जनमत संग्रह किया जाएगा। नतीजा 14 दिसम्बर को आएगा। ईवीएम में सिर्फ दो ही बटन होंगे जिनमें से एक बटन पर खाली कुर्सी का निशान और दूसरे पर एक व्यक्ति की बैठी मुद्रा में भरी कुर्सी का निशान होगा।

यह है मामला
नवम्बर 2009 में हुए चुनाव में मांगरोल में निर्दलीय प्रत्याशी अशोक जैन नगर पालिका अध्यक्ष निर्वाचित हुए। जनवरी 2012 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ। नई चुनाव प्रणाली में जनता अध्यक्ष को वापस बुला सकती है लेकिन इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव पारित होने अनिवार्य है।

फर्जीवाड़े के मामले में बैंक प्रबंधक सहित चार को सजा

जोधपुर.सीबीआई मामलात की विशेष अदालत ने सरकार की मैसिव योजना में फर्जी तरीके से लाखों रुपए का ऋण स्वीकृत करने के मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की उम्मेदनगर शाखा के तत्कालीन प्रबंधक सहित चार लोगों को दोषी मानते हुए एक-एक वर्ष के कठोर कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई है।

विशेष न्यायाधीश अतुल कुमार चटर्जी ने जोधपुर जिले में उम्मेद नगर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन शाखा प्रबंधक वाईपी पेशवा, मथानिया में महेश्वरी ऑटो सेल्स के प्रोप्राइटर सत्यनारायण बूब व मथानिया के ही मोहनलाल मेघवाल व पुखराज माली को भ्रष्टाचार व फर्जीवाड़े का दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई।

वरिष्ठ लोक अभियोजक सीबीआई एसएस यादव का कहना था कि शाखा प्रबंधक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वर्ष 1990 में ऐसे व्यक्ति के नाम का ऋण खाता अपनी बैंक में खोला, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं था। शाखा प्रबंधक ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर डीआरडीए जोधपुर द्वारा उस काल्पनिक व्यक्ति के नाम 30,518 रुपए का अनुदान भी दिलवा दिया।

विशन दास नाम के इस काल्पनिक व्यक्ति का कोई वजूद ही नहीं था। उसके बावजूद उसकी जमीन में नलकूप खुदाई की मजदूरी के 32,100 रुपए उठा लिए। इसके अलावा पंप सेट एवं अन्य सामान के 30,000 रुपए तिंवरी की मेसर्स स्वास्तिक इलेक्ट्रॉनिकल फर्म को अदा कर दिए।

शाखा प्रबंधक ने इसी प्रकार 77,000 रुपए का ऋण आरोपी मोहनलाल को वितरित कर दिया। 31,000 रुपए आरोपी फर्म मेसर्स महेश्वरी ऑटो सेल्स मथानिया व 42,600 रुपए पंप सेट के नाम पर फर्जी तरीके से भुगतान किया। यादव ने बताया कि पेशवा ने पंजीयन कार्यालय में पहचानकर्ता के रूप में हस्ताक्षर भी किए।

आरोपी मोहनलाल के नाम ऋण वितरण के मामले में उसकी भूमि के पास स्थित अन्य कृषि भूमि जो आरोपी सत्यनारायण के नाम थी उसमें नलकूप खुदवा कर पंप सेट लगवा दिया। आरोपियों के वकीलों का कहना था कि आरोपी पिछले 17 साल से ट्रायल भुगत रहे हैं इसलिए सजा में नरमी का रुख अपनाया जाए। गौरतलब है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, जोधपुर ने इस मामले में 1995 में आरोप पत्र दाखिल किया था।