जब सीमावर्ती लोगों ने
पाक के इरादे नाकाम किये
भारत पाक के मध्य तृतीय युद्ध 1971 में पाक की भीषण गोलाबारी सही हैं। पाक की गोलाबारी व बमबारी का जिस दृ़ता के साथ बाड़मेर से साहसी नागरिकों ने सामना किया था, वह इतिहास बन चुका हैं। सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों ने युद्ध के दौरान विशेष उत्साह दिखाया, वहीं सेना का मार्गदर्शन कर पाक को शिकस्त देने में मदद की।
आज जब भारत पाक सीमा पर तनाव का माहौल हैं। दोनों की सेनाएं अपने अपने शस्त्र संभाल मोर्चे पर तैनात हैं। आज फिर सीमावर्ती गांवो के जवानों की भुजाएं पाक से दो चार हाथ करने को फडफडा रही हैं। सीमावर्ती गांवो के लोगो ने 1971 के युद्ध में अविस्मरणीय यादें आज भी ताजा हैं। गांवो के बुजुर्गो ने बताया कि पाक ने पहली बार एक साथ 19 बम हवाई जवाज से उतरलाई स्टेशन पर गिराए इन बमों के फटने से कोई हानि नहीं हुई। भारतीय सैनिकों ने इसी दिन 3 दिसम्बर 1971 को एंटी एयर क्राफ्ट गनो से शत्रु को भगा दिया। इसके अलावा एक केबिन, प्याऊ व दुकान नष्ट हो गई। अगले दिन 4 दिसम्बर को सायं सवा 5 बजे गडरारोड़ में एक तामलोरलीलमा के मध्य कई बम गिराए पाक ने। इसी बीच पाक ने हवाई हमले तेज कर दिये। 5 दिसम्बर को उतरलाई स्टेशन तथा गडरारोड़ में एकएक बम गिराया गया जो फटे भी मगर क्षति नहीं हुई। इस क्रम को 6 दिसम्बर को जारी रख पचपदरा मण्डली मार्ग पर स्थित मवडी गांव में एक साथ 43 बम गिराए जिसमें 41 फट ग तथा 2 बम बिना फटे ही रह गए। वहीं इसी दिन महाबार में 13 बम गिराए गए जिनमें पांच बम फटे और आठ बम बिना फटे ही रह गए। इन बमों के फटने से जानमाल की क्षति नहीं हुई क्योंकि लोग पहले से ही सुरक्षित स्थानों पर जा चुके थे।
अपनी विफलता पर घबराए पाक ने 7 दिसम्बर को पुनः रात्रि 11 बजे 5 बम गिराए मगर हानि नहीं हुई। बाड़मेर मुख्यालय को पहली बार 8 दिसम्बर को पाक के अब झेलने का अवसर मिला। पाक रात्रि लगभग 1 बजे मालगोदाम पर बम गिरा। मालगोदाम में रखी सामग्री जल गई। वहीं 5 मालगाडी के डिब्बे जलकर राख हो गये। इसी क्रम में उतरलाई हवाई अड्डे पर 1 बजकर 20 मिनिट पर बम गिराया। तत्पश्चात बाड़मेर रेल्वे स्टेशन पर स्थित सवारी रेलगाडी पर बम गिराया इससे चार यात्री डिब्बे में ही जलकर राख हो गये। इसी स्थान पर रखी पेट्रोल व डीजल की टंकियों को नागरिक सुरक्षा के जवानों ने तुरन्त खाली कर क्षति होने से बचाया। मगर पास रखे कोयलों में आग लग चुकी थी। स्वयं सेवको ने निस्वार्थ भावना से कार्य कर मालगोदाम कार्यालय में रखा फर्नीचर, रेकर्ड व अन्य सामग्री सुरक्षित स्थान पर डाली।
इसी रात्रि को लगभग ़ाई बजे पाक हवाई जहाज ने कोयले की ़ेरी में बम डाला मगर झाति नहीं हुई। तत्पश्चात दो बम मालगोदाम पर और गिराए गए जिसमें एक बम फटा मगर नुकसान नहीं हुआ। इसी तरह अगले दिन 9 दिसम्बर को सायं सा़े पांच बजे कोनरा तथा बच्चू का तला में 17 बम गिराए जिसमें 11 बम फटे, 5 बम फटे बिना ही रह गए तथा संदेहास्पद स्थिति में भी उन बमों के फटने से नुकसान हुआ। लखा की ़ाणी जलकर राख हो गई। वहीं लगभग 65 बकरियां जिन्दा जल गई। इसी रात्रि गौर का तला में चार बम गिराए गए जो बिनो फटे रहे। इसी दिन उतरलाई में एक बम गिराया मगर क्षति नहीं हुई।
अगले दिन 10 दिसम्बर को कुड़ला गांव के दीपसिंह की ़ाणी पर दो बम गिराए। दोनो बम फट जाने से कुछ घरों में नुकसान हुआ। अगले दिन 11 दिसम्बर को लगभग सा़े 8 बजे प्रातः रावतसर, कुडला के पास बम गिरे जिससे क्षति नहीं हुई, उधर नौ बजे प्रातः उतरलाई पर 2 बम गिराए जिके फट जाने से एक जीप जल गई तथा एक हवाई जहाज को क्षति पहुंची। रात सवा नौ बजे परबतसिंह की ़ाणी की कोटडी के पास 2 बम गिरे मगर क्षति नहीं हुई। रात्रि ड़े बजे गुलाबसिंह की ़ाणी के पास एक पेट्रोल की टंकी गिराई जिससे अग लगी मगर मामूली क्षति पहुंची। 12 दिसम्बर को जयसिन्धर स्टेशन पर बमबारी की जिससे कुछ नुकसान हुआ।
प्रातः पौने नौ बजे मीठडा खुर्द में दो बम गिराए मगर क्षति नहीं हुई। इसी दिन रात्रि 12 बजे सीमावर्ती नेवराड गांव में पैराशूट से सिलेंडर उतारा गया जो लगभग 8 कि.ग्रा. था। इस रात्रि को सरली गांव में 10 बम गिराए क्षति नहीं हुई मगर 40 गुणा 15 फीट के गड्े पड गए। इसी दिन गरल गांव के समीप रोशनी वाले सिलेंडर पैराशूट से उतारकर भय का वातावरण पैदा करने का असफल प्रयास किया गया।
इस प्रकार सेडवा में एक, बामरला में दो बम गिराए मगर क्षति नहीं हुई। पाकिस्तान ने बमबारी कर बाड़मेर की जनता में भय का वातावरण बनाने का असफल प्रयास किया। पाक को भारतीय सेना ने मुंह तोड जवाब दिया। पाक द्वारा लगभग 10 दिन लगातार बम बरसाने के बावजूद नागरिक शहर में रह कर पाक हमलों का मुकाबला किया। अंत में पाक को हार का सामना करना पड़ा। लोग आज भी अतीत को यादर कर रोमांचित हो उठते हैं। मगर इस सरहदी क्षेत्र के गांवो में 1971 के युद्ध के दौरान भीषण बमबारी की गई थी जिसमें लगभग 60 फीसदी पाक बम बिना फटे रह गए थे।