गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

'एसीपी हमबिस्तर होने के लिए दबाव डाल रहे हैं'

हैदराबाद।। आंध्र प्रदेश में एक हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट चलाने के आरोप में अरेस्ट तेलुगू फिल्मों की ऐक्ट्रेस रवीला राजेश्वरी उर्फ तारा चौधरी कई नेताओं, पुलिस अधिकारियों और बिजनेसमैन के गले की फांस बन गई है। इस ऐक्ट्रेस का दावा है कि उसके ग्राहकों में कई बड़े सफेदफोश शामिल हैं और उसके पास उनकी सीडी है। यही नहीं बुधवार को जब इस ऐक्ट्रेस को कोर्ट में पेश किया गया, तो उसने जज के सामने ही एसीपी पर आरोप लगाया कि उसपर जेल में हमबिस्तर होने के लिए दबाव डाला गया। tara-sharma.jpg 
आंध्र प्रदेश के प्राकासम जिले की रहने वाली तारा चौधरी फिल्म स्टार बनना चाहती थी। कुछ छोटी बजट की फिल्मों में काम मिला भी, लेकिन करियर आगे नहीं बढ़ सका। बताया जाता है कि इसके बाद वह सेक्स रैकेट चलाने लगी। वह लड़कियों को फिल्मों में काम दिलाने का झांसा देकर अपने रैकेट में शामिल कर लेती थी। एक लड़की की शिकायत के बाद उसे पिछले दिनों अरेस्ट किया गया था।

वीआईपी हायर करते थे, पुलिस पहुंचाती थी
तारा को जिस पुलिस ने गिरफ्तार किया है उस पर ही कई संगीन आरोप हैं। बताया जाता है कि वीआईपी क्लाइंट जब तारा चौधरी को हायर करते थे तो पुलिस ही उसे उनके पास पहुंचाती थी। उसके रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तिरुमला तक में उसके लिए वीआईपी दर्शन का इंतजाम हो जाता था।

कांग्रेस के सांसदों, टीडीपी विधायकों पर आरोप
पुलिस सूत्रों के मुताबिक तारा चौधरी की पहुंच काफी ऊपर तक है। एक पूर्व चीफ मिनिस्टर की पत्नी की तो वह खासमखास है। वह जब कभी भी मुश्किल में फंसती या जेल जाती तो वह उसकी बेल करवा देती हैं। बताया जाता है कि तारा का गुंटूर स्थित एक सीनियर पॉलिटिशन के पास काफी आना जाना था। उसके पास से बरामद सीडी में उसकी इस नेता से बातचीत रेकॉर्ड है। तटीय आंध्र प्रदेश और उत्तरी तेलंगाना के दो कांग्रेस सांसद और टीडीपी के दो विधायक और कई पुलिस अधिकारी उसके ग्राहकों में शामिल हैं।

वीआईपी क्लाइंट की बना लेती थी सीडी
ऐक्टिंग में फ्लॉप तारा चौधरी मीठी-मीठी बातों से वीआईपी क्लाइंट को फंसाने में माहिर थी। यह नहीं वह अपने वीआईपी क्लाइंट को ब्लैकमेल करने के लिए उसकी सीडी बना लेती थी। पुलिस ने उसके पास से जो 90 सीडी बरामद की हैं, उन्हें खुफिया कैमरे से बनाया गया था। इसमें उसकी मदद उसका सहयोगी हनीफ करता था। पुलिस उसे भी तलाश रही है। बताया जाता है कि पिछले कुछ महीनों से उसने क्लाइंट के पास जाना बंद कर दिया था। वह क्लाइंट को अपने बताए पते पर बुलाती थी। पुलिस ने उसके पास से सीडी के अलावा कुछ कागजात भी बरामद किए हैं, जिससे पता चलता है कि वह अपने क्लाइंट और दूसरे लोगों को पैसे भी उधार देती थी।

कोर्ट में तारा का सनसनीखेज आरोप
तारा चौधरी ने अडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटिन मैजिस्ट्रेट के सामने आरोप लगाया कि बंजारा हिल्स के एसीपी शंकर रेड्डी ने उस पर कस्टडी के दौरान जेल में हमबिस्तर होने के लिए दबाव डाला। तारा ने यह आरोप तब लगाया जब मैजिस्ट्रेट ने उससे पूछा कि क्या पुलिस कस्टडी में उससे ठीक से बर्ताव किया गया ? तारा को बुधवार को चार दिन की पुलिस कस्टडी खत्म होने के बाद कोर्ट में पेश किया गया था।

तारा ने कोर्ट में कहा कि एसीपी और बंजारा हिल्स इंस्पेक्टर एम. सुदर्शन ने उसे धमकाया और वीआईपी से जुड़ी चीजें आम न करने को कहा। तारा ने कोर्ट को बताया कि दोनों उसके पास से सीज़ की गई सीडी से वीआईपी को ब्लैकमेल कर रहे हैं। तारा के मुताबिक जिस लड़की ने उस पर सेक्स रैकेट में फंसाने का आरोप लगाया है वह उसे जानती भी नहीं है। बकौल तारा उसे फंसाया गया है।

नकली भक्‍तों को सवाल पूछने के दस हजार देते थे निर्मल बाबा!

नागपुर. अजीबोगरीब उपाय बता कर लोगों की किसी भी तरह की समस्‍याएं सुलझाने का दावा करने वाले निर्मल बाबा की मुसीबतें बढ़ती लग रही हैं। उनके खिलाफ जहां एक के बाद एक शिकायतें दर्ज हो रही हैं, वहीं अब उन्‍हें खुले आम चुनौती भी दी गई है। उन पर पैसे देकर लोगों से अपना महिमा मंडन कराने वाले बयान दिलवाने के आरोप भी लग रहे हैं।
 
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का कहना है कि निर्मल बाबा दैविक शक्ति का दावा करके लोगों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं। यहां जारी बयान में समिति के कार्याध्यक्ष उमेश चौबे व हरीश देशमुख ने आरोप लगाया कि निर्मल बाबा का दैविक शक्ति का दावा खोखला, निराधार व धार्मिक प्रवृत्ति के कट्टरपंथी लोगों के लिए मानसिक रूप से गुमराह करने वाला है। उन्होंने आरोप लगाया कि टीवी चैनलों पर नकली भक्तों को पेश कर बाबा अपनी वाहवाही कराते हैं। समिति ने टीवी चैनलों पर चल रहे इन विज्ञापनों पर पाबंदी लगाने की मांग केंद्र सरकार से की है। उन्‍होंने कहा कि यदि बाबा के पास वास्तव में चमत्कारिक शक्तियां हैं, तो वह अपनी शक्तियों के बल पर एक पापड़ भी तोड़ कर दिखा दें तो समिति उन्‍हें 15 लाख रु. इनाम देगी।
उधर, लखनऊ और रायपुर में बाबा के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाई गई है। रायपुर के डीडी नगर थाने में दर्ज शिकायत में टीवी चैनलों में दिखाए जा रहे 'थर्ड आई निर्मल बाबा' कार्यक्रम में लोगों की समस्याओं का समाधान करने का दावा करने वाले निर्मल बाबा पर पाखंडी होने का आरोप लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि बाबा लोगों को अनर्गल उपाय बतलाकर उनके साथ धोखाधड़ी करके फीस के रूप में मोटी रकम वसूलते हैं। बाबा के बताए उपाय खोखले और भोलेभाले लोगों को गुमराह करने वाले हैं।

शिकायत दर्ज कराने वाले रविशंकर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष योगेन्द्र शंकर शुक्ला ने रायपुर में प्रेस वार्ता कर कहा है कि चैनलों में निर्मल बाबा को ईश्वर का अवतार व दुखों का हरण करने वाले बाबा के रूप में प्रचारितकिया जा रहा है। वे लोगों को बताते हैं कि समस्याएं सुलझाने के लिए भजिया, समोसा खाएं या महंगे जूते पहने, महंगा पर्स जेब में रखें या नोटों की गड्डी तिजोरी में रखें। घर में शिवलिंग न रखें। ऐसे ही अनेक उपाय पूर्ण रूप से खोखले हैं और इनसे समस्या का समाधान नहीं होता बल्कि लोगों में अंधविश्वास जैसी भावना पनपती है। उन्‍होंने कहा कि शिवलिंग को घर में न रखने की सलाह से उनकी धार्मिक भावना को ठेस पहुंची है। वे बरसों से शंकर के भक्त हैं और उनके जैसे अनेक लोग आहत हुए हैं। लखनऊ के गोमती नगर थाने में भी ऐसी ही शिकायत दर्ज हुई है।

उधर, कई टीवी सीरियल में काम कर चुकी जूनियर आर्टिस्ट निधि के हवाले से भी मीडिया में खबर आई है कि निर्मल बाबा प्रारंभिक दिनों में ठगी का धंधा चमकाने के लिए ठग नोएडा की फिल्म सिटी स्थित एक स्टूडियो में अपने प्रोग्राम की शूटिंग करवाते थे। उसमें बाबा के सामने जो लोग अपनी समस्या हल होने का दावा करते थे, वे लोग असली न होकर जूनियर आर्टिस्ट हुआ करते थे। निधि ने बताया कि उन जूनियर आर्टिस्टों की लिस्‍ट में उसका भी नाम था।
निधि का कहना है कि निर्मल बाबा सवाल पूछने के लिये उसे 10 हजार रुपये देते थे। बाबा की पोल खोलते हुए निधि कहती हैं कि शुरू के दो महीने तक निर्मल बाबा ने अपने ही आदमियों और जूनियर आर्टिस्टों से प्रश्‍न पुछवाया।

बाड़मेर बाडमेरताज़ा खबरें | आज की ताज़ा खबरें, ताज़ा खबर 12 अप्रेल


धीमी प्रगति पर विकास अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस 

बाडमेर, 12 अप्रेल। जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने इन्दिरा आवास योजना में धीमी प्रगति वाली पंचायत समिति के विकास अधिकारियों को नोटिस जारी कर अपना स्पश्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्दो दिए है। वे बुधवार को बीस सूत्री कार्यक्रम की बैठक में मार्च माह तक विभिन्न बिन्दुओं में अर्जित उपलब्धियों की समीक्षा कर रही थी। 
इस मौके पर डॉ. प्रधान ने कहा कि सभी विभाग मार्च माह तक कीे प्रगति रिपोर्ट यथा समय अपने विभागाध्यक्ष को भिजवाया जाना सुनिचत करें ताकि सही प्रगति रिपोर्ट रैंक निर्धारण में सम्मिलित की जा सकें। उन्होने कहा कि बीस सूत्री कार्यक्रम सरकार का अग्रणी वरियता प्राप्त कार्यक्रम हैं तथा इसमें किए गए कार्यो के आधार पर जिले की प्रगति प्रदिर्त होती है तथा इसी आधार पर जिले को रैकिंग प्रदान की जाती है। 
बैठक में जिला कलेक्टर ने बीस सूत्री कार्यक्रम के सभी बिन्दुओं की बिन्दुवार विस्तृत समीक्षा की। उन्होने बीस सूत्री कार्यक्रम के विभिन्न रैंकिंग बिन्दुओं का व्यापक प्रचार करने के निर्दो दिए ताकि पात्र लोगों को अधिकाधिक लाभ मिल सकें। उन्होने बैठक में अधिकारियों की अनुपस्थिति पर नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस जारी करने के निर्दो दिए। 
इससे पूर्व मुख्य आयोजना अधिकारी के.सी. मीणा ने कार्यकम की माह मार्च तक की प्रगति की बिन्दुवार जानकारी दी। बैठक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी छगनलाल श्रीमाली, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामस्वरूप मीणा समेत संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। 
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जिला कलेक्टर की पहल से होगा भगवान महावीर टाउन हॉल का रिनोवोन 


बाडमेर, 12 अप्रेल। जिला मुख्यालय पर स्थित भगवान महावीर टाउन हॉल में चालीस लाख रूपये की लागत से रिनोवोन कार्य जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान की पहल से कराये जाएगें। भगवान महावीर टाउन हॉल में नये सिरे से विभिन्न प्रकार के लकडी के कार्य, सिविल मरम्मत कार्य पर कुल 38 लाख रूपये तथा 2 लाख रूपये के बिजली के कार्य नये सिरे से कराये जाएगें। 
जिला कलेक्टर डॉ. प्रधान ने बताया कि टाउन हॉल में साउण्ड सिस्टम लगाने, पुनः प्लास्टर कराने, पेयजल हेतु अण्डर ग्राउण्ड टैंक निर्माण का कार्य, हॉल में फाल्स सिलिंग के कार्य के साथ साथ हॉल में कुसियां आदि भी नई लगाई जाएगी। 
डॉ. प्रधान ने बताया कि भगवान महावीर टाउन हॉल के निर्माण के बाद प्रथम बार रिनोवोन कार्य कराया जा रहा है। उन्होने बताया कि नगर पालिका बाडमेर के टाउन हॉल में रिनोवोन कार्य प्रारम्भ कराये जाकर निर्धारित अवधि में पूर्ण कराये जाने हेतु केयर्न एनर्जी इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड से तकनीकी सहायता के लिए तकनीाियन की सेवाएं उपलब्ध कराई जाएगी। 
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क्षेत्रीय जलप्रदाय योजनाओं से अन्तिम छोर तक पानी की आपूर्ति के निर्दो 


बाडमेर, 12अप्रेल। जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने जलदाय विभाग के अधिकारियों को क्षेत्रीय जलप्रदाय योजनाओं से अन्तिम छोर तक पानी की आपूर्ति सुनिचत करने के निर्दो दिए है। वे बुधवार को रामसर उपखण्ड मुख्यालय पर पेयजल आपूर्ति व्यवस्था की समीक्षा कर रही थी। 
इस अवसर पर जिला कलेक्टर डॉ. प्रधान ने अधिकारियों को अपने कार्यो के साथ भावनात्मक रूप से जुडने के निर्दो देते हुए कहा कि वह अपने दायित्वों को धर्म के साथ जोडें। हमारी परम्परा में लोग पुण्य अर्जित करने के लिए जगह जगह पानी की प्याऊ खोलते है तथा अन्य व्यवस्था करते है, लेकिन उन्हें यह कार्य अपने दायित्वों के रूप में मिला है इसलिए लोगों को पानी पिलाकर पुण्य अर्जित करें। 
उन्होने कहा कि क्षेत्रीय जल प्रदाय योजनाओं से तय समय के अनुसार निर्धारित मात्रा में जलापूर्ति की जाए तथा पेयजल परिवहन वाले स्थानों पर भी निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पेयजल आपूर्ति हर हाल में होनी चाहिए। उन्होने कहा कि पेयजल आपूर्ति के मामले में कोई समझौता नहीं किया जाएगा तथा इसमें लापरवाही बरतने पर कडी कार्यवाही की जाएगी। 
जिला कलेक्टर ने बताया कि जिले में पेयजल की समस्या प्रमुख है तथा इसके निवारण में तत्परता की आवयकता है। उन्होने पेयजल से संबंधित स्वीकृत कार्य हर हाल में पूर्ण करने के निर्दो दिए। उन्होने पेयजल परिवहन के प्रस्ताव बनाकर स्वीकृति के पचात तुरन्त परिवहन कार्य आरम्भ करने के निर्दो दिए। बैठक में रामसर उपखण्ड की क्षेत्रीय पेयजल योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की गई। उन्होने कहा कि प्रत्येक 45 पंचायतों के कलस्टरों पर नियुक्त फील्ड अधिकारियों के मोबाईल नम्बर संबंधित ग्राम पंचायत में अंकित किए जाए ताकि उस पंचायत के लोग पानी की समस्या के निवारण के लिए उनसे सीधा सम्पर्क कर सकें। उन्होने पेयजल योजनाओं के पृथक फिडरों पर बिजली की कटौती नहीं करने को कहा तथा जिन पेयजल योजनाओं के लिए बिजली के फीडर पृथक से नहीं लगे है, उनके लिए प्रस्ताव भिजवाने के निर्दो देते हुए कहा कि सभी पेयजल स्त्रोतों के लिए बिजली के पृथक से फीडर हो जाने चाहिए ताकि कटौती होने पर उन्हें वंचित रखा जा सकें। 
इस मौके पर उन्होने जलदाय विभाग के अधिकारियों से कहा कि उनका सर्वोपरि कार्य लोगों को पेयजल पहुंचाना होना चाहिए तथा इसके लिए वे व्यक्तिगत स्तर पर सकि्रय रहकर कार्य करें। रामसर में बैठक के दौरान जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधीक्षण अभियन्ता के उपस्थित नहीं होने पर उन्हें स्पश्टीकरण जारी करने के निर्दो दिए। 
बैठक में अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरूण पुरोहित, उपखण्ड अधिकारी मेहताबसिंह उज्जवल, प्रघान श्रीमती धाई देवी, बालोतरा भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष फतेह खां समेत जलदाय विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। 
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जिला आयोजना समिति की बैठक 16 को 
बाडमेर, 12 अप्रेल। जिला वाशिर्क योजना 201213 एवं पंचवशीर्य योजना 201217 के निर्माण हेतु जिला आयोजना एवं समन्वय उप समिति की बैठक जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान की अध्यक्षता में 16 अप्रेल को दोपहर 1.00 बजे कांफ्रेन्स हॉल में आयोजित की जाएगी। 
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बुधवार, 11 अप्रैल 2012

इंडोनेशिया में तगड़ा भूकंप: भारत में भी हिल उठी धरती

इंडोनेशिया का सुमात्रा द्वीप आज रिक्टर स्केल पर 8.6 तीव्रता के भूकंप से हिल उठा। इंडोनेशियाई प्रशासन ने बताया है कि भूकंप के बाद भूकंप के बाद आने वाले झटके (आफ्टरशॉक) महसूस किए गए हैं। इन झटकों की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.5 आंकी गई है। अमेरिकी मौसम विभाग के मुताबिक उत्तरी सुमात्रा के पश्चिमी तट पर एसे नाम की जगह पर समुद्र के 33 किलोमीटर अंदर भूकंप का केंद्र है। एसे 2004 में दक्षिण एशिया में आई विनाशकारी सुनामी के लिए जिम्मेदार भूकंप के केंद्र के बहुत नजदीक है। इंडोनेशिया के प्रशासन ने अलर्ट जारी करते हुए सुनामी की चेतावनी दी है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने कहा है कि सुनामी का खतरा तो नहीं है, लेकिन उनका देश पूरी तरह से तैयार है। भूकंप को देखते हुए 28 देशों में सुनामी अलर्ट जारी किया गया है। इन देशों में थाईलैंड, सिंगापुर, श्रीलंका, मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं।

 
भूकंप के झटके हिंद महासागर से सटे भारतीय इलाकों में भी महसूस किए गए हैं। इसमें असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और अंडमान निकोबार शामिल है। कोलकाता में कई इमारतों में दरार देखी गई है। यहां करीब 20 सेकेंड तक भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। कोलकाता में भूकंप के बाद मेट्रो को रोक दिया गया है। मुंबई से 150 किलोमीटर दूर समुद्र में भी भूकंप की सूचना है। हालांकि, अभी तक कहीं भी जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कहा है कि हिंद महासागर में कहीं भी सुनामी आने की आशंका नहीं है। एनडीएमए ने कहा है कि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सरकारों से वह संपर्क में है। इसके अलावा प्राधिकरण किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार है। भारत के पूर्वी तट से सटे इलाकों में मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। एनडीएमए के उपाध्यक्ष शशिधर रेड्डी ने कहा है कि अंडमान-निकोबार में ऊंची लहरें नहीं देखी गई हैं और इस इलाके में सुनामी आने की आशंका नहीं है।

The Thar Desert ...jaisalmer...see picture...Desert satyam Safari






































The Thar Desert ...jaisalmer


The Thar Desert or the Great Indian Desert, is in the northwestern part of the Indian subcontinent spread more than 200,000 sq. km.. It lies mostly inRajasthan [राजस्थान] and extends into the southern portion of Haryana and Punjab and into northern Gujarat. Some parts of the desert covers eastern Sind and south-east Punjab province of Pakistan. 


The Thar Desert is bounded on the northwest by the Sutlej River, on the east by the Aravalli hills Range , on the south by the Rann of Kutch and on the west by the Indus River. 


It is characterized by its massive rolling sand dunes, excessive heat (50 degrees centigrade in May and June, with sand temperatures rising to 70 degrees), dust storms and dust-raising winds, often blowing winds with velocities of 140-150 Km/hr. 


History and Geology 


It is the found that Jaisalmer ( स्वर्ण नगरी जैसलमेर) in the Thar Desert about 180 million years ago, bordered the sea is testified by a petrified wood in Akal Fossil Wood Park. The igneous suite marks the last phase of igneous activity of pre-Cambrian age in the Indian subcontinent is about 700 million years old. Sendra granite, a plutonic igneous rock is about 900 million years old found The Great Indian Desert is also have a details in Vedas. The Holy River Sarswati was flowing through this Thar esert. Studies share the opinion that the river Sarasvati coincide with the bed of present day river Ghaggar and the Sutlej along with the Yamuna (यमुना) once flowed into the present Ghaggar riverbed. 


The Thar Desert is a desolate region where sand is piled up into huge wind blown dunes. The soils of the Desert are generally sandy to sandy-loam in texture. The low-lying loams have a hard pan of clay, calcium carbonate, silica and gypsum.. Several minerals including iron ore and petroleum also found below the ground level of the the Desert. 




Biodiversity


Due to the diversified habitat, the wildlife in this arid region is very rich. Several rare species are found here and several of them are endemic to the region. Some wildlife species, which are fast vanishing in other parts of India, are found in the desert in large numbers such as the Great Indian Bustard (Ardeotis nigriceps), the Blackbuck (Antilope cervicapra), the Indian Gazelle (Gazella bennettii), the Indian Wild Ass and the Neelgai. They have evolved excellent survival strategies. 


The Desert National Park, Jaisalmer, spread over an area of 3162 km², is an excellent example of the ecosystem of the Thar Desert, and its diverse fauna.Great Indian Bustard, Blackbuck, chinkara, desert fox, Bengal fox, wolf, desert cat etc. can be easily seen here. Seashells and massive fossilized tree trunks in this park record the geological history of the desert. It is an ideal place for migratory and resident birds of the desert. One can see many eagles, harriers, falcons, buzzards, kestrel and vultures. 


Many types of Eagles, Laggar Falcons (Falco jugger) and kestrels are found in Wildlife Sanctuaries Talchaper in Churu District, This sanctuary is home to a large population of graceful Blackbuck. Desert Fox and desert cat can also be spotted along with typical avifauna such as partridge and sand grouse. 


Vegetation 
The plants in the desert have adopted various strategies to endure the intense heat, bitter cold and long dry spells. To reduce the water by evaporation the leaves of these plants are reduced in size, as is the case of khejri (Prosopis cinerara). Khejri (Prosopis cineraria)(खेजडी) is the natural vegetation in Northern Desert. Other natural trees found in Thar Desert are Acacia jacquemontii, Acacia leucophloea, Acacia senegal, Anogeissus rotundifolia, Prosopis cineraria, Salvadora oleoides, Tecomella undulata etc. Some species like kair (Cappairs dedicua) and phog (Calligonum polkygonides) do away with the leaves to minimize evaporation, 


Small trees and shrubs found in Thar Desert are Calligonum polygonoides, Acacia jacquemontii, Balanites roxburghii, Ziziphus zizyphus, Ziziphus nummularia, Calotropis procera, Suaeda fruticosa, Crotalaria burhia, Aerva tomentosa, Clerodendrum multiflorum, Leptadenia pyrotechnica, Lycium barbarum, Grewia populifolia, Commiphora mukul, Euphorbia neriifolia, Cordia rothii, Maytenus emarginata, Capparis decidua 


The Israel babul (akesia tortlis) planted in Rajasthan to check the expansion of desert produces same disaster effect like Vilayati babul(prosopis juliflora). It is found most harmful for the growth of local plants and grass. The better substitutes are the trees like Kejari, Neem , Rohira, Sisam trees who are most suitable for Rajsthan's climate, soil and eco-system. 


Agriculture 


The Thar Desert region characterized by extremes of climate, erratic rainfall, and high evapotranspiration and is subject to recurring droughts. 


The agriculture is mostly depend on the low rainfall. Only 24% of the cropped area is under irrigation by Indira Gandhi Canel project and only half of the irrigation potential is being used. 


The main crop of this region is Bajara, Moth, Mung, Gwar, Till. In the area under irrigation wheat, Barley, Gram, Macca etc are produced, 


Now Farmers are also farming Jojoba Plant in the desert area, 




Water Resources


The rains play a vital role in the life of all parts of Thar as the water deposits in johads or tobas (small ponds) are used for drinking, washing and other purposes. The Thar Desert zone people depend on ground water and rain. But the underground water is rarely found in Thar desert. Sometimes after digging a very deep well, water comes out quite sour and undrinkable. Only in in some places sweet water comes out of a very deeply dug well. Only 24% area is getting drinking water and irrigation from Indira Gandhi canel Rajasthan Project. Water scarcity is now the single bi ggest threat to food production, as falling groundwater levels make less water available for agriculture. 


Indira Gandhi canel Rajasthan


The only river that crosses these sands is the Luni, which joins the Arabian Sea through the Rann of Kutch 


. Traditionally rain water is stored in Kunds made in farms or homes for drinking purpose. Some big tanks or Talabs are constructed in villages to store rain water. for bathing, animals and also for drinking water. Indira Gandhi Canel covers some parts of desert area. 






Forestry


The forest area in the Thar Desert is very low. The forest is insufficient to fulfill the need of firewood and fodder for animals. This decrease in agricultural production of the area, The scientists of Central Arid Zone Research Institute (CAZRI), have successfully developed and improved dozens of traditional and non-traditional crops and fruits, such as Ber trees that produce much larger fruits than before and can thrive with minimal rainfall. These trees have 


become a profitable option for farmers. 


The most important tree species, in Agro-forestry , providing livelihood support in Thar desert is Khejari (Prosopis cineraria). Khejri tree provides fodder for animals, fuelwood for villagers, provides wood for construction of doors, buildings and fruits 


People 


The Thar Desert is one of the most populous deserts of the world. The main occupation of the people in desert is agriculture and animal husbandry. A large irrigation and power project has reclaimed areas of the northern and western desert for agriculture. The Indian Desert is mainly inhabited by Hindus, Muslims, and Sikhs. A large number of families in villages still live in jhugis or huts which are housing units formed with straws and thin wood-sticks. 


A colorful culture rich in tradition prevails in the desert. The people have a great passion for music and poetry folk dance and lok geets (folk music). Several Colorful Festivals of Rajasthan as Gangour, Holi, Blaji Dham yatra, Ramdevji Yatra, Gogaji, Bhopaji Puja etc. are the main attraction here. 


The main language of this region is Rajasthani. Several great Rajasthani poets enriched the Rajasthani literature. The followers of Lord Jhambheshwar are Bishnois, Bishnoi is a great environmentalist community of Thar Desert 




Bishnoi women


Economy 


The main occupations of people living in the desert are agriculture and animal husbandry. But the agriculture is mainly dependable on the seasonal rains which are uncertain. The region faces frequent droughts. Animal husbandry, trees and grasses, vegetables or fruit trees, is the most viable model for arid, drought-prone regions. Animal husbandry has become popular due to the difficult farming conditions. 


Ecotourism and Desert safaris on camels have become increasingly popular in this region and a big source to boost economy. 'Padharo Mare Desh' ( Wecome to our region) is the slogan to boost tourism. 


Now the shape of this region with the Economy of Rajasthan is changing rapidly with the help of state and central governments development programs. A better roadways network, stuffiest supply of electricity in rural areas, improved education facility, arrangement for drinking water and expansion of rural industries changed the scenario of Thar Desert Zone. More financial assistance and incentives were provided to farmers and cottage industries to improve their economic condition. 


Now the Thar desert in western Rajasthan is emerging as the next energy hub of country. The region has rich deposits of oil, gas, lignite coal, coal bed methane and to top it all, solar and wind energy. Many companies are in queue for establishing their energy projects in the region and after lignite-based power projects and wind energy, a number of solar power units would dot the desert landscape. 


Important cities 


Jaisalmer, Bikaner, and Jodhpur (जोधपुर) are three main cities in the middle of the Thar Desert Rajasthan. Besides the main cites there are number of big towns and villages along the desert. These towns and villages reflect the rich cultural heritage of the state. The towns such as Ramgarh, Nawalgarh, Bisau, Churu, Pilani, Junjhunu, Chirawa, Taranagar, Sujangarh, Ratangarh, Naguar, Ladnu, Deshnok, Salasar and several other towns and villages profoundly carries the heritage of the bygone era. 


The Sam dunes and the Sonar Kila are the most picturesque spot around Jaisalmer . Sitting here in the evening with the sun setting, listening to the ballads of the legendary lovers Moomal and Mahendra you might feel that time has come to a grinding halt. The Jhodhpur Mhrangarh Fort, The Bikaner Junagarh Fort, Nagaur Fort, beautiful palaces, small forts, temples and other elegant monuments of architectural and historical value makes an unforgettable experience for any visitor. 




Desert satyam Safari  


Desert safaris on camels have become increasingly popular around Jaisalmer. Both foreigners as well as the Indian frequent the desert seeking adventure on camels. Desert Safari can be through Jeep Safari and Camel Safari. Jeep Safari is a beautiful way to experience the beauty of Thar Desert. The state is rich in forts and havelis. Desert Jeep Safari is one of the most adventurous and rewarding of all the safaris which you would have undertaken. 


.The Great Desert and Sam Dunes come alive during the desert festival with a sound and light show, and gala spectacles of dance and music which will be memorable for ever. Rajasthan desert festivals are celebrated with great zest and zeal. This festival is held once a year during winters. The fair has snake charmers, puppeteers, acrobats and folk performers. 


Efforts to check Desert 


Arid Forest Research Institute, one of eleven institutes of the Indian Council of Forestry Research and Education (ICFRE) was established in 1988 with the aim of understanding and combating desertification with a multi-dimensional approach. Indian Council of Forestry Research are mainly to develop techniques for rainwater harvesting, to develop and improve agri-silvi-pastoral systems, develop technology for afforestation on stress sights and the eco-stabilization of deserts, with an emphasis on sand dune fixation. Other goals include developing, producing, and distributing high quality planting material to local farmers, performing "Provenance Trials" of important arid zone species, improving trees through tissue-culture and genetic engineering, and researching non-wood forest products, especially those with med icinal value, like Sona-mukhi (cassia angusta folia), which needs very little water and requires no protection from animals. 


AFRI is a globally thinking institution; externally funded research projects include the RD project (1995-2000), NABARD project (1995-2000), UNDP project (1992-2000), WB project (1994-continuing) and NOVOD (1999-continuing). About these internationally funded projects Sahni said, "UNDP (United Nations Development Program) was conducted in 10 villages of this area from 1992 to 2000. In that program, we were bringing the upgraded plantation to the villages, showing new techniques of rain-water harvesting and trying to apply them there." 


Ancient Saraswati river 


The Indus-Saraswati Civiliation in Mohen-jo-daro, Harappa and Lothal was the earliest urban society with a bustling economy older than civilizations in Egypt or Mesopotamia. 


It is thus not only the oldest known pre-historic culture of the world, but also attracts international researchers because of its theme of peace and progress,” says Kalpana Desai, India director of the Global Heritage Fund based in the US. 


The Indus-Saraswati culture was extraordinarily innovative and rich in entrepreneurship. There was prosperity and goods were tradeing with faraway lands from its wonderfully built huge ports. Sixty to eighty thousand people with various skills lived in every city which was well designed and had good water supply and drainage systems. 


Around 4000 years ago, it is believed that this civilization died out without any proof of war or devastation. Researchers’ conjecture is that a huge earthquake or tectonic movement of the layers of the earth took place around that time and the River Saraswati changed its course towards the east leaving the rest of its waters to pool into lakes in Gujarat or vanished into the Rann of Kutch and the deserts of Rajasthan. Thus the glorious civilization, with its dependence on water for trade and livelihood, shifted to the fertile plains of the Ganga and Yamuna and became an agricultural rather than industrial. community. 


More references on Saraswati river 

नागौर बुधवार. ११ अप्रैल, २०१२ ताज़ा खबरें | आज की ताज़ा खबरें, ताज़ा खबर


नसबंदी कराने गई महिला की मौत का मामला

६२ घंटे बाद उठाया शव
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मकराना  मकराना में दो दिन पहले नसबंदी ऑपरेशन कराने आई बाला देवी की मौत के मामले में परिजनों ने सोमवार को नहीं बल्कि मंगलवार की रात ही शव उठाया। इससे पहले परिजन व जनप्रतिनिधि मंगलवार शाम तक अड़े रहे। वार्ता का स्थायी हल निकलने पर परिजन अजमेर पहुंचे। मंगलवार रात करीब दस बजे तक अजमेर में शव लेने की कार्रवाई चली। पूरे घटनाक्रम के चलते परिजनों ने बालादेवी का शव परिजनों ने करीब 62 घंटे बाद शव उठाया।

हुडिय़ा की बाला देवी पत्नी मोतीराम मेघवाल की मौत के तीसरे दिन मंगलवार को भी दिनभर शव अजमेर अस्पताल में रहा। उधर मकराना में अनेक जनप्रतिनिधियों, परिजनों व मेघवाल समाज के लोगों ने सरकारी अस्पताल के बाहर टेंट लगाकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। करणी सेना के प्रदेशाध्यक्ष श्याम प्रताप सिंह, बसपा जिलाध्यक्ष पुखराज मेघवाल, लगन शाह अस्पताल अध्यक्ष अब्दुल समद सिसोदिया, पूर्व प्रधान श्रीराम भींचर, गंगाराम मेघवाल, मोतीलाल शर्मा धरने में शामिल हुए। इन्होंने बाला देवी के परिवार के हालात बयां करते हुए मुआवजे व दोषी डॉक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग दोहराई। बसपा जिलाध्यक्ष मेघवाल ने कहा कि जब तक दोषी डॉक्टरों को गिरफ्तार नहीं किया जाता एवं दस लाख रुपए मुआवजा नहीं मिलेगा, वे अजमेर के अस्पताल में रखा शव नहीं लेंगे। प्रदर्शन उग्र होते देख एसडीएम एसएम शाह, तहसीलदार सुरेश चावला व थानाधिकारी मोटाराम बेनीवाल धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को सरकार की ओर से दो लाख रुपए एवं मुख्यमंत्री सहायता कोष से बीस हजार रुपए देने की बात कही। इसमें से पचास हजार रुपए का चैक तुरंत जारी करने व बाकी की रकम प्रक्रिया के अनुसार पीडि़त परिवार को देने की बात कही। इस पर परिजन व जनप्रतिनिधि राजी नहीं हुए। अधिकारियों ने कलेक्टर से निर्देश लिए।

मुश्किल से बनी बात

मकराना विधायक जाकिर हुसैन गैसावत व डीडवाना विधायक रूपा राम डूडी भी मौके पर पहुंचे। सामूहिक वार्ता के बाद दोनों विधायकों ने प्रदर्शनकारियों से वार्ता की एवं उन्हें बताया कि एक लाख रुपए सरपंचों से व एक लाख रुपए पालिका सदस्यों के सहयोग से दिलवा देंगे एवं बाकी राशि सरकारी सहयोग से दी जाएगी। उन्होंने दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया। एक बारगी मेघवाल समाज के लोग शव उठाने को राजी हो गए मगर बसपा जिलाध्यक्ष पुखराम, सरपंच अमरा राम चौधरी व पूर्व प्रधान श्रीराम भींचर सहित अनेक लोगों ने आश्वासन को राजनीति से प्रेरित बताते हुए शव उठाने से मना कर दिया। इसके चलते विधायक गैसावत की सरपंच अमरा राम व पूर्व प्रधान भींचर से तकरार हुई। वहां मौजूद लोगों व अधिकारियों ने बीच बचाव कर मामला शांत कराया। इसके बाद विधायक व अधिकारी रात्रि लगभग 7:30 बजे वापस पालिका भवन में चले गए एवं पुन: वार्ता का दौर चला। वार्ता के बाद समाज के प्रतिनिधि सामूहिक रूप से धरना समाप्त करने एवं शव लेने को राजी हो गए। गंगाराम मेघवाल ने बताया कि बाला देवी का बुधवार को हुडिय़ा गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा। 




खेत की मेड़ पर बोरी में मिला महिला का शव

मेड़ता रोडत्न कस्बे की रेल पटरियों के पास एक खेत की मेड़ पर मंगलवार को एक महिला का शव बोरी में बंधा मिला। शव की शिनाख्त नहीं हो पाई है। देर रात तक जीआरपी व सिविल पुलिस इसी बात को लेकर बहस करती रही कि शव किसके सीमा क्षेत्र में है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मेड़ता रोड-जयपुर रेलमार्ग के मध्य मेड़ता रोड के रेल फाटक संख्या सी 99 से मात्र आधा किमी की दूरी पर रेल पटरियों के पास स्थित एक खेत की मेड़ पर रूपचंद बिश्नोई ने बंद बोरी दिखाई देने पर सिविल पुलिस को सूचना दी।

इस पर थानाधिकारी दातारसिंह शाम छह बजे मौके पर पहुंचे। बोरी को खोलने पर देखा तो उसमें हाथ, पैर बांधे हुए एक महिला की लाश थी। महिला की उम्र 25- 30 वर्ष के बीच है। महिला के आसमान कलर के सलवार सूट पहने हुए है। शव करीब दो दिन पुराना लग रहा है। बोरी के ऊपर कूलर में लगाने वाले टाट भी लपेटे थे। थानाधिकारी की सूचना पर मेड़ता पुलिस उपाधीक्षक अर्जुनसिंह मौके पर पहुंचे, शव व घटनास्थल को देखने पर प्रतीत हुआ कि संभवतया क्षेत्राधिकार जीआरपी का हो सकता है। इस पर रेल अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। मौके पर रेल पथ निरीक्षक नत्थूलाल मीणा पहुंचे और नाप चौप शुरू किया गया।

कई घंटे चली बहस

शव मौके पर था और जीआरपी तथा सिविल पुलिस इसकी गुत्थी सुलझाने की बजाय इस विवाद में जुट गई कि आखिरकार यह मामला किसके खाते में जाएगा। मामला अज्ञात शव का होने की वजह से इस परेशानी से सिविल पुलिस व जीआरपी दोनों ही बचने के प्रयास करते रहे। शाम सात बजे से दोनों विभागों के अफसरों में बहस शुरू हुई। सरहद का नाप चौप भी हुआ। जीआरपी थानाधिकारी बनवारीलाल ने जोधपुर बैठे अधिकारियों को इसकी सूचना दी। बुधवार को अधिकारियों के आने के बाद ही शव का पोस्टमार्टम होगा। शव फिलहाल मोर्चरी में रखवाया गया है।



पति व पुत्र के खिलाफ फिर पेश हुई महिला
नागौर  शहर के राठौड़ी कुआं की एक महिला रिश्तेदारों, परिचितों व मोहल्ले के लोगों को साथ लेकर अपने पति व पुत्र के खिलाफ लगातार मुकदमा दर्ज करने व उनके आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगा रही है, मगर पुलिस कार्रवाई करने की बजाय इस समस्या को वार्तालाप से हल कराने में जुटी है।

नत्थी देवी सांखला के साथ मंगलवार को ज्ञापन देने पहुंचे लोगों का कहना था कि नत्थी देवी को उसके पति व पुलिसकर्मी पुत्र ने मारपीट कर घर से निकाल दिया है। उसने एसपी को बताया कि पूर्व में भी उसने मुकदमा दर्ज कराने की गुहार लगाई और आरोपी पति व पुत्र के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके बावजूद पुलिस उसकी समस्या पर गौर नहीं कर रही है। नत्थी का कहना है कि एसपी ने मामले की जांच उप अधीक्षक से कराने का आश्वासन दिया था, मगर पुलिस अधिकारियों ने जांच करने की बजाय दूसरे मामले में आरोपियों को गिरफ्तार किया। उसकी तरफ से पेश परिवाद पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।



जालोर-भीनमाल ताज़ा खबरें | आज की ताज़ा खबरें, ताज़ा खबर बुधवार. ११ अप्रैल, २०१२


दो बाइक भिड़ीं, तीन की मौत, एक घायल



सायला/खरल  ऐलाना गांव के बस स्टैंड पर मंगलवार शाम को दो मोटरसाइकिल की भिडं़त में तीन जनों की मौत हो गई, जबकि एक गंभीर घायल हो गया। गंभीर रूप से घायल को उपचार के लिए रेफर किया गया है।

जानकारी के अनुसार एक मोटरसाइकिल मांडवला की तरफ से आ रही थी, जबकि दूसरी उस तरफ जा रहा थी। ऐलाना गांव के बस स्टैंड पर दोनों की आमने-सामने जोरदार भिडं़त हो गई। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार एक मोटरसाइकिल पर निंबलाना निवासी मगसिंह (२४) पुत्र माधुसिंह रावणा राजपूत व दासपा निवासी नरसिंह (२५) पुत्र विजयसिंह सवार थे। वहीं दूसरी मोटरसाइकिल पर रेवतड़ा निवासी मालसिंह (२५) पुत्र गणेशसिंह राजपूत और सायला निवासी जालमङ्क्षसह पुत्र जबरसिंह राजपूत सवार थे। दुर्घटना में मगसिंह व नरसिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि मालसिंह को अस्पताल पहुंचने पर मृत्त घोषित किया गया। वहीं जालमसिंह गंभीर रूप से घायल है, जिसका सामान्य चिकित्सालय जालोर के पीएमओ डॉ. पी.आर. चुण्डावत व चिकित्सा टीम ने प्राथमिक उपचार किया। इधर, घटना की जानकारी मिलने पर जालोर पुलिस उप अधीक्षक देवकिशन शर्मा, कोतवाली प्रभारी दलपतसिंह भाटी, उम्मेदाबाद चौकी प्रभारी नरसीराम व राजेंद्र कुमार मौके पर पहुंचे तथा घटना स्थल का निरीक्षण कर जानकारी ली।

 सांचौर. पुलिस की गिर त में डोडा पोस्त का आरोपी। 

सांचौर उपखंड क्षेत्र के आमली गांव की सरहद से पुलिस ने एक जीप में अवैध परिवहन करते हुए डोडा पोस्त बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार किया है।

पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट के निर्देशानुसार चल रहे धरपकड़ अभियान के तहत सांचौर थानाधिकारी अन्नराज राजपुरोहित ने आमली से डबाल जाने वाली रोड़ पर नाकाबंदी की। इस दौरान एक जीप नाकाबंदी को तोड़कर भागने लगी। जिस पर उसका पीछा कर रुकवाया गया। तलाशी लेने पर उसमें से एक क्विंटन डोडा पोस्त के पांच कट्टे बरामद हुए। जिस पर पुलिस ने आरोपी मंगलाराम पुत्र हेमाराम विश्नोई निवासी बड़सम को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपी ने डोडा पोस्त चितलवाना थाना क्षेत्र के डावल गांव से रूघनाथाराम विश्नोई पुत्र वागाराम विश्नोई से खरीद कर लाना बताया। आरोपी की निशानदेही पर चितलवाना थानाधिकारी ने रघुनाथ के घर दबिश दी और वहां से 142 किलो डोडा पोस्त बरामद कियाद्ध इस दौरान आरोपी रघुनाथाराम मौके से भाग गया।


पुलिस की गिरफ्त में शराब तस्करी के आरोपी।

भीनमाल भीनमाल पुलिस द्वारा सोमवार रात्रि को नाकाबंदी के दौरान भारी मात्रा में अवैध अंग्रेजी शराब के साथ गिरफ्तार दोनों आरोपियों को न्यायालय के आदेश पर छह दिन के रिमांड पर भेजने के आदेश दिए।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस थाना करड़ा के तहत कोटड़ा निवासी मांगीलाल पुत्र आसूराम विश्नोई व हनुमानराम पुत्र हरिराम विश्नोई को मंगलवार को न्यायालय में पेश किया गया। जहां से छह दिन तक पुलिस रिमंाड पर भेजने के आदेश दिए। उल्लेखनीय है कि सोमवार रात्रि करीब ९ बजे प्रशिक्षु सीओ नरेंद्र चौधरी के नेतृत्व में एएसआई नरसिंह राजपुरोहित, हेड कांस्टेबल भागीरथराम, कांस्टेबल रमेशचंद्र, राजूराम, लक्ष्मण सियोल, सुरेश कुमार व जयकरण ने करड़ा मार्ग पर सरहद पांचकुआ के पास नाकाबंदी तोड़कर भागे ट्रक को रुकवाकर तलाशी ली तो उसमें करीब २०० कार्टून अवैध अग्रेंजी शराब के पाए गए। जो चंडीगढ़ निर्मित थे। पुलिस ने ट्रक सहित शराब को जब्त कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया था।