राजस्थान बना भारत का गोरव और हमारा मान बनी शम्मा खान
बाड़मेर .राजस्थान के मुखिया अशोक गहलोत की पहल पर प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्थाओं में सुधार और पांच विषयों को पूर्णरूपेण पंचायतीराज में हस्तांतरित करने संबंधी लिये गये ऐतिहासिक निर्णय पर केंद्र सरकार की ओर से राजस्थान को एक करोड़ रूपए का नगद पुरस्कार देकरसम्मानित किया गया है। राजस्थान के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय ने दिल्ली में विज्ञान भवन में तीसरेपंचायती राज दिवस पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय जनजाति मामलों एवं पंचायती राज मंत्री वी. किशोर चंद्र देव एवंग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश से यह पुरस्कार प्राप्त किया। वही चौहटन प्रधान शम्मा खान दिल्ली के विज्ञान भवन में पंचायती राज मेंमहिला सशक्तिकरण को लेकर बेहतर कार्य के लिए राष्ट्रीय स्तरीय पुरस्कार प्राप्त कर लौटी। प्रधान का जहा चोह्टन में जोरदार स्वागत हुआ वहीउन्होंने अपने इस पुरष्कार का हकदार आम जनता और चोहटन के सरकारी अधिकारियो और कारिंदों को दिया . प्रधान ने बताया कि इस ख़ासपुरुष्कार के लिए राजस्थान से दो प्रधान का ही चयन हुआ। उनको कोर दल का लीडर चुना गया और ग्रामसभा में ग्रामीणों की भागीदारी विषय परअभिभाषण दिया । इस मोके पर उन्होंने पंचायती राज में महिलाओ की सफल भागीदारी को विकास के लिए बेहतर रास्ता बताया . जानकारी केमुताबित पुरस्कार स्वरूप पंद्रह लाख रूपए की घोषणा की गई जो मुख्यमंत्री के हाथों प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने इसे क्षेत्र के सभी लोगों का सम्मानबताया है। इसके बाद जिम्मेदारी और बढ़ने की बात कहते हुए अघिक जिम्मेवारी से कार्य करने की बात कही। इसी के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करनेके लिये दौसा जिले की सैंथल ग्राम पंचायत की सरपंच विमला देवी मीणा को राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार-2012 से सम्मानित किया गया।पुरस्कार स्वरूप उन्हें पांच लाख रूपए नगद दिये गये, जो कि पंचायत के विकास में खर्च की जाएंगे। इस एक दिवसीय सम्मेलन में अन्य 170त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थानों को पंचायत सशक्तिकरण उत्तरदायित्व पहल योजना के तहत उल्लेखनीय कार्यो के लिये पंचायत सशक्तिकरणपुरस्कार प्रदान किये गए। सम्मेलन के दौरान पांच अलग-अलग समूहों के प्रतिनिधियों द्वारा की गई चर्चा में राज्य के प्रतिनिधियों ने भी भागलिया। इसमें ’’ग्रामसभा और लोगों की भागीदारी’’, ’’तीन एफ-फंड फंक्शन एंड फंकशनरीज यानि कोष, कार्य और कार्यकता’’, ’’महिलाओं से संबंधितमुद्दे’’ , ’’कृषि, ग्रामीण विकास और आजीविका’’ तथा ’’वन क्षेत्रा/प्राकृतिक संसाधनों के उत्पाद’’ विषयों पर चर्चा शामिल है। उल्लेखनीय है किसंविधान के 1992 के 73वें संशोधन कानून जो 24 अप्रैल 1993 को प्रभाव में आया के अनुसार पंचायती राज को ग्राम, इसके मध्वर्ती और जिलास्तरीय पंचायतों का संस्थागत रूप दिया गया है। इसलिए यह दिन राजनैतिक शक्ति का विकेन्द्रीकरण कर उन्हें जमीनी स्तर पर पहुंचाने के एकऐतिहासिक पलों में से है। इसी के अनुरूप सरकार ने राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनानेका फैसला किया और पंचायती राज मंत्रालय हर साल 24 अप्रैल को इस अवसर पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करता है। इस सम्मेलन में प्रदेश कीओर से जिला परिषद जयपुर के हजारी लाल नागर, पाली के खुशवीर सिंह, बांसवाड़ा की सुश्री रेशम मालवीया, नागौर की सुश्री बिंदू चौधरी, चुरू कीसुश्री कौशल्या पूनिया, सीकर की सुश्री रीटा सिंह, डूंगरपुर के श्री भगवती लाल रोत और दौसा के अजीत सिंह कुल 8 जिला प्रमुख, 15 प्रधान और22 सरपंच भाग लिया था ।