करंट से हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध की हुई मौत:वतन वापसी से पहले प्रवासी पक्षी की गई जान, देगराय ओरण इलाके में हुआ हादसा

 करंट से हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध की हुई मौत:वतन वापसी से पहले प्रवासी पक्षी की गई जान, देगराय ओरण इलाके में हुआ हादसा



जैसलमेर के देगराय ओरण इलाके में मंगलवार को एक प्रवासी पक्षी गिद्ध की हाइटेंशन लाइन से टकराकर मौत हो गई। जानकारी मिलने पर पर्यावरण प्रेमी सुमेर सिंह सावंता मौके पर पहुंचे और वन विभाग को सूचना दी। सुमेर सिंह ने बताया कि देगराय ओरण इलाके के छोड़िया गांव की सरहद पर एक प्रवासी हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध की दर्दनाक मौत हो गई।


गिद्ध हाइटेंशन लाइनों की चपेट में आया और मौके पर ही करंट लगने से दम तोड़ दिया। सुमेर सिंह ने बताया कि देगराय ओरण इलाके में इन दिनों प्रवासी पक्षियों के वतन वापसी का समय चल रहा है। लेकिन इससे पहले ही गिद्ध की दर्दनाक मौत से सभी पक्षी प्रेमी दुखी है।


उन्होंने बताया कि इस इलाके से गुजर रही हाइटेंशन लाइनों को भूमिगत करवाने की मांग लगातार उठ रही है। मगर प्रशासन इसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है। सरकार की बेरुखी और प्रवासी पक्षियों की लगातार हो रही दर्दनाक मौतों से पक्षी इस इलाके को छोड़ देंगे तो पर्यावरण संतुलन ही बिगड़ जाएगा। सुमेर सिंह ने सरकार को इस तरफ ध्यान देने की मांग की है।


दरअसल, दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध सर्दी के मौसम में हिमालय से जैसलमेर पहुंचते हैं। ये गिद्ध अक्टूबर के अंतिम हफ्ते व नवंबर के पहले सप्ताह तक यहां पहुंचते हैं और फरवरी तक यहीं रहते हैं। इस बार भी हिमालयन ग्रिफॉन के साथ अन्य प्रजातियों के गिद्धों ने जिले में डेरा डाला है। झुंड के रूप में अलग-अलग प्रजाति के 200 से अधिक गिद्ध यहां पहुंचे हैं। इनमें से कुछ संकटग्रस्त प्रजाति के भी गिद्ध हैं, जो पर्यावरण को शुद्ध रखने में काफी मददगार होते हैं। मृत जानवरों का सेवन कर प्रदूषण फैलने से रोकते है और पर्यावरण शुद्ध रहता है। ये महीना उनके वतन वापसी का समय है। मगर इस समय गिद्ध कि मौत से सभी दुखी है।


पर्यावरण प्रेमी सुमेर सिंह ने बताया कि इस साल अब तक यूरेशियन ग्रिफॉन, हिमालयन ग्रिफॉन व सिनेरियस वल्चर प्रजाति के गिद्धों ने जिले का रुख किया है। हिमालयन ग्रिफॉन प्रवासी गिद्ध है, जो सर्दी के मौसम में भोजन की तलाश में यहां पहुंचते है। ये गिद्ध हिमालय के उस पार मध्य एशिया, यूरोप, तिब्बत आदि शीत प्रदेश क्षेत्रों में निवास करते हैं।


सर्दी के मौसम में नदियों, झीलों, तालाबों में बर्फ जम जाने और भोजन नहीं मिलने पर ये गिद्ध हजारों किलोमीटर का सफर तय कर पश्चिमी राजस्थान का रुख करते हैं। जैसलमेर जिला पशु बाहुल्य क्षेत्र है। ऐसे में इन गिद्धों को यहां भोजन आसानी से मिल जाता है। मुख्य रूप से गिद्ध मृत पशुओं को ही खाते हैं जिससे पर्यावरण भी शुद्ध रहता है। इसलिए गिद्धों को पर्यावरण प्रेमी भी कहा जाता है।----


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