बाड़मेर की 'जीजी बाई' ने बनाई ग्लोबल पहचान,मिलेट कुकीज़ का क्यूआर कोड हुआ लॉन्च, लंदन तक बढ़ी मांग

 बाड़मेर की 'जीजी बाई' ने बनाई ग्लोबल पहचान,मिलेट कुकीज़ का क्यूआर कोड हुआ लॉन्च, लंदन तक बढ़ी मांग





बाड़मेर, 7 मार्च।थार रेगिस्तान को दुनिया के आयल मैप पर लाने वाले बाड़मेर के तेल क्षेत्रों के नाम अब एक और उपलब्धि जुड़ गयी है। यहाँ के ऑयल फील्ड्स के सुदूर गांवों में बसी महिलाएं अपने कौशल से देश-विदेश में जानी जा रही हैं। इसी कड़ी में अब जीजी बाई स्वयं सहायता समूह का नाम जुड़ गया है। उनके द्वारा बाड़मेर में तैयार मिलेट कुकीज़ यानी बाजरे के बिस्किट्स अब लंदन तक प्रसिद्ध हो चुके हैं।

विश्व महिला दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को जीजी बाई कुकीज़ को ग्लोबल मार्केट से जोड़ने के लिए क्यूआर कोड मार्केटिंग की शुरुआत मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल के ली कैफे में की गई।


जीजीबाई के उत्पादों की सफलता को देखते हुए उन्हें हाल में दिल्ली में आयोजित इंडिया एनर्जी वीक में केयर्न, वेदांता के प्रदर्शनी स्थल में शामिल किया गया था। वहां उनके कौशल की तारीफ हुई और लोगों ने उनके बनाए उत्पादों को खूब पसंद किया। उनकी सफलता की कहानियां अब देश के दूसरे क्षेत्रों में लोगों के लिए प्रेरणा बन रही है। भारत की डायरेक्टर जनरल हाइड्रोकार्बन डॉ. पल्लवी जैन गोविल, ने जीजी बाई के कार्यों की तारीफ करते हुए उन्हें दिल्ली भ्रमण का न्यौता दिया।


इससे पूर्व जयपुर में हुए जयगढ़ फेस्टिवल और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में भी जीजी बाई ने विदेशी मेहमानों की भरपूर प्रशंसा बटोरी। उन्हें अब लंदन स्थित प्रशंसकों से ऑर्डर मिलने शुरू हो गए हैं।


बाड़मेर की इन महिलाओं का कौशल सिर्फ मिलेट कुकीज़ तक सीमित नहीं हैं, बल्कि डेयरी और कृषि क्षेत्र में भी उन्होंने अपनी जगह बनाई है। ब्रह्माणी सेल्फ हेल्प ग्रुप के अंतर्गत बनी डेयरी प्रोडक्ट्स और हस्तशिल्प वस्तुएं लोगों को खूब पसंद आ रही हैं। केयर्न एंटरप्राइज सेंटर से बैंकिंग, ब्यूटीशियन, ग्रूमिंग आदि स्किल्स निखार कर वे आत्मनिर्भर बनी हैं और अपने कौशल से गांव का नाम रोशन कर रही हैं।


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