उपेक्षा की शिकार हो रहे 12 वीं सदी के ऐतिहासिक किराडू के पाषाण,खजुराहो की तर्ज पर विकसित करने की जरूरत

 उपेक्षा की शिकार हो रहे 12 वीं सदी के ऐतिहासिक किराडू के पाषाण,खजुराहो की तर्ज पर  विकसित करने की जरूरत 

न आर्ट गैलेरी बनी न विकास हुआ ,कलेक्टर पहल करे बाड़मेर में पर्यटन बढ़ाने की



चंदन सिंह भाटी

 बाड़मेर  पर्यटन को लेकर बाड़मेर में विपुल संभावनाएं होने के बावजूद अब तक इस क्षेत्र में कोई ठोस योजना अमली जामा नहीं पहन सकी है। कुछ साल पहले भारतीय पर्यटन विकास निगम के तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ललित के पंवार ने बाड़मेर में पर्यटन के विकास को लेकर प्रशासन व जन प्रतिनिधियों को योजना बनाने की बात कही थी।  बाद में जिला प्रशासन ने भी प्रस्ताव  पारित कर  जिले के पर्यटन स्थलों का विकास कर इन्हें मूलभूत सुविधाओं से जोडऩे को कहा, ताकि जिले में पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके। जिला प्रशासन ने  बाहरवीं सदी के ऐतिहासिक किराड़ू के मंदिरो , महाबार के रेतीले टीबे ,जूना का किला ,देवका सूर्य मंदिर तथा हस्तशिल्प का पर्यटन स्थल के रूप में विकास किया जा सकता है। इसके लिए संभावनाएं तलाश करने के लिए पर्यटन विभाग को एक प्रोजेक्ट बनाने को कहा मगर  प्रोजेक्ट बना न पर्यटन को बढ़ाने की दिशा में काम हुआ ,चूँकि  अब किराडू राजस्व गांव भी बन गया ऐसे में खजुराहों की तर्ज पर किराडू को विकसित करने की दरकार हैं ,


नहीं बनी  आर्ट गैलेरी-


पर्यटन को लेकर बाड़मेर जिला प्रशासन सदा उदासीन रहा हैं , किराड़ू मंदिर उपेक्षित अवस्था में रहा है। ऐतिहासिक पाषाण कला के कई पत्थर संरक्षण के अभाव में क्षतिग्रस्त होने के साथ उनका अस्तित्व खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका हें ।  12वीं शताब्दी के ऐतिहासिक महत्व के किराड़ू में एक आर्ट गैलेरी का निर्माण का प्रस्ताव पर्यटन विभाग को भेजा गया था , आर्ट गैलेरी  ऐतिहासिक महत्व की मूर्तियों तथा अन्य सामग्री को प्रदर्शित किया जाएगा ताकि किराड़ू जाने वाले पर्यटक वहां की प्राचीन कला एवं संस्कृति से रूबरू हो सकें।मगर समय के बाद आर्ट गैलेरी की योजना भी कागज़ों में दफन हो गयी ,तत्कालीन कलेक्टर ने आर्ट गैलेरी के निर्माण के प्रस्ताव में सभी जरूरी प्रावधानों को शामिल करने के निर्देश दिए। साथ ही जिले के पर्यटन स्थलों का व्यापक प्रचार -प्रसार करने के निर्देश दिए ताकि जैसलमेर आने वाले पर्यटक बाड़मेर की तरफ आकर्षित हो सकें। उन्होंने किराड़ू में खाली जगह को विकसित करने तथा वहां पर हरियाली, दूब एवं गार्डन विकसित करने के निर्देश दिए थे जो हवा हो गए,सदियों बाद भी किराडू उपेक्षित हैं ,जबकि इसी तर्ज पर बने खजुराहों के मंदिर भारत के खास पर्यटन केंद्रों में शामिल हैं ,किराडू मंदिरों की नक्कासी और कलाकृति खजुराहो के मंदिरो से श्रेष्ठ हैं ,जरूरत किराडू के मंदिरो को सरंक्षण देने की हे 


टूरिज्म साइट  विकसित करने की जरूरत


बाड़मेर में तीन-चार पर्यटन स्थलों देवका सूर्य मंदिर ,कोटड़ा किला ,महाबार के धोरे ,किराडू ,जूना का किला और रोहिड़ी के विशाल धोरो  का विकास करने की योजना बनाई गयी थी ताकि जैसलमेर से पर्यटन सर्किट बनाकर जोड़ा जाकर  पर्यटकों को दो तीन दिन का टूर  पैकेज दिया जा सके,  इसके लिए राजस्थान के पर्यटन स्थल जयपुर ,उदयपुर ,जोधपुर ,जैसलमेर , बाड़मेर पर्यटन स्थलों के होर्डिंग लगाकर पर्यटकों को बाड़मेर तक लाने की योजना थी जो दफन हो गयी ,


अमेजिंग वाटर पार्क की योजना हवा हुई


महाबार के धोरों के बीच जोधपुर,उदयपुर व जयपुर तथा अजमेर की तर्ज पर अमेजिंग वाटर पार्क बनाने की योजना बनी थी । जिसमे चारों ओर रेत के ऊंचे टीबों के बीच बने वाटर पार्क में सैलानी एक नए अनुभव का आनंद ले सकते हैं।   इसी क्षेत्र में सिटी पार्क व फूड कोर्ट का निर्माण की योजना बनी थी  मगर ये सब कागज़ो और प्रशासन की मीटिंग टेबलों से आगे नहीं बढ़ी  


युवा कलेक्टर पहल करे


बाड़मेर के युवा और उत्साही ऊर्जावान जिला कलेक्टर टीना डाबी को पहल कर बाड़मेर जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ठोस योजना बनाकर उसको क्रियान्वित करवाए ,बाड़मेर के लिए यह योजना वरदान साबित हो सकती हे ,थार महोत्सव का आयोजन पुनः शुरू कर इसकी पहल की जा सकती हैं।


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