जालोर 13 वर्ष पुराने एक हत्या के मामले में 8 आरोपियों को आजीवन कारावास
अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने 13 वर्ष पुराने एक हत्या के मामले में 8 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आठ आरोपियों में से एक आरोपी की 2013 में मौत हो चुकी है। 7 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा के साथ-साथ 18 हजार 500 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। जानकारी के अनुसार करड़ा पुलिस थानान्तर्गत देवाराम पुत्र हिराजी रेबारी निवासी सामराणी ने 17 जून 2006 को रिपोर्ट पेश कर बताया कि वह भीनमाल से घर जा रहा था, अपने घर से करीबन 10 कदम की दूरी पर चल रहा था इस दौरान रंजिश को लेकर सामरानी निवासी भीखाराम पुत्र मोडाराम, हीरा पत्नी भीखाराम, लाखा पुत्र मोडाराम, महादेवा पुत्र प्रहलादा, खेताराम पुत्र प्रहलादा, घेवा पुत्र मोडा, मोडा पुत्र सुरता, घेवा पुत्र भीखा जाति रेबारी ने एकराय होकर देवाराम के साथ लाठियों, कुदाली से मारपीट की। इस दौरान देवाराम की पत्नी सापू व लच्छाराम ने बीच बचाव कर उसको आरोपियों के चंगुल से छुडाया।
इस दौरान देवाराम गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसको परिजनों ने घायलावस्था में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां इलाज के दौरान देवाराम की मौत हो गई थी। पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए जानलेवा हमले के सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। शुक्रवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनीष कुमार वैष्णव ने निर्णय देते हुए हत्या के आठों आरोपी भीखाराम पुत्र मोडाजी, हीरा पत्नी भीखाराम, लाखा पुत्र मोडाराम, महादेवा पुत्र प्रहलादा, खेताराम पुत्र प्रहलादा, घेवा पुत्र मोडा, मोडा पुत्र सुरता, घेवा पुत्र भीखा जाति रेबारी निवासी सामरानी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जिसमें हीरा पत्नी भीखाराम रेबारी की 21 दिसंबर 2013 में मौत हो चुकी है। ऐसे में 7 आरोपियों को आजीवन कारावास के साथ-साथ अन्य धाराओं में 10 वर्ष 3 माह का कारावास व अदम अदायगी के रूप में 18 हजार पांच रुपए के अर्थदण्ड से भी दंडित किया है। सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक पदमसिंह इंदा व परिवादी की ओर से एडवोकेट बस्तीमल खत्री ने पैरवी की।
अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने 13 वर्ष पुराने एक हत्या के मामले में 8 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आठ आरोपियों में से एक आरोपी की 2013 में मौत हो चुकी है। 7 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा के साथ-साथ 18 हजार 500 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। जानकारी के अनुसार करड़ा पुलिस थानान्तर्गत देवाराम पुत्र हिराजी रेबारी निवासी सामराणी ने 17 जून 2006 को रिपोर्ट पेश कर बताया कि वह भीनमाल से घर जा रहा था, अपने घर से करीबन 10 कदम की दूरी पर चल रहा था इस दौरान रंजिश को लेकर सामरानी निवासी भीखाराम पुत्र मोडाराम, हीरा पत्नी भीखाराम, लाखा पुत्र मोडाराम, महादेवा पुत्र प्रहलादा, खेताराम पुत्र प्रहलादा, घेवा पुत्र मोडा, मोडा पुत्र सुरता, घेवा पुत्र भीखा जाति रेबारी ने एकराय होकर देवाराम के साथ लाठियों, कुदाली से मारपीट की। इस दौरान देवाराम की पत्नी सापू व लच्छाराम ने बीच बचाव कर उसको आरोपियों के चंगुल से छुडाया।
इस दौरान देवाराम गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसको परिजनों ने घायलावस्था में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां इलाज के दौरान देवाराम की मौत हो गई थी। पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए जानलेवा हमले के सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। शुक्रवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनीष कुमार वैष्णव ने निर्णय देते हुए हत्या के आठों आरोपी भीखाराम पुत्र मोडाजी, हीरा पत्नी भीखाराम, लाखा पुत्र मोडाराम, महादेवा पुत्र प्रहलादा, खेताराम पुत्र प्रहलादा, घेवा पुत्र मोडा, मोडा पुत्र सुरता, घेवा पुत्र भीखा जाति रेबारी निवासी सामरानी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जिसमें हीरा पत्नी भीखाराम रेबारी की 21 दिसंबर 2013 में मौत हो चुकी है। ऐसे में 7 आरोपियों को आजीवन कारावास के साथ-साथ अन्य धाराओं में 10 वर्ष 3 माह का कारावास व अदम अदायगी के रूप में 18 हजार पांच रुपए के अर्थदण्ड से भी दंडित किया है। सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक पदमसिंह इंदा व परिवादी की ओर से एडवोकेट बस्तीमल खत्री ने पैरवी की।
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